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Ubaida khatoon Siddiqui
पहले के बुजुर्ग और फकीर सच्ची और दिल से दुआ देते थे, जो की लगती थी (असर करती थी)। और अब के लोग ढोंगी या मतलबी हैं, खाली जेब देखकर तो दुआ भी नहीं देंगे। ©Ubaida khatoon Siddiqui #oldage #Ubaidakhatoon #ubaidawrites 17/12/24 12:00 a. m. अनमोल विचार आज शुभ विचार अच्छे विचारों आज का विचार
#oldage #Ubaidakhatoon #ubaidawrites 17/12/24 12:00 a. m. अनमोल विचार आज शुभ विचार अच्छे विचारों आज का विचार
read moreSunita Pathania
GoluBabu
मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स Islam शायरी मोटिवेशनल देवता भी मनुष्य जीवन को तरसते हैं क्योंकि मोक्ष मनुष्य जीवन में ही हो सकता है। और परमा
read moreneelu
White Yesterday I saw a few episodes of the Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God... ©neelu #sad_quotes #Yesterday I #saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...
#sad_quotes #yesterday I #Saw a few episodes of the #Mahabharat series and today all I can say is विजय भव .....कल्याण हो.. Thank God...
read moreSchizology
November 28th, 2024 , 12:00 am The rain has begun falling Soon it will turn to snow The wind will arrive too Around and around it will blow Shoveling the driveway out The walkways need it too Clearing off the cars Kicking ice off with your boot Moving snow around is tiring Grueling , hard and exhausting Careful not to over exert yourself Or heart problems it will be causing Walking in the snow can be fun But deep deep snow is horrible Every step seems harder to move You may just go for trip and tumble Snowboarding , skiing and skating Some of the winter activities arise And who can forget the best one Hockey has reached worldwide ties Winter is coming upon us quickly Cold and wet for months to come Dress warm and turn up the furnace Mother nature is about to have fun ©Schizology November 28th , 2024 , 12:00 am #Random #Nature♥️
November 28th , 2024 , 12:00 am #Random Nature♥️
read moreAvinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
#संशय Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
read morePriyawant Markamji
wringtone bhakti wdesh bhakti geet wbhakti gana #MiracleOfGodKabir_In_1513 आज से 511 वर्ष पूर्व कपड़ा बुनकर आजीविका चलाने वाले समर्थ कबीर पर
read moreGoluBabu
किस संत के प्रयत्न से हो रहा एक बार पुनः सनातनी पूजा का पुनरुत्थान? जानने के लिए देखिए "सनातनी पूजा के पतन की कहानी, संत रामपाल जी महाराज क
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