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Anas Akbari
Regret रोया मैं हज़ार आंख से सुब्ह तलक हर क़तर ए अश्क,दीद ए -पुरनम था दीवाना गालिब़ #अनस अकबरी
Naushad Sadar Khan
लड़की ने लिखा ज़र्रा तो दरिया हो गया लड़के ने लिखा दरिया तो ज़र्रा भी ना हुआ ..!!!! 😁😁😁😁😁 दर्द ए लेखक भेदभाव कबतक
Gyanu Sagar
मुकद्दर में हर चीज भगवान नहीं लिखता कभी-कभी हम इंसान भी लिखते हैं ©Gyanu Sagar मुकद्दर के लेखक
Rashid Akela
"तपिश-ए-इश्क" जमीं और आसमां के मिलन का वक्त आया है। चंचल मन में एक नया उमंग भर आया है। देख इश्क-ए-उल्फ़त आज सावन भी मुस्कुराया है। !!1!! प्रियतम को रिझाने का वक्त आया है। तपिश इश्क की बुझाने का वक्त आया है। देख इश्क-ए-उल्फ़त आज सावन भी मुस्कुराया है। !!2!! दीदार-ए-हुस्न का वक्त आया है। चाँद जमीं पर उतर आया है। देख इश्क-ए-उल्फ़त आज सावन भी मुस्कुराया है। !!3!! रूठने मानाने का वक्त आया है। प्रियशी ने प्रियतम की याद में खूब अश्रु बहाया है। देख इश्क-ए-उल्फ़त आज सावन भी मुस्कुराया है। !!4!! जिसने सहा दर्द-ए-दिल समझ पाया है। सुन विरह-वेदना अकेला का भी नैन भर आया है। देख इश्क-ए-उल्फ़त आज सावन भी मुस्कुराया है। !!5!! ©Rashid Akela तपिश-ए-इश्क़ (लेखक -रशीद अकेला) #OneSeason
INDRAJEET KUMAR,
धुधुले से आईने में मैं दिखता रहूगा जब जब उभरेगा दिलो में दर्द तब तब मैं आकर कुछ लिखता रहूगा अल्फ़ाज ए दिल के
Thakur Vivek Krishna
ऐ मंजिल के राही तू न विश्राम कर, आ जाए गर मुकाम तेरा फिर भी न आराम कर ! चलता ही रह तूफानों की तरह, इस जग के लिए तो कोई अच्छा काम कर, आ भी जाए अगर तेरे पथ में कोई आंधी, अथक निर्भय चलता रह रे मांझी । तम को चीर उजाले की ओर बढ़, अपने पैरों को तू सफलता की ओर गढ़, हो भी अगर राह में कोई चट्टान, अथक निर्भय चलता रह रे चाहे हो सड़क या श्मशान। ऐ मंजिल के राही तू न विश्राम कर, आ जाए गर मुकाम तेरा फिर भी न आराम कर, चलता ही रह तूफानों की तरह इस जगके लिए तो कोई अच्छा काम कर। ऐ मंजिल के राही तू न विश्राम कर….. होगा तेरा भी इक दिन सवेरा तब तक न कर तू राही कहीं बसेरा, ऐ मंजिल के राही तू न विश्राम कर अथक निर्भय चलता रह न कहीं आराम कर ! निरंतर संघर्षों से तू सीखता चल, आएगा तेरा भी दिन वो पल, रे पथिक तू उस पल का तो इंतजार कर ! ऐ मंजिल के राही तू न विश्राम कर…… ©Thakur Vivek Krishna ए मंजिल के राही....