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santosh sharma
।।भावर।। मैं ठहरा भावर का वादी , गम में भी मुस्काता हूॅं, नही सुनहरे पल तो क्या ,काव्य गीत को गाता हूॅं। घाव बने है गहरे मन में, कालिख छाप मिटाता हूॅं , कोई समझे या ना समझे,खुद को मै समझाता हूॅं। भंवर जाल से बंध जाऊ तो,इच्छा शक्ति जगाता हूॅं, बुझते दिपक की लौ को,खुद साहस से जलाता हूॅं । बारीश के बूंदों में भीगा तो ,तन से उसे सुखाता हूॅं, भरी दोपहरी में जलकर भी लाल पुष्प खिलाता हूॅं। रात बड़ी घनघोर हुई है, सुधाकर तुम्हें बुलाता हूॅं , थम-थम करती आ बैठी, मुश्किल में पड़ जाता हूॅं। शाम सवेरे बस तुम हो,धड़कन में तुम्हें बसाता हूॅं , नही सुनहरे पल तो क्या, काव्य गीत को गाता हूॅं । ----------- नूतन एवं मौलिक रचना संतोष शर्मा कुशीनगर (उ०प्र) तिथि -25/02/2023 ©santosh sharma #भावर
Nzria
वैसे तो हर चाहत का मतलब पाना ही नी होता, मगर तू मेरी एक ऐसी चाहत है मेरे मोला, जिसे मैं हर हाल में पाना चाहती हूं। #मेरे मोला...।
Nzria
कैदी थे हम उस पिंजरे के जिसका मालिक कोई ओर था और कैद करने वाला कोई ओर था। #मेरे मोला...।
Aslam Khaan
रौ पड़ा है आसमा भी मेरी वफ़ा को देख कर देख तेरी बेवफाई की बात बादलों तक जा पहुंची !! बेवफा ©Aslam Khaan रौ परा
प्रेम कुमार रावत
कोनो बहाना बनाके तोर घर मे आहु ते मोर संग बईठ के गोठयाबे का तोर हाथ के चाय मोला बड़ भाथे एक कप चाय मोला पियाबे का ©prem kumar ravat #GuzartiZindagi कोनो बहाना बनाके तोर घर मे आहु ते मोर संग बईठ के गोठयाबे का तोर हाथ के चाय मोला भाथे मोला एक कप चाय मोला पियाबे का
प्रेम कुमार रावत
कोनो बहाना बनाके तोर घर मे आहु ते मोर संग बईठ के गोठयाबे का तोर हाथ के चाय मोला बढ़ भाथे एक कप चाय मोला पियाबे का ©prem kumar ravat #GuzartiZindagi कोनो बहाना बनाके तोर घर मे आहु ते मोर संग बईठ के गोठयाबे का तोर हाथ के चाय मोला भाथे मोला एक कप चाय मोला पियाबे का
Lili Dey
मेरी दुआ है मेरे मोला मेरे दुआ तू कबुल कर l है मेरे मोला तू मुझ पर थोड़ी रहम कर l मेरे दिल मैं जो भी बुराई है तु उसे मिटा कर मुझे तु सही रास्ते पर ले चल, मेरे सारे जंजीरों को तड़ कर तू रास्ता दिखा मुझे मेरे मंज़िल की और, है मेरे मोला तू अब मेरे ताक़त बन l है मेरे मोला तू अब मेरे मंज़िल बन l बैचेनी उठे हैं जो मेरे दिल मैं अब तू उस बैचेनीयों को दूर कर, मेरे सवालों का जवाब ना दे तू पर मुझे तू मेरे जवाब के और ले चल, है मेरे मोला मेरे आंखे अब टीके रहे मेरे मंज़िल पर l है मेरे मोला अब मैं यक़ीन करू सिर्फ तुझ पर l ©Anuradha dey है मेरे मोला