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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Unsplash "शमा"सुधर क्यूं नहीं जाता ये मुआश्रा.....? मैने हर बलिवेदी पर बिन्त_हव्वा को अग्नि परीक्षा देते देखा है...?? #Shamawritesbebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Book "शमा"सुधर क्यूं नहीं जाता ये मुआश्रा,मैने हर बलिवेदी पर बीन्त हव्वा को अग्नि परीक्षा देते देखा है...?? #Shamawritesbebaak
#Book "शमा"सुधर क्यूं नहीं जाता ये मुआश्रा,मैने हर बलिवेदी पर बीन्त हव्वा को अग्नि परीक्षा देते देखा है...?? #shamawritesBebaak
read moreSunil Kumar Maurya Bekhud
अग्नि जलती हुई अग्नि कहती है मेरे भीतर ताप पास बुलाती यदि हो कोई रहा ठंड से कांप मुझे देख भयभीत है कोई किसी को मुझसे प्रीत मेरे ऊपर लिखे गए हैं अगणित सुंदर गीत धधक रही हूँ किसी हृदय में बन नफरत या प्रेम या फिर मैं प्रतिशोध रूप में ज्वाला मेरी देन चूल्हे में जाकर मैं प्रतिदिन सबकी भूख मिटाती मुझसे अहित न होने पाए दुनिया को समझाती बेखुद ईश्वर से विनती है हाथ जोड़कर मेरी परहित में न होने पाए कभी भी मुझसे देरी ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #अग्नि
IG @kavi_neetesh
Unsplash हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरानी हो गई। बोल पड़े हम घर में भाई फिर खींचातानी हो गई। मुंह फेर लिया अपनों ने रिश्तेदार भी रूठ गए। बड़े जतन से बांध रखा वो प्रेम के मोती टूट गए। घर में दीवारें खिंच गई मकान बिकाऊ हो गया। समझदार थे उनका अब पुत्र कमाऊ हो गया। कैसे बांध सके वो डोरी जलन पड़ी थी पांवों में। तुच्छ स्वार्थ से शूल बिछाए सूनी सी इन राहों में। संभल संभलके चलते फिर भी धोखा मिलता है। पांव से जमी खिसकती कभी फैसला हिलता है। जिसका पलड़ा भारी होता लोग उधर हो जाते हैं। सलाह मशवरे आकर हमको रोज देकर जाते हैं। रिश्तेदारों को भी जाने क्यों ये परेशानी हो गई। हमने जब अपना हक मांगा तो हैरानी हो गई। अपनी मेहनत हक का खाना बेईमानी हो गई। न्याय की खातिर टूट पड़े तो खींचातानी हो गई। ©IG @kavi_neetesh #camping Extraterrestrial life Entrance examination Hinduism Aaj Ka Panchang Kalki हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरान
#camping Extraterrestrial life Entrance examination Hinduism Aaj Ka Panchang Kalki हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरान
read moreJitendra Giri Hindu
"कठिनाइयाँ हमें मजबूत बनाती हैं।" - यह हमें याद दिलाता है कि चुनौतियाँ हमारे विकास का हिस्सा हैं। ©Jitendra Giri Hindu पॉजिटिव गुड मॉर्निंग कोट्स मोटिवेशनल कोट्स कोट्स इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स हिंदी गुड मॉर्निंग कोट्स कठिनाइयाँ हमें मजबूत बनाती हैं – यह एक
पॉजिटिव गुड मॉर्निंग कोट्स मोटिवेशनल कोट्स कोट्स इन हिंदी मोटिवेशनल कोट्स हिंदी गुड मॉर्निंग कोट्स कठिनाइयाँ हमें मजबूत बनाती हैं – यह एक
read moreIG @kavi_neetesh
White एक सवाल --------- एक सवाल देश से, देश से नहीं,देश के नेताओं से, आमजन को, क्यों जाति, धर्म में बांटना चाहते है? आखिर क्यों देश तोडना चाहते है?। --- सत्ता किसी की स्थायी नहीं होती, समय की धार में बहती रहती, फिर क्यों उसे अपनी निजी सम्पत्ति समझते हों? क्यों सत्ता के लिये धर्म जाति के, तुष्टिकरण की राजनीति करते हों ?। ---- क्यों देश को अगड़े पिछड़े और भी कई टुकड़ों में में बाँट रहें हों? क्यों देश के अपराधियों, आतंकियों की ढाल बन रहें हों ?। ---- आखिर क्यों नहीं सोचते, ज़ब देश रहेगा,तभी हम आप रहेंगे, आज जिन्हें सत्ता के लिये पनाह दें रहें, वही कल हमें विकट संताप देंगे, हमारी धर्म संस्कृति को निगल जायेगे, हमारे निशान भी सिर्फ इतिहास में नजर आयेंगे। ---- जिन जातियों की राजनीति कर रहें, उन जातियों के निशान भी न रहेंगे, हमारे धर्म संस्कृति संस्कार सब नष्ट होंगे। ---- अभी वक़्त हैं, संभल जाओ, महा विनाश को न बुलाओ आतंकी दस्तक आज,हर तरफ सुनाई दें रहीं हैं, चेतावनियो के स्वरों की अग्नि प्रज्जवलित हों रहीं हैं, अराजकता की आग फैलने के पहले ही बुझाओ, तुष्टिकरण की राजनीति छोड़ राष्ट्र रक्षा में जुट जाओ। ©IG @kavi_neetesh #love_shayari एक सवाल --------- एक सवाल देश से, देश से नहीं,देश के नेताओं से, आमजन को, क्यों जाति, धर्म में बांटना चाहते है? आखिर क्यों दे
#love_shayari एक सवाल --------- एक सवाल देश से, देश से नहीं,देश के नेताओं से, आमजन को, क्यों जाति, धर्म में बांटना चाहते है? आखिर क्यों दे
read moreDevanand Jadhav
#SuryaNamaskar Hinduism ॐ मित्राय नमः ॐ रवये नमः ॐ सूर्याय नमः ॐ भानवे नमः ॐ खगाय नमः ॐ पुषणे नमः ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
read moreParasram Arora
White पवित्र सीता की अग्नि परीक्षा कराने का निर्णय नयाय संगत नहीं था हो सकता हैँ ये फैसला राम की रुग्ण मानसिकता का न परिंणाम हो ©Parasram Arora अग्नि परीक्षा
अग्नि परीक्षा
read moreसंस्कृत लेखिका तरुणा शर्मा तरु
स्वलिखित हिन्दी रचना संस्कृत अनुवाद सहित अनुवाद सहित शीर्षक सच्चा अनुभव . . विधा गहन विचार .
read moregudiya
पृथ्वी पृथ्वी तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार क्या तुम्हें चक्कर नहीं आते अपने आधे हिस्से में अंधेरा और आधे में उजाला लिए रात को दिन और दिन को रात करते कभी-कभी कांपती हो तो लगता है नष्ट कर दोगी अपना सारा घर बार अपनी गृहस्थी के पेड़ पर्वत शहर नदी गांव टीले सभी कुछ को नष्ट कर दोगी पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो तुम्हारी सतह पर कितना जल है तुम्हारी सतह के नीचे भी जल ही है लेकिन तुम्हारे गर्भ में गर्भ के केंद्र में तो अग्नि है सिर्फ अग्नि पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो कितने ताप कितने दबाव और कितनी आद्रता अपने कोयलों को हीरो में बदल देती हो किन प्रक्रियाओं से गुजर कर कितने चुपचाप रतन से ज्यादा रतन के रहस्य से भरा है तुम्हारा ह्रदय पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो -नरेश सक्सेना ©gudiya #NatureLove पृथ्वी पृथ्वी तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार
#NatureLove पृथ्वी पृथ्वी तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार
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