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Rajni kant dixit
नजरों को चुराकर. अश्कों से दामन भीगोती है. रह गया अधूरा मन उसका. कब मिलोगे बस यही सोचती है.. वादे हैं उसके बहुत मगर. ख्वाबों में सब परछाई है. जब किस्मत साथ नहीं उसके. तो कैसी मिलन सगाई.. © shayer rajnikantdixit(अधूरा ख्वाब ) # नजरों को चुराकर..
Shashi Bhushan Mishra
चोर दरवाजे से आया दिल दिखाकर ले गया, कोई मेरे नाम अपना गम लिखाकर ले गया, इश्क़ की तासीर ऐसी थी नहीं रोका उसे, बह गया ज़ज़्बात कश्ती में बिठाकर ले गया, इसतरह मझधार में नौका रही बरसों-बरस, माज़ी मेरी ज़िन्दगी दिल में बसाकर ले गया, उसकी चाहत में खुदी को भूल बैठा बेख़बर, नाखुदा मुझसे मेरा सपना चुराकर ले गया, जीतने का शौक था उसको जुनून-ए-इश्क़ में, पसंदीदा चीज वो सबकुछ लुटाकर ले गया, एकदिन माँगी दुआ रब से तेरे दीदार की, फ़रिश्ता आया मुझे घर से उठाकर ले गया, चाँदनी की वर्क़ फैली थी वहाँ हर सिम्त में, जहालत की धुँध को 'गुंजन' हटाकर ले गया, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #सपना चुराकर ले गया#
Satish Kumar Meena
तुमने तो मेरी बात ना सुनी,मैं कुछ लेकर आया हूं। मेरे हमसफर तेरे लिए,,मैं चांद चुराकर लाया हूं।। तुम तो मेरी उम्र के लिए, बिन पानी रह जाती हो,, भूखी प्यासी देह से मेरे, कंठ को तर कर जाती हो,, एक छोटे करवे का पानी, तुमको तृप्त कर देता हैं, पर मेरे मन को तेरा त्याग, क्षण भर में हर लेता है,, मैं कर्ज चुका ना पाऊंगा,फिर भी कुछ देने आया हूं। मेरे हमसफर तेरे लिए,, मैं चांद चुराकर लाया हूं।। तुम मेरी अर्धांगिनी हो, आधा अंग कहलाती हो,, संगिनी हो जीवन की मेरी, क्यों चरणों में गिर जाती हो,, पूरे ब्रह्मांड में तारे बहुत थे, कहीं से एक चांद निकलना था, मेरी किस्मत की रेखा को, तेरी चांदनी से चमकना था,, मेरे हृदय का टुकड़ा हो तुम,धड़कन मेरी, मैं साया हूं। मेरे हमसफर तेरे लिए,,मैं चांद चुराकर लाया हूं।। ©Satish Kumar Meena मैं चांद चुराकर लाया हूं
Anuj Ray
गणित के प्रश्नों से जी चुराकर, किसी तरह से पास तो कर लोगे। जीवन की कसौटी पर ,अंक मिलाने के समय बार-बार विफल होगे। ©Anuj Ray # गणित के प्रश्नों से जी चुराकर,
@NC
एक ख़ुशी है जो पाने की हर ख़ुशी है मेरे पास... एक छोटा सा गुड़िया हो... जो खेले मेरे साथ मन बिचलीत हो जाता है जब होती हूँ मैं उदास क्या क़सूर मेरा है बोलो क्यों है आँगन मेरे उदास एक फूल खिल जाये तो ना आंसू मेरे गिरे हजार दर्द को दर्द क्यों रूलता है क्या गुना मैंने किये आपार हर दिन मर कर जीती हूँ क्यों नहीं मेरे सुनते अरदास फूल खिला दे मेरे आँगन मैं या रब तु कर कोई चमत्कार मत छिनना अब मेरी खुशियाँ बस इतनी है मेरी अरदास @nc # बच्चा