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Shiv Narayan Saxena

#नववर्ष_2025 एक मुलाक़ात hindi poetry on life नीर Madhusudan Shrivastava "सीमा"अमन सिंह कवि आलोक मिश्र "दीपक" जनकवि शंकर पाल( बुन्देली)

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अपनों से मुलाक़ात

©Shiv Narayan Saxena #नववर्ष_2025 एक मुलाक़ात  hindi poetry on life नीर  Madhusudan Shrivastava  "सीमा"अमन सिंह  कवि आलोक मिश्र "दीपक"  जनकवि शंकर पाल( बुन्देली)

Shailendra Anand

#Manmohan_Singh_Dies सुविचार इन हिंदी श्रद्धा सुमन अर्पित डाक्टर ्््श्रीमनमोहन सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित करें जनसेवा ही मानव सेवा है ््

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Google दिनांक 27दिसम्बर2024
वार शुक्रवार
समय सुबह पांच बजे
्््शीर्षक ््
र््श्रद्धांजलि ्
्््भावपूर्ण श्रद्धांजलि ््
डाक्टर मनमोहन सिंह जी देश की आन बान शान थे उनके कदमों से सजाया गया देश का चहुंमुखी विकास में निहित निष्ठा योगदान सदैव भारतवासियों के लिए एक जीवंत पर्यन्त यादगार रहेगा,,
 सुमन अर्पित करें जनसेवा ही मानव सेवा है,, ,
अर्थतंत्र कादेवत्वपुरुष को क्या नमन करे क्या पूजन करें जो अन्नदाता किसान मजदूर प्रजा सेवक सेवादारी करना गुरुद्वारे चर्च मंदिर मज्जिद में अलख जगाई उम्मीद की ऐसा प्रतिबिम्ब था।।
 देश का गौरव डाक्टर मन मोहनसिंह जी का जीवन परिचय जो मानवता पर ख्यालात की परिधि में जीन्दगी में किसी का मोहताज नहीं रहा है ,,
उनकी कथनी करनी सेवा समर्पण कोरोनावायरस जैसी महामारी में भी इन्सानी मानस जगत में उनके अर्थ तंत्र का मौलिक डंका बजाया मजबुती से ,
जो आज की सरकार की नीव की ईट पत्थर साबित हुआ है।।
 सिर्फ त्वमेव त्वमेव इस देश के प्रमुख अच्छे यशस्वी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जीवन सदैव स्मरणीय श्लोक मंत्र शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय है।।
््श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए ््
््कवि शैलेंद्र आनंद ्
27,, दिसंबर 2024,,

©Shailendra Anand #Manmohan_Singh_Dies  सुविचार इन हिंदी
श्रद्धा सुमन अर्पित डाक्टर ्््श्रीमनमोहन सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित करें जनसेवा ही मानव सेवा है ््

_Writer_Sharda_

Neel Vikram vicky 3.0 Sethi Ji Anshu writer डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313

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Shailendra Anand

भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

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रचनादिनांक,,7,, नवम्बर,,2024
वार शनिवार
समय सुबह पांच बजे
््भावचित्र ््
््निज विचार ््
्शीर्षक ्
््छाया चित्र में सृष्टि सृजन में एक नज़र में समभाव निष्ठ विचार
 ऐकत्व एकमेव नियती संसार जगत है,,
जींव जंन्तु जीवन में एक सूर्य चंद्र दर्शन सपनो में प्यार प्रेम और विश्वास जगत पिता त्वमेव विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य ज्योति प्रकट हो प्यारा हिंदुस्तान हमारा है ््
््््
नज़र ही नजर में एक बार की जिंदगी को,  
हमेशा के लिए सम्पूर्ण भारत प्रजातांत्रिक देश की व्यवस्था बेहतर बनाने वाले आत्ममंथन करना ही जिंदगी है।।
 यही नजारा देखता हूं जो नज़र और नजरिया समझ कर खैला ही सुन्दर पल अनमोल घड़ी विलक्षण प्रतिभा को निखारना स्वयं को परखना तन मन को शांति प्रदान करे,,
 खोटा सिक्का चलता नहीं है,राम नाम सुखदाई है,
 रावण उसका सबसे बड़ा कारण मजमा लगाकर भोलेनाथ को प्रसन्न कर मदारी बनाकर अयोध्या में जन्म दिवस मंगलमय हो ऐसा खैला रावण ही कर सकता है।।
, जो हर कोई ओर कर भी नहीं सकता था,, 
जो सेतुबंधेश्वररामेश्वरं में जो पंण्डित आचार्य दशानन रावण ही यजमान से दक्षिणा में वो सब लेता है।।
 जो धरती पर साकार लोक में अपना और अपने वंश का कल्याण ही जग में जगदीश्वरी मां जानकी भुमिपुत्री से सजाया गया,,
 जिसे हम अच्छे ख्यालात से राम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं ।।
तो दुनिया में रावण का भी इन्सानी मानस में शास्त्र में,,
 प्रकाशवान जो सुर्य तेज पुंज सम है।।
             ्कवि शैलेंद्र आनंद 
7,, दिसंबर,,2024,,

©Shailendra Anand  भक्ति सागर
              कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना दिनांक। 4,, दिसंबर,,2024,,
वार   बुधवार 
समय सुबह  पांच  बजे
्््भाव से काम कर रहे वह आज चेहरे पर मुस्कान लिये अधरो की मुस्कान बने,, 
यही मेरी स्वरचित कविता भाव में स्थित सोच पर जिंदगी में,
 एक स्वर पुकार नाद प्रेम शब्द ही आनंद है ्््
््निज विचार ््
्भावचित्र ्
भावचित्र में सनातन वैदिक विचारधारा शाश्वत सत्यता पर
ख्यालात अपने विचार व्यक्त आस्था प्रकट कर सकते हैं ्
वर्तमान समय में जिस प्रकार निराकार साकार लोक में भ़मण करते हुए
ईश्वर रुप में भारतीय नागरिक मतदाता होने पर एक दिलचस्प बात यह है,
देश में अवाम में खुशहाली आती है तो देश आगे बढ़ेगा
और आज हमारे देश में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा आयोजित सेवा में समर्पित करिष्यामि नमन वन्दंनीय है,,
्््भावचित्र है मां गौमाता को राष्ट्रीय पशु घोषित कर सकल 
सनातन विचार सच में एक जीवंत प्रयास करें ,,
यही भाव से मेरी स्वरचित रचना में मालवी भाषा में, कुछ लिखने का प्रयास किया गया है ्शीर्षक ्
मनुज जणम जोणि में धरम करम का रोणा में,
रौवे जींव जगत का‌ मैला ढोने लाग्या रै््।।1।।
।म्हणे मनुज जणम पायोजी मैंने,,
थाके सेवाणी गौवंश गौसेवा में,
 सजल नयन अश्रुजल से,नहलायो तन मन को।।2।।
चौरासी लख जणम जोणि में,,
पण मण धण में जींव म्हारो असो लांगे।।3।।
माणो गौरक्षधाम प्यारों श्याम सुंदर णे ,
माखण मिश्री की मटकी फोड़ी,
ग्वाल धेनूबाल संग वन में रोटीयां से ,
माखण सब कुछ,बांटचुटकर खावी जावे।।4।।
तण मण जोगण बरसाणा में,,
लागी लगण राधिका श्याम में।।5।।
मण धण में जींव म्हारो घट में,,
लुफ्त है प्राण असो प्यारो लांगे रै।।6।।
मण आंन्दणो जाणो माणो,,
गौरक्षधामणो में पंछी बणके,
रचिया बसिया चुगणा लाग्या।।7।।
प्रेम भक्ति का दाणा चुगिणे ,,
चाल्या अपणा अपणा घोंसला में।।8।।

््कवि शैलेंद्र आनंद ्
4, दिसंबर 2024,,

©Shailendra Anand  भक्ति सागर
                  कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना दिनांक 3 दिसम्बर 2024
वार  मंगलवार
समय सुबह दस बजे
््भाव रस से भावचित्र ््
्निज विचार ्
्््छाया चित्र में दिखाया गया जिसे हम इस नश्वर शरीर में
 प्राण वायु और पंचतत्व से बना हुआ प्राणतत्व में
माया मोह में फंसे हुए जीवन में कर्मलीला कर्मशील नायक बम्हदेव वरदानित 
भाव है क्या देव असुर, यक्ष, किन्नर, गन्धर्व, मनुज देह है प्राण गंवाए है मारिच असूर सर्वग्य भाव में निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता कोटीश्यं प्रमाणितं
 ब़म्हकर्मसाक्ष्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम है ््
्््
,,निज मानस स्वरचित है भावचित्र स्वज्ञान है,,
़््
कंचन मृग मारिच असूर,मन हरण,
सियाजानकी रघुराज लीला करत ,मारिचप्रान  अधार करंहि,,
 लखन राम राम उच्चारण ही हरण,शरण, 
दासहनुं््यमदूत शोकविनाशमं काल है,।।
छल माया मोह ््मद सब धर्मों में,
भेद नहीं भाव नहीं है,
सब कर्म भूमि पर जातक जींवजीवाश्म प्राणी में ,
प्राण वायु सब कुछ एक है,,
््कवि््शैलेन्द़ आनंद ््
3,, दिसंबर 2024,,

©Shailendra Anand  भक्ति सागर
         कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

#good_night भक्ति सागर ््कवि शैलेंद्र आनंद

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White रचना दिनांक 19,,11,,2024,
वार, मंगलवार,
समय,सुबह, पांच, बजे,
्       ््भावचित्र ््
           ्् निज विचार ््
             ्् शीर्षक ््
                  ््््निज विचार ््
     ््््भावचित्र ््
      भज लिया सो राम,,
     कर लिया सो काम।1 ।
       यह जीवन है विश्राम ,
      कुछ पल,घड़ी विलक्षण प्रतिभा ,,
    अनमोल विचार प्रवाह प्यार में बदल रहे ।2।         परिवर्तन शील प्रयोग परीक्षा प्रतिभा अनमोल है,, 
    जो सत्य है वो जन्म, मरण, परण, जस,           अपजस, लाभ ,हानि ,कर्म, विधी,विधाता के         अनुसार है।3।
     धर्म ,अर्थ ,काम, मोक्ष, मूलं,कारकं,दिव्य      ज्योति,,   
प्राकट्य ,प्रकट,स्वधर्म परिपालन केअनुसार है।4।।
     प्रतिभा जींव प्राणी जीवाश्म में कर्म भूमि पर     जातक के प्रारब्ध, भविष्य, और वर्तमान, ही,,
 ,      सुन्दर छबि मनोमय नरोत्तम उत्तमशक्ति       परमपुरुष परमात्मा से प्रार्थना, योग,भोग,         अन्नपूरणेश्वरी देवीभ्यो नमः।।5 ।।
   पेट भरा फिर भी हो खाली हाथ चला,,
    कि वो लफ्जो से भावना मन से लिख दिया ।।।।6।।
    ईश प्राप्ति वंदना कीर्ति यश वरदान ब़म्ह           कर्ममंत्र यंत्र देवत्व कलाओं से परिपूर्ण हो,,
      यही याचना करने से सम्पूर्ण जीवन कर्म      फलित है,
    निर्राकारआकारहीन ईश्वरपूर्ण रूप सम्पूर्ण है।।7।।
     यही सनातन विचार सच का मूल मंत्र शक्ति         दिव्यता प्रदान एक दस्तावेज उदगम 
    स्त्रोत स्थल जो जीना सिखाता है,,
     सच्चा धर्मगुरु सच्चा दोस्त सच्चाई कर्मभूमि    मृत्युलोक है।।8 ।।
        यहां इन्सान जो बनकर आया है,,
     वह वास्तव में फिर लौटकर देवलोक गमन हो   जाना है।। 9।।
     ना कोई संदेश ना कोई चिट्ठी,,
       यह सब कुछ प्रभू कृपा प्राप्त एक बहानाहै ।  ।।10।।
    सम्भल जाओ यह मृत्युलोक सर्व धर्म कर्म     का,,     
मर्म सुंदर सुजान है ,यही हिन्दूस्तान की       ्         पहचान है।।11 ।।
      
सम्भल जाओ यह मृत्युलोक सर्व धर्म कर्म का,, मर्म सुंदर सुजान है
यही हिन्दूस्तान की पहचान है।।11 ।।
         ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््
19 , नवम्बर 2024,,





19,, नवम्बर 2024,,

©Shailendra Anand #good_night  भक्ति सागर
््कवि शैलेंद्र आनंद

Shailendra Anand

शायरी दर्द ्््््कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना दिनांक,,16,, नवम्बर 2024
वार। शनिवार
समय। सुबह पांच बजे
््निज विचार ््
्््भावचित्र ्््
्््शीर्षक ्््
 ्््ऐ नज़र ््््निजविचार्भावचित्र ्
  ्शीर्षक ्
ऐ नज़र 
     बड़े खुश नसीब है वो,,
     जो अपने होते नहीं देख सकते थे।।1।।
    जिन्हें अपना कहते थकते नहीं थे,,
    वो लफ्जो से आस्तीन के सांप बन गये।।      
     देखें सपनो में खो गए ऐ नज़र,,
     वो लफ्जो का नूर काफ़िर बन गया।।3।।
     कहने को परखना तन मन नहीं,,
     ये पूतला माटी का नही है।।4।।
      ये इबादत अकीदत पेश किया गया,,
      मेरे हजूर नबी की खिदमत में पेश है।5। 
      ये अल्फाज़ नगीना है नूर है,,
      ये साफ़ आयना मेरे ज़िगर से है।6।
        ये ईमान लिखूं या प्रेम की हकीकत,,
        ऐ नज़र इश्क में जो कुछ लिखा गया,, 
         वो मतला तेरे ख्यालों का,,
         ये नूर ए नज़र रुहानी जिंदगी का।7।
          यूं ही पत्थरों को तराशते रहे,, 
         किसी कि याद में  जिंदगीसवार दी।8।
            ्््कवि््शैलेन्द़ आनंद ््                
            किसी की यादों में हम दिलों सए

©Shailendra Anand  शायरी दर्द
्््््कवि शैलेंद्र आनंद

Ashvani Awasthi

#good_night कवि अश्वनी अवस्थी

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White गम सारे दिल के पिए जा रहे हैं 

तन्हाइयों से लड़े जा रहे हैं।

खुद ही ज़ख़्म हमने दिल को दिए है

खुद ही ज़ख्म को सिले जा रहे हैं ।।

©Ashvani Awasthi #good_night कवि अश्वनी अवस्थी

Radhe Radhe

सिंह सिंह होता है

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White सिंह, सिंह होता है
जहाँ बैठ जाए
सिंहासन वही
ठीक उसी तरह 
राजा खुद से राजा होता है
जहां भी खड़े हो 
हर रूप में पहचान आ जाएगा
जय श्री राम

©Radhe Radhe सिंह सिंह होता है
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