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Ganesh joshi
White अतिथि देवो भव’ अर्थ : अतिथि देव स्वरूप होता है। ©Ganesh joshi #flowers #अतिथि देवो भव’ अर्थ : अतिथि देव स्वरूप होता है। #संस्कृत #story #status #kavita #Sanskrit
N S Yadav GoldMine
White गीता १३: २४) कितने ही आदमी ध्यान के द्वारा उस परमात्मा को अपनी आत्मा के अंदर बुद्धि से देखते है, अनुभव करते है। महर्षि पतंजलि कहते हैं- ध्यानहेयास्तद् वृत्तयः॥ (पातञ्जलयोगदर्शन २: ११) {Bolo Ji Radhey Radhey} तो सूक्ष्ममय जो वृत्तियाँ हैं पहले सेती वो ध्यान करके हैं, ध्यान करके त्याग, माने ध्यान के प्रभाव से सूक्ष्म वृत्तियां भी खत्म हो जाती हैं एक प्रकार से, तो ध्यान की सभी कोई महिमा गाते हैं। सभी शास्त्र अर गीता का तो विशेष लक्ष्य है, गीता का जोर तो भगवान् के नाम के जप के ऊपर इतना नहीं है, कि जितना भगवान् के स्वरूप के चिंतन के ऊपर है, स्मरणके ऊपर है, स्मरण की जो आगे की अवस्था हैं वो ही चिंतन है और चिंतन की और अवस्था जब बढ़ जाती है, तो चिंतन ही ध्यान बन जाता है। भगवान् के स्वरूप की जो यादगिरी है उसका नाम स्मरण है, अर उसका जो एक प्रकारसे मनसेती स्वरूप पकड़े रहता है, उसकी आकृति भूलते नहीं हैं, वह होता है चिंतन, अर वह ऐसा हो जाता है कि अपने आपका बाहरका उसका ज्ञान ही नहीं रवे एकतानता ध्यानं, एक तार समझो कि उस तरह का ध्यान निरंतर बण्या रवे, वह है सो ध्यान का स्वरूप है, तो परमात्मा का जो ध्यान है वह तो बहुत ही उत्तम है। तो परमात्माकी प्राप्ति तो ध्यानसे शास्त्रों में बतलायी है। किंतु अपने को परमात्मा का ध्यान इसलिये करना है, कि ध्यान से बढ़कर और कुछ भी नहीं है। जितने जो साधन हैं वह साधन के लिये हैं, और ध्यान है जो परमात्मा के लिये है किंतु हम एक प्रकार से ध्यान तो करें, और परमात्मा को नहीं बुलावें तो परमात्मा समझो कि अपने आप ही वहाँ आते हैं। सुतीक्ष्ण जो है भगवान् से मिलने के लिये जा रहा है, तो उसका ध्यान अपने आप ही हो गया, ऐसा ध्यान लग गया कि फिर भगवान् आकर उसका ध्यान तोड़ना चावे तो भी नहीं टूटता है तो भगवान् कितने खुश हो गये उसके ध्यान को देखकर, उसके ध्यान को देख करके भगवान् है सो मुग्ध हो गये। बोल्या यदि ध्यान न हो तो, ध्यान न हो तो भगवान् के केवल नाम का जप ही करना चाहिये, भगवान् के नामके जप से, भगवान् के भजन सेती ही समझो कि परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है। क्योंकि भगवान् के नाम का जप करने से भगवान् में प्रेम होता है, अर भगवान् के मायँ प्रेम होने से समझो कि भगवान् की प्राप्ति हो जाती है। इसलिये नाम के जप से भी परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है, नाम के जप से सारे पापों का नाश हो जाता है, नाम के जप से परमात्माके स्वरूप का ज्ञान हो जाता है, नाम के जपसे भगवान् उसके वश में हो जाते हैं, नाम के जपसे उसकी आत्मा का उद्धार हो जाता है। तो सारी बात नाम के जप से हो जाती है, तो इसलिये समझो कि यदि ध्यान न लगे, तो भगवान् के नाम का निरंतर जप ही करना चाहिये। सुमिरिअ नाम रूप बिनु देखे। सुमरिअ नाम रूप बिनु देखे। होत हृदयँ सनेह विसेषें। होत हृदयँ सनेह विसेषें । भगवान् के नाम का सुमरन करना चाहिये, ध्यान के बिना भी तो भगवान् के वहां विशेष प्रेम हो जाता है, प्रेम होने से भगवान् मिल जाते हैं। हरि ब्यापक सर्वत्र समाना। हरि ब्यापक सर्वत्र समाना। प्रेमते प्रगट होहिं मैं जाना॥ प्रेमते प्रगट होहिं मैं जाना॥ हरि सब जगहमें सम भावसे विराजमान हैं और वे प्रेम से प्रकट होते हैं, शिवजी कहते हैं इस बात को मैं जानता हूँ। ©N S Yadav GoldMine #mothers_day गीता १३: २४) कितने ही आदमी ध्यान के द्वारा उस परमात्मा को अपनी आत्मा के अंदर बुद्धि से देखते है, अनुभव करते है। महर्षि पतंजलि क
CHOUDHARY HARDIN KUKNA
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवतभक्ति के लिए व भगवान श्री कृष्ण जी प्राप्ति मैं सबसे बढ़कर साधन है, और सब साधनों का फल है, वो है, परमात्मा का ध्यान, हर वक्त परमात्मा के स्वरूप का ध्यान रखना चाहिये, और चाहे जप भी मत हो, चाहे सत्संग भी मत हो, और चाहे कुछ भी मत हो, परमात्मा का ध्यान रहना चाहिये। ©N S Yadav GoldMine #sad_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवतभक्ति के लिए व भगवान श्री कृष्ण जी प्राप्ति मैं सबसे बढ़कर साधन है, और सब साधनों का फल है, वो है
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} हम सब की आत्मा न तो परमाणुओ से न ही किसी अणु के पुंज से, यह आत्मा अप्राकृतिक सत्ता है, इस कारण वह स्वरूप से अचल और अविनाशी हैं। जय श्री राधे कृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #safar {Bolo Ji Radhey Radhey} हम सब की आत्मा न तो परमाणुओ से न ही किसी अणु के पुंज से, यह आत्मा अप्राकृतिक सत्ता है, इस कारण वह स्वरूप
Sameeksha Trivedi
भ्रम में रहने वाला व्यक्ति, अपने भ्रम को ही अपना सब कुछ मान लेता है। इसलिए वास्विकता को स्वीकार करना उसके लिए सहज नहीं होता ©Sameeksha Trivedi शिव स्वरूप मेरे प्यारे भोले बाबा😌🙏........... हर हर महादेव 🙌...शुभ सोमवार ❤️ . . . #mahadev #bholebaba #ujjainkemahakal #shringaardarshan #d
Astro Yogi
Anil Ray
खंड-खंड विखंडित रहकर भी अखंडित है औरत टूटकर भी नही टूटे कायनात की ऐसी साकार मूरत.. जन्मपूर्व से जन्मोपरांत तुझसे ही अनिल सृष्टि है मैं तेरी लिखावट हूँ औरत और तुम हो बेहद खूबसूरत.. ©Anil Ray 🙏🏻🙏🏻🙏🏻 💞सादर वंदन💞 🙏🏻🙏🏻🙏🏻 मानव सृष्टि की सृजनहार और पालनहार शक्ति महा मातृशक्ति को चरणवंना संग सादर नमन। भिन्न-भिन्न स्वरूप में जिंदगी क
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} इस जगत् को भगवान् श्री कृष्ण जी का ही स्वरूप मानकर, प्रत्येक मनुष्य भगवान् के विराट रूप के दर्शन कर सकता है, आपको मानना, और जानना जरूरी है, तभी ही परमेश्वर, जगतगुरु, जगत्पति का अनुभव कर सकोगे। जय श्री नारायण हरि।। ©N S Yadav GoldMine #thepredator {Bolo Ji Radhey Radhey} इस जगत् को भगवान् श्री कृष्ण जी का ही स्वरूप मानकर, प्रत्येक मनुष्य भगवान् के विराट रूप के दर्शन कर