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Vivek Pacherwal

*Circle* *बूंदी जिले की मेज नदी में सवारियों से भरी बस गिरने का* https://circle.page/post/2229750?utm_source=an&person=671939 *कोटा से हज़ा

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*Circle*
*बूंदी जिले की मेज नदी में सवारियों से भरी बस गिरने का*
https://circle.page/post/2229750?utm_source=an&person=671939

*कोटा से हज़ा

Ravendra

- रिक्शा अनियंत्रित होकर खाई में पलटा, बहराइच में इमामगंज नहर चौराहे पर सवारियों से भरा ई - रिक्शा अनियंत्रित होकर खाई में पलटा, बाल बाल टला #न्यूज़

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R.S. Meena

बस और होली होली से एक दिन पहले हुए सवार बस में जालोर से। थी सवारियाँ भरी हुई बस में खचाखच दोनो ओर से।। कर्मभूमि से जन्मभूमि जाने का उत्साह #yqdidi #rsmalwar

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बस और होली
होली से एक दिन पहले हुए सवार बस में जालोर से।
थी सवारियाँ भरी हुई बस में खचाखच दोनो ओर से।।

कर्मभूमि से जन्मभूमि जाने का उत्साह कम ना था,
भरी हुई थी बस, मगर रंग खून का कम ना था ।
सफर तय करते हुए, आ पहुँचे गुलाबी शहर,
लिया ऑटो का सहारा, पहुँचने को रामगढ़ मोड़,
पहुँचे वहाँ, जहाँ से गाँव जाने वाली बस की है डगर ।
सवारियों के मन में थी होली के रंग में रंगने की होड़।

आठ बजे की बस दो घण्टे पहले ही भर गई दोनो छोर से।
थी सवारियाँ भरी हुई बस में खचाखच दोनो ओर से।।

थी महिलाएँ बेचैन भीड़ में, लिए हुए गोदी में प्रहलाद को,
कहीं गुस्सा था चेहरे पर, कहीं घूरती हुई नजरे प्रसाद को।
नौंक-झौंक भी चली सवारी और परिचालक के बीच में,
हुआ उठा के नीचे फेंकने का वाद, चढ़ती हुई भीड़ में।
धीरे-धीरे चल रही थी बस, चरमरा रहे थे टायर जोर से,
मेरे पैसे वापस नहीं दिए, आवाज दब गई भीड़ के शोर से।

हिचकोले खाते हुए पहुँच गए अपने गाँव जालोर से।
थी सवारियाँ भरी हुई बस में खचाखच दोनो ओर से।। बस और होली
होली से एक दिन पहले हुए सवार बस में जालोर से।
थी सवारियाँ भरी हुई बस में खचाखच दोनो ओर से।।

कर्मभूमि से जन्मभूमि जाने का उत्साह

Rajesh Verma

तंत्र की मिलीभगत से नियमों की उड़ती धज्जियां , जिम्मेदार मोन ? By राजेश वर्मा गुरुवार 05/08/2021 राजगढ़ --- सय्या भये कोतवाल तो डर काहे का? यह #Olympic2021

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तंत्र की मिलीभगत से नियमों की उड़ती धज्जियां , जिम्मेदार मोन ?
By राजेश वर्मा
गुरुवार 05/08/2021
राजगढ़ --- सय्या भये कोतवाल तो डर काहे का? यह मुहावरा सत्य साबित हो रहा है। शासन के द्वारा बनाये नियमो की धज्जियां सरे आम उड़ती हुई दिखाई दे रही है।जिम्मेदार आँख बंद कर मोन बैठे है वही सत्ता के सौदागर रोटियाँ सेक रहे है।
तीसरी लहर का खोफ नही --- विश्व आज वैश्विक महामारी कॅरोना से लड़ रहा है , सरकार बार बार आगाह कर रही है कि तीसरी लहर खतरनाक साबित हो सकती है और कॅरोना की तीसरी लहर दस्तक दे चुकी है फिर भी बिना माक्स के बाजारों में रौनक बढ़ रही है , वही सोसल डिस्टेडिंग का पालन नही किया जा रहा है।सड़क मार्ग पर चलने वाली यात्री बसों में भी क्षमता से अधिक सवारियों को बिठाया जा रहा है । यहाँ तक कि चालक - परिचालक भी बिना माक्स के दिखाई दे रहै है।सरकार की बार बार चेतावनी के बाद भी महामारी को बहुत हल्के में ले रहे है और स्थिति अगर बिगड़ेगी तो सारा दोष सरकार ओर प्रशासन लगाने से सत्ता के सौदागर पीछे नही रहेंगे। दुकानों , बैंकों आदि स्थानों पर भी सोशल डिस्टेडिंग की सरे आम धज्जियां उड़ाई जा रही है।
सूचना के अधिकार की धज्जियां उड़ाता तंत्र --- सूचना के अधिकार कानून 2005 के तहत ग्रामीण यांत्रिकी विभाग सरदारपुर को दिनाँक 06/08/2020 को आवेदन दिया गया जिसकी प्रथम अपील दिनाँक 28/09/2020 को की गई लेकिन जिम्मेदार आज तक मोन है । इसी प्रकार वन विभाग सरदारपुर को भी दिनाँक 06/08/2020 को आवेदन दिया गया जिसकी प्रथम अपील   28/09/2020 को की गई । इसी प्रकार भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ( NHAI-47 ) को भी दिनाँक 28/09/2020 को आवेदन दिया गया परन्तु भ्रष्ट तंत्र के कानों में जू तक नहीं रेकी आज तक । जिम्मेदार अगर जिम्मेदारी से भागने लगे और नियमों की इसी प्रकार धज्जियां उड़ाई जायेगी तो फिर नियम बनाये क्यो?
समस्याओं के लिये जिम्मेदार कौन --- नगर में व्याप्त समस्याओं के लिये जिम्मेदार कौन? इसका अर्थ यह है कि समस्या का समाधान कोई चाहता ही नहीं । बारिस के चलते नगर की सड़कें कीचड़ से भरी पड़ी है क्योंकि पानी के निकासी की पर्याप्त सुविधा नही  है । समय समय पर नालियो की सफाई नहीं हो पाने के कारण भी समस्या उत्पन्न होती हैं। ओटले बनने के कारण भी नालियों की सफाई में दिक्कत उत्पन्न होती है। रसूखदारों ने 05 से लेकर 10 फ़ीट तक के ओटले बना दिये है और यहाँ तक कि गलिया भी खत्म हो गई परन्तु मोन है?
अवैध फिर भी मिलीभगत से सब सम्भव --- नगर में लगभग तीस से अधिक कालोनियां है जिससे सिर्फ तीन कालोनी ही नगर परिषद को हस्तांतरित की गई है लेकिन जिन्होंने अभी तक हस्तांतरित नही की वहाँ पर बिजली , पानी की व्यवस्था कैसे  पहूंची , यह एक जांच का विषय है ।
समस्या उत्पन्न करते हे तंत्र मोन  हे और जब कोई सख्त अधिकारी कार्यवाही करते हे तो वोटो के सौदागर सड़क पर उत्तर जाते हे , समस्या का समाधान करने की बजाय समस्या पैदा क्र देते हे /अगर नियम बनाने वाले ही नियमो की धज्जियां उड़ायेगे तो आम जन को न्याय कैसे मिलेगा ? प्रजा ओर तंत्र की मिलीभगत से समस्या उत्पन्न की जा सकती है परंतु समस्या का समाधान से राष्ट्र के विकास का मार्ग प्रदस्त किया जा सकता है।जय हिंद

©Rajesh Verma तंत्र की मिलीभगत से नियमों की उड़ती धज्जियां , जिम्मेदार मोन ?
By राजेश वर्मा
गुरुवार 05/08/2021
राजगढ़ --- सय्या भये कोतवाल तो डर काहे का? यह
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