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pradeep jirati sayarofficial
समुंदर की गहराई बस इतनी सी है ।। की लाखो जीव जंतु उसके अन्दर पलते है ।। किन्तु मोल किया जाए तो सारा पानी खारा लगता है। ©pradeep jirati sayarofficial समुद्र की गहराई
Raja
विनम्रता की ताकत – समुद्र और नदी की कहानी एक बार की बात हैं एक नदी को अपने पानी के प्रचंड प्रवाह पर घमंड हो गया। नदी को लगा कि मुझमे इतनी ताकत हैं कि मैं पत्थर, मकान, पेड़, पशु, मानव आदि सभी को बहा कर ले जा सकती हु। नदी ने बड़े ही गर्वीले और अहंकार पूर्ण शब्दों मे समुन्द्र से कहा -बताओ मैं तुम्हारे लिए क्या बहा कर लाउ? जो भी तुम चाहो मकान, बृक्ष, पत्थर, पशु, मानव आदि जो तुम चाहो मैं उसे जड़ से उखाड़ कर ला सकती हु। समुन्द्र समझ गया कि नदी को अहंकार हो गया हैं। उसने नदी से कहा – यदि तुम मेरे लिए कुछ लाना चाहती हो तो थोड़ी सी नर्म घास उखाड़ कर ले आओ। समुन्द्र कि यह बात सुनकर नदी बोली बस ! इतनी सी बात हैं। अभी आपकी सेवा मे हाजिर करती हूं। नदी ने अपने जल का पूरा वेग घास पर लगाया पर घास नहीं उखड़ी। नदी ने एक बार, दो बार, तीन बार… अनेक बार जोर लगाया। सभी प्रयत्न किये, पर बार बार प्रयत्न करने पर भी कोई सफलता नही मिली। आखिर हारकर समुन्द्र के पास पहुंची और बोली -मैं मकान, वृक्ष, जीव जंतु को बहाकर ला सकती हु पर नर्म घास को उखाड़कर नहीं ला सकती। जब भी मैंने घास को उखाड़ने के लिए पूरा वेग लगाकर उसे उखाड़ने का प्रयत्न किया तो वह नीचे कि ओर झुक जाती हैं और मैं खाली हाथ उसके ऊपर से गुजर जाती हूँ। समुन्द्र ने नदी की पूरी बात सुनी और कुछ देर विचार किया और फिर मुस्कुराते हुए बोला – जो पत्थर या वृक्ष जैसे कठोर होते हैं, वे आसानी से उखाड़े जाते हैं किन्तु घास जैसी विनम्रता जिससे सीख ली हो, उसे कोई प्रचंड वेग भी नहीं उखाड़ पता। नदी ने समुन्द्र की सारी बाते ध्यानपूर्ण सुनी और समझी। समझ मे आने पर नदी का घमंड चूर चूर हो गया। कहानी से सीख – विनम्रता से इंसान बड़ी से बड़ी कठिनाई का सामना कर लेता हैं। (writer) sanjeev नदी और समुद्र की कहानी
कवि सन्दीप जगन
होंठों पर मिश्री रखते है और कटारी हाथों में हमदर्दों की हमदर्दी अब दिखती केवल बातों में चार धरम में बाँट गये गोरे पहले ही भारत को फिर बाँट दिया नेताओं ने ऊँची नीची जातो में संदीप जगन आज की तस्वीर
D.P. Singh
तवाजुन हो, तकल्लुफ हो, तभी तकदीर बनती है, नफासत से, नज़ाकत से, कहां तूफ़ान आता है। अजल से ही,अमल से ही, सही तस्वीर बनती है, अदावत में, जहालत में, कहां इकराम होता है।। तकदीर की तस्वीर