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Pankaj

हिंदी इन दिलो,की बातें #कविता

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Dil Shayari  इन दिनों की बातें दिल ही जाने,
अंजान बने ओ जाने ना,
एक दिल ने कहा तुम जुर्म कर रहे,
पर जुर्म कोई ओ माने ना,

©Pankaj हिंदी इन दिलो,की बातें

Balwant Mehta

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Simran Simar

उर्मिला की वेदना। हिंदी कविता #Shayari

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K.S-11_22

दिल की बात (हिंदी -कविता ) #nojotovideo

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Sima Rani Jha

#हिंदी कविता# मौन की आवाज़

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Parasram Arora

आदमी का   रिटायरमेंट  तो हम  आये दिन
देखते रहते हैँ
लेकिन  आदमी पद  मुक्ति क़े बाद तिथि बाह्य   होने लगता है  और  उसमे अब
जीवन से  भी  अवकाश प्राप्त कर लेने कीउतकंठा  जाग्रत होने लगती  है... क्योंकि
अब न तो उसे  कोई सैल्यूट  मारता है
न  उसे  कही से कोई अभिवादन  मिलता है l
एकल  जीवन का  लुत्फ़  तो. केवल
आध्यात्मिक  पुरुष  ही ले  पाते हैँ...... लेकिन
समाज  और  परिवार से  जुडा  व्यक्ति
अवकाश प्राप्ति क़े बाद   इस  प्रकार की
उपेक्षा को  वो  अभिशाप की  तरह  देखने
लगता है 
..

©Parasram Arora #रिटायरमेंट......

Upasna Mishra

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roshan

इन हिंदी

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आना है तॊ आ जाना है तो जा....
घुटने पे बैठके तुम्हे मनाना
मुझे शोभा देगा क्या?

पानी का नही नाम
साब्जी को नही दाम
बता गोल्डन नेकलेस तुम्हे दिलाऊ कैसे?
कुवा सुख गया है
नदी नाला रुख गया है
बता तेरे प्यार मे शलांग लगाऊ कैसे?

आना है तो आ जाना है तो जा....

बेजान सहै पत्थर पर
बिना कुछ चडाये
बता मान्नत मे तुझे उसीसे मांगु कैसे?
भावनिक  मै बहोत हू
दिल मे तुम्हेहीं रखता हू
पानी बचाते बचाते
बता आसू अंखोसे बहाऊ कैसे?

आना है तो आ जाना है तो जा.....
....रोशन देसाई....
12/02/20 इन हिंदी

shwati pandey

विश्व कविता दिवस की शुभकामनाएं🌸 .. हिंदी कविता

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किचकिचाहट से सिर चकरा रहा मेरा
कुछ दिनों से झक्की सा व्यवहार है,
कब कहती हूँ किसी से की कोई बैठे
सुने मेरी दो - चार कविताएं।

कुछ दिनों से लिख नहीं पाई मैं कोई कविता,
रात भर सो न सकी उहापोह की स्थिति में,
छटपटा रही थीं मरणासन्न अवस्था में कविताएं
वो जो कह न पाईं अंतर्दशा अपनी
मैं लेट गयी उत्तर से दक्षिण की ओर
सिर किये ताकि मिल जाए इन्हें प्राणमुक्ति।

आज सुबह से परदे को न 
जाने क्या दुश्मनी है खिड़की से जो
उलझ जा रहा बार-बार,
मैंने खिड़की खोल रखी है पूरब ओर
ताकि सूरज की मार सहें कुछ देर परदा।

बिस्तर पर गिरे पड़े मिले कितने बाल मेरे
माँ कहती रही की तेल की मालिश
आवश्यक है सिर पर,
तभी तो कविताओं ने रात दम तोड़ दिया
मैंने उठाया रेड़ी का तेल और ठोंकती रही
घण्टों भर सिर पर।
-Shwati pandey🌹🌿 विश्व कविता दिवस की शुभकामनाएं🌸
..
#हिंदी #कविता
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