Find the Latest Status about होली कविता इन हिंदी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, होली कविता इन हिंदी.
खामोशी और दस्तक
कैसे खेलूं मैं कान्हा होली ' कैसे किसी रंग में रंग लूँ जो चढ़ा हैं रंग तोरे प्रेम का मोपे कैसे उस रंग को धो लूँ ना मोसे ये ना हो पाएगा रंग दूजा ना चढ़ पाएगा तू जा कान्हा अब किसी डगर मैं जोगन बन अब तोरी होली ' #NojotoQuote #होली #nojoto #हिंदी
Deep
हर शख़्स , रंग बदलता है रोज यहां ,, और लोग पूछते हैं कि होली कब हैं...#दीप #NojotoQuote #होली #हिंदी #रंग
roshan
आना है तॊ आ जाना है तो जा.... घुटने पे बैठके तुम्हे मनाना मुझे शोभा देगा क्या? पानी का नही नाम साब्जी को नही दाम बता गोल्डन नेकलेस तुम्हे दिलाऊ कैसे? कुवा सुख गया है नदी नाला रुख गया है बता तेरे प्यार मे शलांग लगाऊ कैसे? आना है तो आ जाना है तो जा.... बेजान सहै पत्थर पर बिना कुछ चडाये बता मान्नत मे तुझे उसीसे मांगु कैसे? भावनिक मै बहोत हू दिल मे तुम्हेहीं रखता हू पानी बचाते बचाते बता आसू अंखोसे बहाऊ कैसे? आना है तो आ जाना है तो जा..... ....रोशन देसाई.... 12/02/20 इन हिंदी
रणजीत राही देवास
White वो छुप छुप के मिलते हैं, पर बडे़ खुल के मिलते हैं। ©रणजीत राही देवास #Couple #होली #कविता
डॉ. दिलीप कुमार पारीक
रंग भरी जिंदगानी हो कोई कोना छूटे ना धागा रंगी तेरा मेरा चाहे कुछ हो टूटे ना। आओ गाल गुलाबी कर दूं हर हिस्से को रंग दूँ मैं। जीवन के हर एक दौर में जी भर तेरा संग दूँ मैं। जीवन में हर पल रहना बनकर के मधुमास मेरे गीत मेरे संगीत मेरे हर पथ के विश्वास मेरे। रंगें इक दूजे मन को कर लें दूर झमेले हम रंगों जो रंगना चाहो आओ होली खेलें हम। ©डॉ. दिलीप कुमार पारीक #होली #कविता #शायरी
डॉ. दिलीप कुमार पारीक
खुशियों को प्रह्लाद बनालें, होलिका बनालें उदासी को। आहूत करें सब तेरा मेरा, तुष्टि दें अखियाँ प्यासी को। चलो की फिर से हाथ मिलाएँ, दुख सारे तेरे हर दूं। तूं मेरे गाल गुलाबी कर और मैं तेरा दामन रंग दूं। ©डॉ. दिलीप कुमार पारीक #होली #कविता #शायरी
Devrajsolanki
होली की शà¥à¤à¤•à¤¾à¤®à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ होली अस्ताचल पे सूरज का दाहक स्वरूप लग रहा क्षितिज पे होलिका दहन सा। आहिस्ता-आहिस्ता बढ़ता अंधेरा भी आज लग रहा हैं धुएं सा उसका।। सुबह-सुबह गर्म स्पर्श कर जगा रही ये सूरज की किरणें भी रंग लगा रही। पत्तों पे बिछी ये बूंदा बांदी ओस की टपक के पिचकारी से नटखट व्योम की।। कुछ रंग रंगों में रंग रहे हैं रंग-रंगीन फ़िज़ा भी बन चुकी। रंगों में रास रचाती रुत भी राग-रागिनी सी लग रही।। फिर आई एक मोहक महक माहौल बनाने मधुर-मधुर। और कलियां भी जाग चुकी भौरों की सुन के गूंज-गूंज।। और अब आ रही है ध्वनि ढोल की। कुछ गाती उड़ती जा रही पंक्तियों में पंछियों की टोली भर-भर राग-रागिनी। प्रतीत होता है आज सभी नवजात कलियों का ढूंढोत्सव सा माहौल।। है बना विहंगम भी आज उमंग में रंगोली-रंगोली सा। ये धरती अम्बर घटा पवन सब लगे हैं आज होली सा।। - देवराज सोलंकी ©Devrajsolanki कविता "होली" #Holi #होली #holi2024 #devrajsolanki
हिंदीवाले
रंगीन होती ये होली खूबसूरत होता ये सफ़र यदि साथ होता तुम मेरे हमसफ़र #Happy_holi #होली #हिंदी #रचना
हिंदीवाले
रंगीन होती ये होली खूबसूरत होता ये सफ़र यदि साथ होता तुम मेरे हमसफ़र #Happy_holi #होली #हिंदी #रचना