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Devesh Dixit

#teachers_day गुरु (दोहे) गुरु मिलता जब शिष्य को, मिलती खुशी अपार। देते विद्या दान हैं, भरे ज्ञान भंडार।। गुरु की महिमा है बड़ी, शिक्षा द #Poetry #Sethi

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Ashraf Fani

ताउम्र शागिर्द रहो उस्ताद हो जाओगे आजीवन शिष्य रहो गुरु बन जाओगे Always be student you will be a Teacher #teachers_day #मोटिवेशनल #ashraffani

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White ताउम्र शागिर्द रहो
उस्ताद हो जाओगे

आजीवन शिष्य रहो
गुरु बन जाओगे

Always be student
you will be a Teacher

©Ashraf Fani【असर】 ताउम्र शागिर्द रहो
उस्ताद हो जाओगे

आजीवन शिष्य रहो
गुरु बन जाओगे

Always be student
you will be a Teacher

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- बनो प्रचारक हिंद के , हिंदी में दो ज्ञान । मिल जायेगा एक दिन , ऊँचा तुमको स्थान ।। हिंदी भाषा से यहाँ , जो भी हुआ प्रवीण । आज उसे #कविता

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White दोहा :-
बनो प्रचारक हिंद के , हिंदी में दो ज्ञान ।
मिल जायेगा एक दिन , ऊँचा तुमको स्थान ।।

हिंदी भाषा से यहाँ , जो भी हुआ प्रवीण ।
आज उसे संसार में , मानो तुम उत्तीर्ण ।।

बनकर शिक्षक शिष्य को , दिखलाते जो राह ।
ऐसे गुरुवर की शरण , मिले शिष्य की चाह ।।

हिंदी भाषा का सदा , करते हैं गुणगान ।
इससे ही अब हो रही, अपनी भी पहचान ।।

मिला हमें गुरुदेव का , जबसे आशीर्वाद ।
छन्द ग़ज़ल दोनों रचे , सब देते हैं दाद ।।

हिंदी में ही राम का , वृक्ष करे गुणगान ।
निकट अयोध्या देख लो , जाकर तुम अब स्थान ।।

 महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-

बनो प्रचारक हिंद के , हिंदी में दो ज्ञान ।
मिल जायेगा एक दिन , ऊँचा तुमको स्थान ।।

हिंदी भाषा से यहाँ , जो भी हुआ प्रवीण ।
आज उसे

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- मिलकर करना वंदना , कहते पुराण वेद । कट जायेंगे कष्ट सब , करो न कोई भेद ।। हृदय रखो विश्वास तो , चले राम जी साथ । बस कर लो अनुभूति य #कविता

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दोहा :-
मिलकर करना वंदना , कहते पुराण वेद ।
कट जायेंगे कष्ट सब , करो न कोई भेद ।।

हृदय रखो विश्वास तो , चले राम जी साथ ।
बस कर लो अनुभूति यह ,  वे ही थामें हाथ ।।

कैसे मानूँ मैं यहाँ ,हूँ मैं एक अनाथ ।
चलते भोलेनाथ जी , थामें मेरा हाथ ।।

सोम-सोम उपवास कर , भर मन में विश्वास ।
हरे व्याधि शिवनाथ जी , रखना इतनी आस ।।

रिश्तों में विश्वास ही , हुए मनुज के प्राण ।
अगर नहीं विश्वास तो , मधुर वचन भी बाण ।।

मातु-पिता भगवान हैं , कर भी लो विश्वास ।
उनसे ही तो पूर्ण है, जीवन की हर आस ।।

गुरुवर होते देव हैं , देते समुचित ज्ञान ।
जिसको पाकर शिष्य सब , बन जाते इंसान ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-
मिलकर करना वंदना , कहते पुराण वेद ।
कट जायेंगे कष्ट सब , करो न कोई भेद ।।

हृदय रखो विश्वास तो , चले राम जी साथ ।
बस कर लो अनुभूति य

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- ज़िन्दगी से जो  शिकायत होगी  गम छुपाने की भी आदत होगी प्यार की जब भी जरूरत होगी  सोने चाँदी की न कीमत होगी  #शायरी

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ग़ज़ल :-
ज़िन्दगी से जो  शिकायत होगी 
गम छुपाने की भी आदत होगी

प्यार की जब भी जरूरत होगी 
सोने चाँदी की न कीमत होगी 

मिल जायेंगे तुम्हें गुरुवर अच्छे 
जब तुम्हें ज्ञान की चाहत होगी 

बात मानें शिष्य जो गुरुवर की 
दावा है मेरा न दिक्कत होगी 

जो उछलते हैं पाकर दौलत को
सच कहूँ पास न  दौलत होगी 

क्या बुरा क्या भला वे क्या जानें
जिनमें झूठी ही नसीहत होगी 

मत करो चर्चा वफ़ा का हमसे 
सब समझता क्या हक़ीक़त होगी 
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-

ज़िन्दगी से जो  शिकायत होगी 
गम छुपाने की भी आदत होगी

प्यार की जब भी जरूरत होगी 
सोने चाँदी की न कीमत होगी 

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- स्कूल सभी सरकार के , होने दो अब बन्द । बच्चे सब निर्गुण दिखे , शिक्षक ले आनंद ।। मातु-पिता क्यों शिष्य के , आज हुए है खिन्न । शिक्षा #कविता

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White दोहा :-
स्कूल सभी सरकार के , होने दो अब बन्द ।
बच्चे सब निर्गुण दिखे , शिक्षक ले आनंद ।।
मातु-पिता क्यों शिष्य के , आज हुए है खिन्न ।
शिक्षा स्तर यह किसलिए , बोल हुआ है निम्न ।
कुछ बालक नादान है, मातु-पिता मजबूर ।
कुछ से शिक्षा आज भी , होती कोसो दूर ।।
अब सरकारी स्कूल की , करना मत फरियाद ।
बच्चे प्राईवेट में , रखे नई बुनियाद ।।
दिन आये ये याद क्यों , दिल पे किया प्रहार ।
नौकर बन सरकार के , करते आत्याचार ।।
ऐसे लोगो की यहाँ , कौन करे परवाह ।
जो रख दौलत पास में , करे और की चाह ।।
धन सम्पत व्यापार का , महत्व जो हो बन्द ।
गली-गली फिर देखना, मिल जायेंगे नन्द ।।
ग्वाला अब जग में नही , दिखे रूप इंसान ।
मौका पाते आज जो , बन जाते शैतान ।।
क्षमा याचना कर रहा , गुरुवर से इस बार ।
बुद्धि हीन की आप ही, हाथ रखो पतवार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-
स्कूल सभी सरकार के , होने दो अब बन्द ।
बच्चे सब निर्गुण दिखे , शिक्षक ले आनंद ।।
मातु-पिता क्यों शिष्य के , आज हुए है खिन्न ।
शिक्षा
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