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Parasram Arora
Unsplash सभ्यता क़ी छीद्रित टोकरी को उलट कर अब न जाने उसमे क्या कुछ संग्रहित करने क़ी चेष्टा क़ी जा रहीं है सस्कृति का धुँवा अब विषैला हो चुका और समपूर्ण राष्ट्र के वातायन को कालीख पोत कर स्याह करने क़ी कोशिश क़ी जा रहीं है इसके बावजूद हमारे राजनेताओं द्वारा ऐसी सभ्यता और संस्कृति को बरकरार रखने क़ी कोशिश क़ी जा रहीं है ©Parasram Arora सभ्यता और सस्रकृति का विषैला धुआँ
सभ्यता और सस्रकृति का विषैला धुआँ
read moreAshraf Fani
बड़ी हसीन शाम है आप ही के नाम है साक़ी है पियालें हैं महफ़िल है जाम है बड़ी हसीन शाम है आप ही के नाम है ©Ashraf Fani बड़ी हसीन शाम है आप ही के नाम है साक़ी है पियालें हैं महफ़िल है जाम है
बड़ी हसीन शाम है आप ही के नाम है साक़ी है पियालें हैं महफ़िल है जाम है
read moreSANIR SINGNORI
वही पल है, वही है शाम-ए-हज़ीं... आज फिर बिछड़े हम दिसम्बर में.. 🥀💯 . ©SANIR SINGNORI वही पल है वही है शाम-ए-हज़ीं आज फिर बिछड़े हम दिसम्बर में
वही पल है वही है शाम-ए-हज़ीं आज फिर बिछड़े हम दिसम्बर में
read moreSANIR SINGNORI
वही पल है, वही है शाम-ए-हज़ीं.. आज फिर बिछड़े हम दिसम्बर में.. 🥀💯 . ©SANIR SINGNORI वही पल है वही है शाम-ए-हज़ीं आज फिर बिछड़े हम दिसम्बर में
वही पल है वही है शाम-ए-हज़ीं आज फिर बिछड़े हम दिसम्बर में
read moreAvinash Jha
White याद आती है वो शाम याद आती है वो शाम, जब सूरज ढलता था, आंगन में बैठकर, चाय का कप सजता था। हवा में थी खुशबू, मिट्टी की सौंधी-सौंधी, हर कोने में थी ख़ुशी, हर बात थी मीठी-मीठी। गली में बच्चों की हंसी, और पतंगों का खेल, उन दिनों का हर लम्हा, जैसे कोई सुंदर मेल। दादी की कहानियां, जो दिल को बहलाती थीं, वो गाने, जो माँ गुनगुनाती थीं। सांझ के दीपक, जो अंधेरे को मिटाते थे, हमारे सपनों में उजाले भर जाते थे। खुला आकाश, तारे गिनने का जुनून, जैसे हर रात थी कोई अनोखा सुकून। वो दोस्ती, जिसमें दिखावा न था, हर बात में बस अपनापन था। मिट्टी के घरों में भी, खुशियों का वास था, कम साधनों में भी, भरपूर उल्लास था। अब वक़्त बदला, पर दिल वही ठहरा है, उन बीते पलों का जादू आज भी गहरा है। याद आती है वो शाम, वो मासूम दिन, जिनमें छिपा था सच्चा जीवन का संगम। ©Avinash Jha #याद #शाम
F M POETRY
White आजा मेरे ख्वाबों की महज़बीन शाम है.. आ देख मेरे साथ क्या हसीन शाम है.. तन्हाँ न समझ आएंगे रंगीन नज़ारे.. आ मैं तुझे दिखाता हुँ रंगीन शाम है.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #शाम है...
#शाम है...
read moreShiv Narayan Saxena
White ढलता सूरज शाम का, रह रह दे आवाज़। सुबह नयी नये लक्ष्य का, करिये फिर आगाज़।। ढलता सूरज शाम का, कह बतलाये बात। समय चुके पछताय क्या, मत कर आलस तात।। कठिन समय से जीतना, सबसे कठिन मुकाम। बिना समय के एक भी, बने न बिगड़े काम।। ©Shiv Narayan Saxena #GoodMorning ढलता सूरज शाम का... hindi poetry
#GoodMorning ढलता सूरज शाम का... hindi poetry
read moreF M POETRY
White ज़ाम लेते हैं तेरी यादों में.. सुबह लेते हैं शाम लेते हैं.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #सुबह लेते हैं शाम लेते हैं.....
#सुबह लेते हैं शाम लेते हैं.....
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