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جلال
White किसी और की मोहब्बत है इसी लिए गवारा मुझे डूबने की हसरत तुझे चाहिए किनारा کسی اور کی محبت ہے اسی لیے گوارہ مجھے ڈوبنے کی حسرت تجھے چاہیے کنارہ कहीं इसके बदले ये है कहीं उसके बदले वो है तो मफ़ाद भी यक़ीनन किसी शय का है ख़सारा کہیں اِسکے بدلے یہ ہے کہیں اسکے بدلے وہ ہے تو مفاد بھی یقیناً کسی شے کا ہے خسارہ तिरे दीद की तलब में सर ए राह मैं था लेकिन लब ए बाम से किया है किसी और को इशारा ترے دید کی طلب میں سرِ راہ میں تھا لیکن لبِ بام سے کیا ہے کسی اور کو اشارہ शब ए ग़म की वहशतों से तुझे दी जो हैं सदाएँ ये कमी नहीं है तेरी तुझे आदतन पुकारा شبِ غم کی وحشتوں سے تجھے دی جو ہیں صدائیں یہ کمی نہیں ہے تیری تُجھے عادتاً پکارا ये तसल्लियों के बोसे नहीं चाहिए मुझे अब न यक़ीं दिला तू मुझको तुझे जीत के मैं हारा یہ تسلیوں کے بوسے نہیں چاہیے مجھے اب نہ یقیں دلا تو مُجھکو تُجھے جیت کے میں ہارا कभी ख़ुद को सोच कर मैं यही ख़ुद से पूछता हूँ तुझे चाहिए क्या मुझसे तू बता तो कुछ ख़ुदा-रा کبھی خود کو سوچ کر میں یہی خود سے پوچھتا ہوں تجھے چاہیے کیا مُجھسے تو بتا تو کچھ خدارا ये हयात इक सज़ा है मुझे मौत माॅंगनी है किसी सम्त दिख रहा क्या कोई टूटता सितारा یہ حیات اک سزا ہے مجھے موت مانگنی ہے کسی سمت دکھ رہا کیا کوئی ٹوٹتا ستارہ ©جلال #Thinking सफ़ीर 'रे' Rakhee ki kalam se harsha mishra कवि आलोक मिश्र "दीपक" Sarfraz Ahmad
#Thinking सफ़ीर 'रे' Rakhee ki kalam se harsha mishra कवि आलोक मिश्र "दीपक" Sarfraz Ahmad
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
White दुबारा मिट्टी न सटाना, मैं जो आत्मा हूं, परमात्मा तेरा अंश, मेरा करना न विध्वंस, लपेटे मिट्टी, जो अबकि हटाना, दुबारा मिट्टी न सटाना। अगर में जोत हूं तेरी, न कालिख उपजे दिये लगाना, न सूरज की रोशनी बनाना, अंधेरी रात पनपे बाद, हड़पे चांदनी का सबब, न चांद की करना बुनियाद, नहीं नूर नजर का करिये, करिया अंखियां उसपे काजल, न मंजर बदलता रंग, वो क्या जोत होऊं सबब, सुन लो खुद में समोये बिखेरो, सच की वो चमक कर छितरा, समेटो फिर तो तेरा ही ठिकाना, बिल्कुल 'अपना' प्रकाश बनाना। ©BANDHETIYA OFFICIAL #GoodNight #परमात्मा का प्रकाश।
#GoodNight #परमात्मा का प्रकाश।
read moreAbhiJaunpur
विश्व हिन्दी दिवस को अंग्रेजी मे लिखकर बधाई देने वालो को भी विश्व हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं ©AbhiJaunpur #AbhiJaunpur सुरेश अनजान अदनासा- शिवम् सिंह भूमि कवि आलोक मिश्र "दीपक" अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर
#AbhiJaunpur सुरेश अनजान अदनासा- शिवम् सिंह भूमि कवि आलोक मिश्र "दीपक" अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर
read moreParasram Arora
White मै जिस घर मे रहता हूं अक्सर यही कहता हैँ मुझे कभी मत कजोड़ना क्योंकि मै तुम्हारा अतित हूँ जो तुमने मुझमे रह कर गुज़ारा हैँ और जिन रास्तो पर मै चलता आया हूँ अक्सर वो हर दिन कहते हैँ मुझे कि मेरा अनुसारन्न करते रहो क्योंकि मै ही तुम्हारा भविष्य हूँ ©Parasram Arora घर और रास्ता vs अतित और भविष्य
घर और रास्ता vs अतित और भविष्य
read moreShubham Raj Tiwari
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset प्रयास करने वालों के लिए प्रत्येक कार्य संभव है परेशानी में भी एक बार मुस्कुराइए और लगन से लग जाइए फिर जितने से कौन रोक सकता है | कर्म ही आसा है | भगवती का कृपा और आप सबका साथ बना रहे ©Shubham Raj Tiwari #SunSet mithilani मनोज मानव Kamlesh Kandpal Anil Ray कवि आलोक मिश्र "दीपक"
#SunSet mithilani मनोज मानव Kamlesh Kandpal Anil Ray कवि आलोक मिश्र "दीपक"
read moreParasram Arora
Unsplash वो दिन याद करो ज़ब ये आदमी पहले "आदम " था और स्त्री "ईव " थीं तब न आखर था न शब्द न लिपि न कोई आपस मे संवाद था तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं इसके बाद वो ध्वनि कब संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और वो ईव स्त्री मे रूपांतरित हो गए थे ©Parasram Arora आदम और ईव
आदम और ईव
read moreswati soni
White Ho jati hai kabhi kabhi ye qalum bhi khamosh sayad kisine bhut kuch jataya hoga jo hmesa likhne ko rahti thi aatur akhir kuch ehsas ne sikhaya hoga . #swati ki qalum se ✍️ ©swati soni #Deepthoughts #swatikiqalumse उत्कर्ष शुक्ल UK कवि आलोक मिश्र "दीपक" Jasmine of December Swati sharma विवेक ठाकुर 'शाद' Anshu writer
#Deepthoughts #swatikiqalumse उत्कर्ष शुक्ल UK कवि आलोक मिश्र "दीपक" Jasmine of December Swati sharma विवेक ठाकुर 'शाद' Anshu writer
read moreगुरु देव[Alone Shayar]
वेया ना किया कर अपने krishnkant भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Rajan Singh BIKASH SINGH कवि आलोक मिश्र "दीपक" abhay maurya(pathik)
read moreनिर्भय चौहान
White हम कहानी हुए तुम कथानक हुए। हादसे जिंदगी में अचानक हुए । दिल से लावा उठा और फिर सो गया ऐसे किरदार सारे ही मानक हुए। ©निर्भय चौहान #sad_quotes कवि आलोक मिश्र "दीपक" katha (कथा ) mahi singh Madhusudan Shrivastava Kumar Shaurya
#sad_quotes कवि आलोक मिश्र "दीपक" katha (कथा ) mahi singh Madhusudan Shrivastava Kumar Shaurya
read moreParasram Arora
White हमारे आदर्शी को पस्तझनी देने मे समर्थ है हमानी विचलित चेतनाये तभी तों रेत मे मुंह छुपा कर रहती है हमारी अनसुलझी समस्याएं जबकि अंतकाल तक हम फेरते रहते है मुर्ख सपनो की मालाये शायद इसीलीये डूब चुके है हमारे भाव और ख़ो चुकी है संवेदनाये ©Parasram Arora आदर्श और संवेदनाये
आदर्श और संवेदनाये
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