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IG @kavi_neetesh
महाकुंभ ************ संगम तट पर त्रिवेणी के, अमृत जल स्नान करें। महाकुंभ का दर्शन करने, हम प्रयाग प्रस्थान करें। मित्रों बारह वर्ष बाद ही, महाकुंभ ये आता है। हरिद्वार, नासिक, प्रयाग या, ये उज्जैन दिखाता है।। देखो आया है प्रयाग में, चलकर हम सम्मान करें।। महाकुंभ का दर्शन करने.......... भारत भू की भव्य अस्मिता, नवरंगों में दिखलाते। महाकुंभ संस्कृति के गौरव, आर्ष मनीषी बतलाते।। पुण्य सलिल अवगाहन करके, दूर सभी अज्ञान करें।। महाकुंभ के दर्शन करने........ पुण्य मिलेगा, मोक्ष मिलेगा, अमृतमय जीवन होगा। वेद बताते, शास्त्र बताते, मंगलमय हर मन होगा।। अंतर्मन ज्योतित हो कैसे, आओ अनुसंधान करें।। महाकुंभ का दर्शन करने.......... ©IG @kavi_neetesh #river Hinduism Entrance examination Kartik Aaryan Aaj Ka Panchang Extraterrestrial life महाकुंभ ************ पुण्य सलिल अवगाहन कर
#river Hinduism Entrance examination Kartik Aaryan Aaj Ka Panchang Extraterrestrial life महाकुंभ ************ पुण्य सलिल अवगाहन कर
read moreharikesh
White ✍️ 6 वी 🙏 अभी और कर तू 1. इस रंग बिरंगी दुनियां में तू भी अपना रंग जमा उढ़ जाग अपने अंधियारे से खुद को नईं राह दिखा आँखें खोल, देख और कुछ कर तू अभी और और थोड़ा और कर तू 2. तू खुद में झाँक जरा, और खुद पर अनुसंधान कर यहां जो खुद से जागा, उसने नया दिखाया आविष्कार यहां मन बिखरा तेरा, इक्कटा कर तू अभी और कर तू 3. मन बिखरा, समय निकला, कभी खुद को पूछा, क्या किया साथ तेरे जो आज है कल कहां, पाजेब देख, क्या जमा किया कुछ नही, कुछ नही, फिर क्या तू अभी और कर तू 4. जिसने कल किया, आज उसी का तो चर्चा है तू इंशा वो भी इंशा, जिसका दरो दीवार पे पर्चा है खुद से, खुद के, समय से छल न कर तू अभी और और थोड़ा और कर तू ✍️ ©harikesh अभी और कर तू 1. इस रंग बिरंगी दुनियां में तू भी अपना रंग जमा उढ़ जाग अपने अंधियारे से खुद को नईं राह दिखा आँखें खोल, देख और कुछ कर तू अभी
अभी और कर तू 1. इस रंग बिरंगी दुनियां में तू भी अपना रंग जमा उढ़ जाग अपने अंधियारे से खुद को नईं राह दिखा आँखें खोल, देख और कुछ कर तू अभी
read moregudiya
पृथ्वी पृथ्वी तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार क्या तुम्हें चक्कर नहीं आते अपने आधे हिस्से में अंधेरा और आधे में उजाला लिए रात को दिन और दिन को रात करते कभी-कभी कांपती हो तो लगता है नष्ट कर दोगी अपना सारा घर बार अपनी गृहस्थी के पेड़ पर्वत शहर नदी गांव टीले सभी कुछ को नष्ट कर दोगी पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो तुम्हारी सतह पर कितना जल है तुम्हारी सतह के नीचे भी जल ही है लेकिन तुम्हारे गर्भ में गर्भ के केंद्र में तो अग्नि है सिर्फ अग्नि पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो कितने ताप कितने दबाव और कितनी आद्रता अपने कोयलों को हीरो में बदल देती हो किन प्रक्रियाओं से गुजर कर कितने चुपचाप रतन से ज्यादा रतन के रहस्य से भरा है तुम्हारा ह्रदय पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो -नरेश सक्सेना ©gudiya #NatureLove पृथ्वी पृथ्वी तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार
#NatureLove पृथ्वी पृथ्वी तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार
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