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ललित कुमार सुमन
White वह भी क्या दिन थे। सुबह सपनों से शुरू ओर रात ख्वाबों के साथ।। महीनों बाद भंवरे का गुलाब से मिलन होता।। सपना शून्य से अनंत तक का देखा।। निगाहों में हमेशा सपने संजोए। वक्त ने ऐसी करवट ली कि ।।सपने ओश की बूंद बन गए।। भंवरा बगीचा ही भूल गया।। अब न गुलाब याद आता ओर न महक ©lalit suman कभी हमें भी प्यार था
कभी हमें भी प्यार था
read moreF M POETRY
White वो दिल में समाया था सच बोलकर.. मगर था फरेबी निकल भी गया.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #मगर था फरेबी.....
#मगर था फरेबी.....
read moreAkash gautam s n
हमे इकरार करना चाहिए था मुकम्मल प्यार करना चाहिए था ये सोचा था कि मर जायेंगे तुम बीन जो सोचा था तो मरना चाहिए था ©Akash gautam s n #covidindia करना चाहिए था
#covidindia करना चाहिए था
read moreranjit Kumar rathour
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset वों अच्छी नहीं है दिखने मे बहुत मामूली सी है छोटा कद है उसका आकर्षक भी नहीं है बाते भी अच्छी नहीं करती बहुत साधारण लगती है कुछ भी खास नहीं है लेकिन कुछ तो है जो बांकी औरो मे नहीं है उसने कहा नहीं कुछ लेकिन लड़ बैठतीं थी बांकी कि हिम्मत नहीं थी वों चढ़ बैठतीं थी मन कि हर बात मुझसे कहती उसे लगता मै अच्छा हुँ मै ऐसा भी नहीं था जो उसे लगा उतना भी सही नहीं था एक दिन वों करीब ख़डी थी मै खुद को रोक नहीं पाया न कोई विरोध न नाराजगी फिर लगा ये वों तो नहीं हां वों ही था हां वों ही था ©ranjit Kumar rathour उसे लगता मै अच्छा था
उसे लगता मै अच्छा था
read moreनवनीत ठाकुर
क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह में मोहब्बत बनकर पिघला था। तेरे बिना जो था खाली, वो तेरा ख्वाब बना, वही ख्वाब अब हमारी हकीकत बनकर उभरा था। रात में जो था नवनीत कभी अधूरा, वो तेरे होने से अब रोशनी बनकर उजला था। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह
#नवनीतठाकुर क़िस्मत नहीं, हमारी चाहत का असर था, जो होने था, वो हमसे होकर गुज़रा था। वक़्त की शाखों पर जो पत्ते झरे थे कभी, वो फिर नई सुबह
read moreLili Dey
माना कि तेरे रास्ते और मेरे रास्ते अलग था, मगर एक रोज मुलाक़ात तो हुआ था, दोस्ती भी हुई थी और इश्क भी हुआ था, मेरे इज़हार तुझे नापसंद था और तेरे इनकार मुझे चुभता था, फिर भी हमारे बीच कुछ तो था, मगर यह बता ही नहीं जो था वह क्या था ? ©Lili Dey क्या था
क्या था
read moreF M POETRY
White फिर से दुबारा पाएंगे तुझको ये ख्वाब है.. मिलना था खुश्नसीबी बिछड़ना अज़ाब है.. यूसुफ़ आर खान ल... ©F M POETRY #मिलना था.....
#मिलना था.....
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