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Satish Deshmukh
White आजवर कोणत्या सावल्या लागल्या जिंदगीला उन्हाच्या.. झळा लागल्या चाललो भार घेवून खांद्यावरी पालखीला म्हणे ठोकरा लागल्या जीवनाचे जरी चित्र दुःखामधे चेहऱ्यावर छटा हासऱ्या लागल्या जिंदगी आमची केस कोर्टातली हाय श्वासागणिक हाजऱ्या लागल्या शेवटी माणसा एवढे सत्य की लाकडे लागली गोवऱ्या लागल्या ©Satish Deshmukh #rajdhani_night भर
#rajdhani_night भर #मराठीकविता
read moreRameshkumar Mehra Mehra
चलो मुस्कुरानें की.......... बजह ढूंढते है...! जिंदगी तुम हमें ढूढो....!! हम तुम्हे ढूंढते है.... ©Rameshkumar Mehra Mehra # चलें मुस्कुराने की,बजह ढूढतें है,जिंदगी तुम हमें ढूंढो,हम तुम्हे ढूंढते है.....💕
# चलें मुस्कुराने की,बजह ढूढतें है,जिंदगी तुम हमें ढूंढो,हम तुम्हे ढूंढते है.....💕 #Quotes
read moreAnuradha T Gautam 6280
जैसा हम चाहते हैं वैसे कहानी कभी नहीं खत्म होती और जो हम चाहते हैं वह हमें कभी नहीं मिलता यही एक जिंदगी है..🖊️ अनु_अंजुर #शायरी #अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻♀️
read moreRohan Roy
White क्षण भर की समस्या, जिंदगी भर दुख दे जाता है। इसलिए इस वैकल्पिक समस्याओं में न जूझें। बल्कि बाहर निकलने का रास्ता ढूंढे। क्योंकि जो आपकी समस्याएं हैं, वह सीमित है। और इन समस्याओं से, निकलने का विकल्प असीमित है। ©Rohan Roy क्षण भर की समस्या, जिंदगी भर दुख दे जाता है | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #motivation_for_life | #rohanroymotivation |
क्षण भर की समस्या, जिंदगी भर दुख दे जाता है | #RohanRoy | #dailymotivation | #inspirdaily | #motivation_for_life | #rohanroymotivation | #Motivational
read moreDr Usha Kiran
स्वप्न वह सुरमई सा अधखुली पलकों का दूर कहीं अंबर के उस पार मुस्काया था एक चाँद जैसे घुँघरू बंध गए हों दिशाओं के। लाज खींच गई थी पूरब की कनपटियों तक। उस सिंदूरी अंबर में दौड़ता मेरा स्वप्न तारों की झुरमुट से करता सरगोशियाँ कभी निहारिकाओं के संग खिलखिलाता खींचता चाँदनी को अपनी अंजुरी में कभी सांसों में भरता रजनीगंधा की भीनी सी महक। टोहता कभी भोर की किरण को फिर रश्मियों के संग खुलता मेरे अन्तर में रेशमी गाँठ की तरह। साँझ के ढलते ही खींच कर लाता चांँद को बालकनी के बीच और फिर वहीं टिका देता अधर में स्थिर! तब निहारता मन मुग्ध नयन सम्मुख मेरे मेरा स्वप्न वह …..! ©Dr Usha Kiran #स्वप्न वह
Mahi Dixit
White सौंधी सी खुशबू, मीठी सी बातें! आंचल में खुशियां थी खिलती जहाँ पे ! सहिष्णुता की परिभाषा वह निकिता लौट आता हूं फिर मैं जहाँ पे! था कार्तिक माह ,अष्टसप्तति संवत् मेरा जीवन था बड़ा ही विदम्बत जब हृदयचक्षु से देखा उसको ये हृदय वही था अवसंवत .. वह नैन नक्श की माया सी मैं उसके मोह में दास सा हूं वह श्रीकृष्ण की गाय सी थी मैं चरवाहे की 'घास' सा हूं हूँ बिना छुए उसे प्रेम में मैं उस सम्मोहन ने साधा है वह प्रेम काम में शामिल हैं, मेरी प्रेम-काम ही बाधा है एक दिन उसको बतलाना है, क्या रत्न सा उसने खोया है पर सत्य प्रिय एक बात ही है यह हृदय बहुत ही रोया है यह हृदय बहुत ही रोया है ©Mahi Dixit वह निकिता
वह निकिता #कविता
read moreMehfuza
रात-रात भर जाकर बात करने वालें वह दो लोग, खामोश बैठे थे तालाब किनारे, वह दोनों खामोशी से आंखों ही आंखों में बातें कर रहे थे। ©Mehfuza रात-रात भर जाकर बात करने वालें वह दो लोग, खामोश बैठे थे तालाब किनारे, वह दोनों खामोशी से आंखों ही आंखों में बातें कर रहे थे।
रात-रात भर जाकर बात करने वालें वह दो लोग, खामोश बैठे थे तालाब किनारे, वह दोनों खामोशी से आंखों ही आंखों में बातें कर रहे थे। #शायरी
read moreArun Mahra
न दूसरों की चाहत न दूसरों को चाहने का दिल है तुम्हारा हर पल में हो तू मेरे साथ बस यही है मेरी ख्वाइश आई लव यू मेरी जान जीने का खूबसूरत है तेरे दिल में यही है मेरा मगसद हर पल में ©Arun Mahra येसे ही जोड़ी लाना चाहिए जो हर पल तेरे साथ निभाए जिंदगी भर
येसे ही जोड़ी लाना चाहिए जो हर पल तेरे साथ निभाए जिंदगी भर #Life
read moreमुसाफिर
आज कल वह अनजान बन बैठा, मैं जानता था कि यह वक्त आएगा। जो साथ रहने का वादा किए। वह भी एक न एक दिन साथ छोड़ चले जायेंगे। लेकिन पता नहीं था इतनी जल्दी आएंगा। वह धीरे-धीरे चांद बदलो में छुपता जा रहा है। और आसुओं के कर्ण से धीरे धीरे धरती को एक और कहानी को धोने की बात कर रही है। ©मुसाफिर #वह