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theABHAYSINGH_BIPIN

#good_night मन अपनी धुन में क्यूँ भागे है, चिंतन में मन क्यूँ लागे है? छेड़ रण अब ख़ुद के मन से, भजन कीर्तन कैसे न रागे है? जग झूठे सुख म

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White मन अपनी धुन में क्यूँ भागे है,
चिंतन में मन क्यूँ लागे है?
छेड़ रण अब ख़ुद के मन से,
भजन कीर्तन कैसे न रागे है?

जग झूठे सुख में अभियोग है,
जो लिप्त हुआ, सुख न पाया है।
जब अंतःमन प्रभु पुकारा है,
हर हृदय ने प्रभु को पाया है।

शरण में सर्वत्र न्यौछार दिया,
प्रभु ने उस जीवन को तार दिया।
जो नित ध्यान प्रभु में धारिता,
उसके जीवन का सार किया।

जीवन के सारे सुख निरर्थक हैं,
बिन प्रभु के कुछ भी सार्थक नहीं है।
जीवन का कोई राह दिखे न,
तो फिर प्रभु शरण ही उपाय है।

©theABHAYSINGH_BIPIN #good_night 

मन अपनी धुन में क्यूँ भागे है,
चिंतन में मन क्यूँ लागे है?
छेड़ रण अब ख़ुद के मन से,
भजन कीर्तन कैसे न रागे है?

जग झूठे सुख म

Bharat Bhushan pathak

सार छंद चार चरणों का अत्यंत गेय मात्रिक छंद है। प्रति चरण 28 मात्रा होती है। यति 16 और 12 मात्रा पर है। दो दो चरण तुकान्त । 16 मात्रिक पद ठ

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बीत रहा फिर वर्ष सुनहरा,नूतन आने वाला।
इसने हमको यही बताया,जीवन अच्छी शाला।।
पढ़ा यहाँ पे जो भी इसमें,अनुभव उसने पाया।
प्रथम सदा वह ही होता है,जो कभी न भरमाया।।
आना-जाना वर्षों का तो,सुनें खेल ये बहुत पुराना।
जो हम सीखे और सिखाए,इसको बस अपनाना।।

©Bharat Bhushan pathak सार छंद चार चरणों का अत्यंत गेय मात्रिक छंद है। प्रति चरण 28 मात्रा होती है। यति 16 और 12 मात्रा पर है। दो दो चरण तुकान्त ।

16 मात्रिक पद ठ

बेजुबान शायर shivkumar

//सुकुन आँचल का// एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती

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//सुकुन आँचल का//

एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा
मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा

बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती है
स्वर्ग के अप्सरा भी यु मंद मंद कर वो मुस्कुराती है
मां की गोद में आकर भगवान भी यु बच्चे बन जाते हैं 
मां की ममता का सुख ईश्वर भी खूब मजा उठाते हैं

ईश्वर ने खुद को बनाया है 
एक ख्याल उनके मन में आया है 
अपने जैसा ही हर किसी को खुद को पहुंचाया है 
जिसका नाम माँ बतलाया है 

समंदर से गहरी ममता का होती है 
उठते तूफान को शांत वो करती है 
न छोटा न बड़ा इस भेदभाव में मांँ कहाँ पड़ती है 
मीठे सपनो को अपने बच्चे के लिए मांँ संजोती है

वक्त बदल जाए हालात बदल जाए 
पर मांँ की ममता को कोई न बदल पाए है आज तक
उसकी आवाज में ऐसा जादू होता है
की किसी के मुर्झाया चेहरा भी यु खिल जाता है

जब मांँ की आवाज कानों में आती है 
सारी दुनिया से लड़ने की हिम्मत दे जाती है 
घर से निकल कर सर को झुका देते है 
मांँ का आशीर्वाद लेकर बिगड़े काम भी बना देते हैं

बचपन में हो या हो बड़े आज भी
मांँ के उस आंँचल में पड़े रहते है
मुझे तो सुकून आँचल का मिलता है 
मांँ तेरी उस गोद में आ कर 


धनंजय शुक्ला✍

©बेजुबान शायर shivkumar //सुकुन आँचल का//

एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा
मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा

बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती

अदनासा-

विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 https://www.instagram.com/reel/DC3BidqP6PV/?igsh=MXR3dW00eGRsOWNzYg== #हिंदी #धर्म #सनातन सनातनधर्

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