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भारद्वाज
White एक डोली चली एक अर्थी चली....... बात दोनों में कुछ इस तरह से चली ........ बोली डोली तुम्हें किसने धोखा दिया , कहां तू चली...? अर्थी बोली चार तुझमें लगे , चार मुझमें लगे( कंधे ) फूल तुझ पर सजे,फूलों मुझ पर सजे, फर्क इतना ही है अब सुन ले सखी , तू पिया को चली ,मैं प्रभु को चली... मांग तेरी भरी, मांग मेरी भरी, चूड़ियां तेरी हरी ,चूड़ियां मेरी हरी, फर्क इतना ही है अब सुन ले सखी .... तू जहां मैं चली,मैं जहां से चली.. एक सजन तेरा ख़ुश हो जाएगा, एक सजन मेरा मुझको रो जाएगा, फर्क इतना ही है अब सुन ले सखी ... तू विदा हो चली.... मैं अलविदा हो चली..... ©भारद्वाज #cg_forest #,एक डोली चली एक अर्थी चली....... बात दोनों में कुछ इस तरह से चली ........ बोली डोली तुम्हें किसने धोखा दिया , कहां तू चली...?
#cg_forest #,एक डोली चली एक अर्थी चली....... बात दोनों में कुछ इस तरह से चली ........ बोली डोली तुम्हें किसने धोखा दिया , कहां तू चली...?
read moreRavendra
ज्येष्ठ माह पहले बडे मंगल के अवसर पर बाबागंज के विभिन्न स्थानों पर हुआ भंडारे का अयोजन । चरदा बहराइच।ज्येष्ठ माह के प्रथम बडे मंगल के शुभ अ #वीडियो
read moreAnjali Singhal
"तुम आओ तो रंग सजे, मन में प्रेम की मृदंग बजे। तुम बिन कैसे तन रंगे, तुम बिन जीवन ही मेरा बेरंग लगे।।" 💞💕 #Shayari #AnjaliSinghal nojoto
read moreबेजुबान शायर shivkumar
महागौरी उपासना, अष्टम दिवस विधान I सारे पूजन कार्य में, सफ़ेद रंग प्रधान II . श्वेत-कुंद के फूल-सा, माँ गौरी का रंग I श्वेत शंख व चन्द्र सजे, आभूषण बन अंग II . दाएं नीचे हाथ में धारण करे त्रिशूल I डमरू बाएँ हाथ में, वस्त्र शान्ति अनुकूल II . माँ की मुद्रा शांत है, और चार हैं हाथ I बैल, सिंह वाहन बने, रहते उनके साथ II . आठ वर्ष की आयु में, देवी का अवतार I जो इनका पूजन करे, उसका बेडा पार II . शुम्भ-निशुम्भ प्रकोप से, साधु संत थे त्रस्त I माँ गौरी आशीष-पा, दिखे सभी आश्वस्त II . शक्ति स्वरूपा कौशिकी, माँ गौरी का अंश I दैत्यों शुम्भ-निशुम्भ का, अंत किया था वंश II . दान नारियल का करें, काला चना प्रसाद I माँ है मंगल दायिनी, दूर करे अवसाद II . माँ गौरी की हो कृपा, मिटते सारे कष्ट I कल्मुष धुल जाते सभी, होते पाप विनष्ट II . गौरी के आशीष से, पिण्ड छुडाते पाप I जब श्रद्धा से पूजते, मिटते तब संताप II . हमेशा साधु-संत का, यह अटूट विश्वास I माँ में अमोघ शक्ति तो, दुःख न भटके पास II . महिला चुनरी भेंट कर, प्राप्त करें आशीष I गौरी के दिन अष्टमी, सभी नवाएँ शीश II ©Shivkumar #navratri #navaratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #नवरात्रि // देवी महागौरी // #महागौरी #उपासना , अष्टम दिवस विधान I सारे पूजन कार्
#navratri #navaratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #नवरात्रि // देवी महागौरी // #महागौरी #उपासना , अष्टम दिवस विधान I सारे पूजन कार् #माँ #शक्ति #भक्ति #शांत
read moreN S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्ति के लिए सहस्र चंडी यग्न का महत्व हमारे धर्म-ग्रंथों में बताया गया है। इस यग्न को सनातन समाज में देवी माहात्म्यं भी कहा जाता है। सामूहिक लोगों की अलग-अलग इच्छा शक्तियों को इस यज्ञ के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। अगर कोई संगठन अपनी किसी एक इच्छा की पूर्ति या किसी अच्छे कार्य में विजयी होना चाहता है तब यह सहस्र चंडी यग्न बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। असुर और राक्षस लोगों से कलयुग में लोहा लेने के लिए इसका पाठ किया जाता है। 📜 मार्कण्डेय पुराण में सहस्र चंडी यग्न की पूरी विधि बताई गयी है। सहस्र चंडी यग्न में भक्तों को दुर्गा सप्तशती के एक हजार पाठ करने होते हैं। दस पाँच या सैकड़ों स्त्री पुरुष इस पाठ में शामिल किए जा सकते हैं और एक पंडाल रूपी जगह या मंदिर के आँगन में इसको किया जा सकता है। यह यग्न हर ब्राह्मण या आचार्य नहीं कर सकता है। इसके लिये दुर्गा सप्तशती का पाठ करने वाले व मां दुर्गा के अनन्य भक्त जो पूरे नियम का पालन करता हो ऐसा कोई विद्वान एवं पारंगत आचार्य ही करे तो फल की प्राप्ति होती है। विधि विधानों में चूक से मां के कोप का भाजन भी बनना पड़ सकता है इसलिये पूरी सावधानी रखनी होती है। श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले मंत्रोच्चारण के साथ पूजन एवं पंचोपचार किया जाता है। यग्न में ध्यान लगाने के लिये इस मंत्र को उच्चारित किया जाता है। ©N S Yadav GoldMine #navratri {Bolo Ji Radhey Radhey} सहस्र चंडी यग्न :- 📜 सत्ता बल, शरीर बल, मनोबल, शस्त्र बल, विद्या बल, धन बल आदि आवश्यक उद्देश्यों को प्राप्