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Kiran Chaudhary
Unsplash Instant messaging के इस दौर में मुझे खत लिखना पसन्द है।। ©Kiran Chaudhary Instant messaging के इस दौर में मुझे खत लिखना पसन्द है।।
Instant messaging के इस दौर में मुझे खत लिखना पसन्द है।।
read moreVEER NIRVEL
जो किस्मत में नही होते है उन्हें लोग, Gallery में संभाल के रखते हैं.... #Chai_Lover ©VEER NIRVEL जो किस्मत में नही होते है उन्हें लोग, Gallery में संभाल के रखते हैं.... #Chai_Lover
जो किस्मत में नही होते है उन्हें लोग, Gallery में संभाल के रखते हैं.... #Chai_Lover
read moreVinod Mishra
Abhay Shaw (8100233007)
#poetryunplugged #LIFENEVERDIES किसी के दिल में प्यार हमेशा के लिए रहता है ...!! Love ❤️
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी वैज्ञानिकों की कारगुजारियों के चलते मौसम रंग बदल रहे है बायु प्रदूषण में केमिकल्स और वाहनों के अंधाधुंध प्रयोग शामिल हो रहे है कैसे पनपे कोई स्वस्थ्य बीज पौधा बनकर यूरिया और कीटनाशक मिट्टी के कण कण में पनप रहे है जहरीला हर खाद्यान्न भोजन के रूप में है केंसर के रूप में विश्वभर के लोगो को लील रहै है सभ्यताओं के विकास में पागलपन इतना बढ़ गया जीवन हम सब अपना बीमारियों के रूप में ढ़ोह रहे है चिंता शुद्व हवा पानी की करते करते असभ्यताओ के बीज विषरूप में बो रहे है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #WorldEnvironmentDay असभ्यताओ के बीज विषरूप में बो रहे है
#WorldEnvironmentDay असभ्यताओ के बीज विषरूप में बो रहे है
read morekuldeepbabra
White तमाम सितारे मेरे पास हैं फिर भी इन सितारों में मैं अकेला ही नजर आता हूं मैं वह चांद हूं जो हर किसी को भाता हूं और किसी को तो मैं पसंद भी नहीं आता हूं good night 🌃🌉 ©kuldeepbabra हजारों के बीच में भी अकेला है सपने # good morning wishes
हजारों के बीच में भी अकेला है सपने # wgood morning wishes
read moreनवनीत ठाकुर
White हसरतों की चाहत में राहत न मिली, कुदरत ने बख्शी इबादत जो दिली। मोहब्बत का सागर था गहराई से भरा, नफ़रत ने लेकिन उसे टुकड़ों में मरा। शिकायत से बेहतर है करना इनायत, हिदायत के रस्ते पे छोड़ दे सियासत। ©नवनीत ठाकुर मोहब्बत का सागर था गहराई से भरा, नफ़रत ने लेकिन उसे टुकड़ों में मरा।
मोहब्बत का सागर था गहराई से भरा, नफ़रत ने लेकिन उसे टुकड़ों में मरा।
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी अस्तित्व किस किस का डूबा उबाल की सियासतों में जिक्र कही उनका नही है कितने उसूल तोड़े तड़का कुर्सियों के पाने में लगाया है अदरक की तरह कुटा पिटा आमजन तब कही जाकर सत्ता की चाय का स्वाद आया है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #teatime तड़का कुर्सियों के पाने में लगाया है
#teatime तड़का कुर्सियों के पाने में लगाया है
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