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yogesh atmaram ambawale
भारत मेरा देश ऐसा जिसमें जात धर्म अनेक, चाहे जो भी हो त्यौहार मनाए हम होकर एक | हिंदू हो या मुस्लिम हो,या हो चाहे कोई और पंथ, खुशियों के हर पल साथ मनाएं,मौला हो या हो संत| गणपती बाप्पा मोरया,या हो अल्लाह हू अकबर का नारा, निकले दिल से आवाज ऐसी,के गूंज उठे आसमान सारा | भारत देश है मेरा ऐसा,पूरे विश्व में एकात्मता की मिसाल दिखाएं, आपसी रंजिश भी हो अगर,बाहरी मुसीबत में एक साथ खड़े हो जाए | दिवाली की मिठाई हो,या हो ईद का शीर खुरमा, खुशबू ऐसी फैल जाए हवाओं में,के बन जाए अलग ही समा | भाईचारे की मिसाल दिखाऐ सदा,सदा हर धर्म साथ नजर आए, गणराज्य दिन हो या दिन स्वतंत्रता,हर हाथ में सिर्फ तिरंगा नजर आए | ऐसे एकात्मता के मिसाल की सूरत,ऐ भारत देश मेरा, पूरे विश्व में चाहे खूबसूरती कितनी भी,सबसे खूबसूरत भारत देश मेरा | १ संस्कृति रचना #rzhindi #yqrestzone #rzसंस्कृति #rzकाव्यशाला #restzone #rzसांस्कृतिकरचना #मेरा_भारत #मेरा_देश भारत मेरा देश ऐसा जिसमें ज
C. P. Tripathi, Editor
तू नैन, मैं तेरा सुरमा, तू नींद, मैं तेरा अरमा, तू पूरी, मैं तेरा खुरमा, तू लड्डू, मैं तेरा चूरमा, अब तो बनेगी मेरी मोहतरमा।। तू नैन, मैं तेरा सुरमा, तू नींद, मैं तेरा अरमा, तू पूरी, मैं तेरा खुरमा, तू लड्डू, मैं तेरा चूरमा, अब तो बनेगी मेरी मोहतरमा।
Pnkj Dixit
🌙👰 मैं ईदी देने आऊँ और 💓 तेरी दीद हो जाए 🌙👰 तुम शीर खिलाओ मुझको तो मेरी मुबारक ईद हो जाए 🌙👰💓🌷💝 ... ✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌙👰 मैं ईदी देने आऊँ और 💓 तेरी दीद हो जाए 🌙👰 तुम शीर खिलाओ मुझको तो मेरी मुबारक ईद हो जाए
Krishna Tripathi ( Anant)
कितनी भी आग लगा लो। चाहे कितने भी दंगे करवा लो। हिन्दू मुसलमा दो जिस्म एक जान है ये मेरा हिंदुस्तान है । ये मेरा हिंदुस्तान है जनाब। यहां अ
शुभी
मस्कन में खड़ी दीवार हो गयी, माँ जो बूढ़ी और लाचार हो गयी. सफ़िना से दूर पतवार हो गयी, हालात से माँ की जो हार हो गयी. दरीचों पे जमा ये गर्द है शायद, मकीनों की बेपर्दा दरार हो गयी. मंज़र-ए-रंजिश जो रहा नज़र , तबियत माँ की आज़ार हो गयी. कर्ज़-ए-शीर कुछ यूँ नाक़िस रहा, औलाद अब माँ से बेज़ार हो गयी. 'शुभी', तीरगी रौशन चराग़ ना करे, माँ की ममता भी लो तार हो गयी. इस ग़ज़ल को ध्यान से पढ़ने पर आप पाएंगे कि इसके दो भाव निकल सकते हैं. एक तो जो आजकल घर के बंटवारे का रिवाज चल पड़ा है वो और दूसरा भाव है भार
Himanshu Bariya(im0 chhoti soch)
कंधे पर बिठा कर मेला दिखाया, तुमने घूम ना जाऊं इस भीड़ में ,शीर पर बिठाया, तुमने हर पल साथ न हो कर भी, दुनिया से कंधे से कंधा मिला कर चलना सिखाया, तुमने माना कभी खैरियत न पूछी ,मां की तरह मेरी पर सब सह कर इस दुनिया के काबिल बनाया,तुमने बस एक शिकायत आज भी है तुमसे, आज तक मां की तरह गले ना लगाया, तुमने बड़ी आसानी से समझ लेते थे हाल-ए-दिल का मेरे , मेरी हर जिद्द को हकीकत बनाया तुमने ©Himanshu Bariya(im0 chhoti soch) कंधे पर बिठा कर मेला दिखाया, तुमने घूम ना जाऊं इस भीड़ में ,शीर पर बिठाया, तुमने हर पल साथ न हो कर भी, दुनिया से कंधे से कंधा मिला कर चलना