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Andy Mann
White कूल ड्यूड के मुख्य गुण धर्म....... ============================= . १. कूल ड्यूड वही होता है जिसे देसी भाषा में "घोंचू" कहते हैं. २.खास कूल्हों से नीचे सरकती पैंट...मानो पैंट में ही ""निपट"" लिया हो और वो वजन से नीचे जा रही हो. ३.बाल ऐसे कि जैसे अभी अभी बिजली का झटका खा कर आये हों. ४.इनके जीवन का मूल उद्देश्य है लड़किओं को अपनी ओर आकर्षित करना,इसके लिए इन्हें अपने रंग रूप से जो भी खिलवाड़ करना पड़े ये करते हैं... ५.लड़की से जूते भी खा कर आ जायेंगे लेकिन घर पर यदि माँ बाप कुछ अच्छी बात समझाएं तो उनसे बदतमीजी से बात करना.. ६.इनके घुटने मोटर साइकल से कई बार गिरने की वजह से अक्सर छिले हुए ही होते हैं जो कि १०० सी.सी. की बाइक को क्रूजर बाइक की तरह चलाने का परिणाम है.. ७.सड़क पर खुद भले ही गलत साइड पर चल रहे हों पर सामने से आने वाले चालाक पर आँखें तरेरना.. ८.अंग्रेजी के भले ही चार शब्द ना आते हों लेकिन हमेशा इंग्लिश गाने ही सुनते हैं. ९. अगर ये लोअर मिडल क्लास के हों तो अमीर ड्यूड की नक़ल वाले सस्ते कपडे ढूंढते मिल जायेंगे... १०. इन्हें भारतीय खेलों में कोई रूचि नहीं होती,बस रग्बी,अमेरिकन फुटबॉल या बीच-बौलिबौल की बातें करते हैं भले ही उन खेलों के बारे में इन्हें घंटा कुछ पता ना हो ©Andy Mann #कूल_ड्यूड Rakesh Srivastava Arshad Siddiqui Ashutosh Mishra अदनासा- Dr Udayver Singh
#कूल_ड्यूड Rakesh Srivastava Arshad Siddiqui Ashutosh Mishra अदनासा- Dr Udayver Singh
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New Year Resolutions एक चैलेन्ज साल तो बदलते रहते हैं, है कोई माई का लाल जो साला बदल के दिखाए ©Andy Mann #newyearresolutions अदनासा- Rakesh Srivastava Ak.writer_2.0 Ashutosh Mishra sushil.
#newyearresolutions अदनासा- Rakesh Srivastava Ak.writer_2.0 Ashutosh Mishra sushil.
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White मौन का अर्थ यह नहीं कि होंठ बंद हो गए। मौन का अर्थ है, भीतर भाषा बंद हो गई, भाषा गिर गई। जैसे कोई भाषा ही पता नहीं है। और अगर आदमी स्वस्थ हो, तो जब अकेला हो, उसे भाषा पता नहीं होनी चाहिए। क्योंकि भाषा दूसरे के साथ कम्युनिकेट करने का साधन है, अकेले में भाषा के जानने की जरूरत नहीं है। अगर वह भाषा गिर जाए, तो जो मौन भीतर बनेगा, वह स्वभाव है, वह किसी ने सिखाया नहीं है। बहुत सारे लोग बैठे हों। अगर सब शब्दों में जीएं, तो सब अलग-अलग हैं। और अगर मौन में जीएं, तो सब एक हैं। अगर बैठे हुए लोग क्षणभर को मौन हो जाएं, तो इतने लोग नहीं, एक ही व्यक्ति रह जाएगा। एक ही! बिकाज लैंग्वेज इज़ दि डिवीजन। भाषा तोड़ती है। मौन तो जोड़ देगा। और सब एक ही हो जाएंगे। ©Andy Mann #मौन Dr Udayver Singh अदनासा- Rakesh Srivastava Ashutosh Mishra Ravi Ranjan Kumar Kausik
#मौन Dr Udayver Singh अदनासा- Rakesh Srivastava Ashutosh Mishra Ravi Ranjan Kumar Kausik
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*कहाँ गुम हो गए संयुक्त परिवार *एक वो दौर था* जब पति, *अपनी भाभी को आवाज़ लगाकर* घर आने की खबर अपनी पत्नी को देता था । पत्नी की *छनकती पायल और खनकते कंगन* बड़े उतावलेपन के साथ पति का स्वागत करते थे । बाऊजी की बातों का.. *”हाँ बाऊजी"* *"जी बाऊजी"*' के अलावा दूसरा जवाब नही होता था । *आज बेटा बाप से बड़ा हो गया, रिश्तों का केवल नाम रह गया* ये *"समय-समय"* की नही,*"समझ-समझ"* की बात है बीवी से तो दूर, बड़ो के सामने अपने बच्चों तक से बात नही करते थे *आज बड़े बैठे रहते हैं हम सिर्फ बीवी* से बात करते हैं!दादाजी के कंधे तो मानो, पोतों-पोतियों के लिए आरक्षित होते थे, *काका* ही *भतीजों के दोस्त हुआ करते थे ।*आज वही दादू - दादी *वृद्धाश्रम* की पहचान है, *चाचा - चाची* बस *रिश्तेदारों की सूची का नाम है ।* बड़े पापा सभी का ख्याल रखते थे, अपने बेटे के लिए जो खिलौना खरीदा वैसा ही खिलौना परिवार के सभी बच्चों के लिए लाते थे । *'ताऊजी'* आज *सिर्फ पहचान* रह गएऔर,*छोटे के बच्चे* पता नही *कब जवान* हो गये..?? दादी जब बिलोना करती थी,बेटों को भले ही छाछ दे पर *मक्खन* तो *केवल पोतों में ही बाँटती थी।* *दादी ने* *पोतों की आस छोड़ दी*, क्योंकि,...*पोतों ने अपनी राह* *अलग मोड़ दी ।*राखी पर *बुआ* आती थी,घर मे नही *मोहल्ले* में, *फूफाजी* को *चाय-नाश्ते पर बुलाते थे।*अब बुआजी,बस *दादा-दादी* के बीमार होने पर आते है,किसी और को उनसे मतलब नही चुपचाप नयननीर बरसाकर वो भी चले जाते हैं ।शायद *मेरे शब्दों* का कोई *महत्व ना* हो,पर *कोशिश* करना,इस *भीड़* में *खुद को पहचानने की*, *कि*,*हम "ज़िंदा है"* या *बस "जी रहे" हैं"*अंग्रेजी ने अपना स्वांग रचा दिया, "शिक्षा के चक्कर में* *संस्कारों को ही भुला दिया"।*बालक की प्रथम पाठशाला *परिवार* पहला शिक्षक उसकी *माँ* होती थी, आज *परिवार* ही नही रहेपहली *शिक्षक* का क्या काम...??"ये *समय-समय* की नही, *समझ-समझ* की बात है!कुछ साल बाद हम दो ,हमारे दो के चक्कर में परिवार खत्म हो जाएगा ।मामा रहेगा, तो मौसी नही होगी मौसी होगी तो मामा नही होगा चाचा होगा तो बुआ नही होगी बुआ होगी तो चाचा नही होगा ।*काका ,काकी ,बड़े पापा बड़े मम्मी**बुआ ,फूफा ,मामा मामी* *मौसी मौसा ,ताऊ ताई जी**न जाने ऐसे कितने रिश्तों के* *संबोधन के लिए तरसेंगे ।।* ©Andy Mann #कहाँ_गया_वो_दौर Ashutosh Mishra अदनासा- Dr Udayver Singh Rakesh Srivastava Rameshkumar Mehra Mehra
#कहाँ_गया_वो_दौर Ashutosh Mishra अदनासा- Dr Udayver Singh Rakesh Srivastava Rameshkumar Mehra Mehra
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White पुरुष मतलब पत्थर में अंकुरित कोंपल, पुरुष मतलब लोहे के सीने के पीछे, धक धक करता कोमल हृदय। पुरुष मतलब कोयल की कुहूक ढूँढ़ता वृक्ष.... पुरुष कहता है कि, आज मूड नहीं है, दिमाग़ ठिकाने नहीं है। पर, शायद ही कहेगा कि आज मन उदास है...... स्त्री पुरुष के कांधे पर सर रखकर रो लेती है, जबकि पुरुष माँ की गोद में सर रखकर रोता है... दुनियाभर की स्त्रियों को अपने पुरुष के, शर्ट पर बटन लगाने में जो रोमांच होता है। वही रोमांच उसी वक्त, स्त्री को गले लगाने में पुरुष को होता है....... जीतने के लिए पैदा हुआ पुरुष, प्यार के पास हार जाता है। और जब..... जब वो प्यार उसे छोड़ जाता है ना, तब वह जड़ समेत उखड़ जाता है....... स्त्री की मजबूरी, सह जाता है जैसे तैसे भी। मगर बेवफाई सह नहीं पाता...... समर्पण स्त्री का स्वभाव है, और पुरुष की दिली तमन्ना। स्त्री के आँसू अंधेरे में भी दिखते हैं। मगर पुरुष के आँसू उसके, तकिये को भी नहीं दिखते। लोग कहते हैं स्त्री को चाहते रहो, समझने की ज़रूरत नहीं। पुरुष को बस समझो... ©Andy Mann #पुरुष_को_समझो_बस puja udeshi Sangeet... Rakesh Srivastava अदनासा- Ashutosh Mishra
#पुरुष_को_समझो_बस puja udeshi Sangeet... Rakesh Srivastava अदनासा- Ashutosh Mishra
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White एक बार एक वोटर लाइन में ही मर गया। मृत्यु उपरान्त वो ऊपर यमराज के दरबार में पहुंचा। वहां चित्रगुप्त उसके कर्मो का खाता खोले बैठा था। उसके कर्मो का खाता देखने के बाद चित्रगुप्त ने यमराज से कहा श्रीमान ये तो 50, 50 का मामला है। पलड़ा दोनों तरफ बिलकुल बराबर है। ऐसी स्थिति पहली बार हुई है। आप आदेश दें कि क्या किया जाए। इसे कहां भेजा जाए। स्वर्ग या नर्क यमराज- ऐसी स्थिति में निर्णय लेने का अधिकार इसी का है। जो भी ये चुनना चाहे। उन्होंने उसे एक दूत के साथ एक दिन नर्क और स्वर्ग में बिताने के लिए भेज दिया। पहले दिन नर्क में पहुंचते ही उसने खुद को एक गोल्फ कोर्स में पाया। चारो तरफ हरियाली , खूबसूरत दृश्यावली के बीच उसे दूर एक छोटा सा एक क्लब नजर आया। वहां पहुंचते ही उसे उसके सभी पुराने मित्र मिल गए । जो सभी बेहद खुश और मजे ले रहे थे। मित्रों के साथ दिन भर उसने ढेर सारा आनंद उठाया, अच्छा खाना खाया थोड़ी बढ़िया शराब भी पी। आखिर उनसे विदा लेकर वो दूत के साथ स्वर्ग में पहुंचा। वहां सभी संत टाइप के संतुष्ट व्यक्ति भजन कीर्तन में लीन थे। दिन बीतता दिखा नहीं उसे। आखिर उसका जाने का समय हो गया। दूत के साथ वो यमराज के पास पहुंचा। यमराज ने उसका निर्णय जानना चाहा। उसने कहा - महाराज स्वर्ग बहुत अच्छा है। वहां शान्ति भी है। लेकिन मैं तो नर्क में ही रहना चाहूंगा। असल आनंद वही पर है। यमराज ने दूत को उसे नर्क में छोड़ कर आने के लिए कहा। नर्क के द्वार के अंदर घुसते ही वो चौंक गया। चारों तरफ उजाड़ बियाबान रेगिस्तान नजर आ रहा था। और उसके सभी मित्र फटेहाल अवस्था में वहां बिखरे पड़े कूड़े करकट में अपना भोजन तलाश रहे थे। उसने दूत से कहा- ये क्या कल तो यहां दूसरा ही दृश्य था। दूत ने हँसते हुए कहा - कभी पृथ्वी पर चुनाव प्रचार नही देखा क्या?? कल अभियान का दिन था। तुम्हे लुभाने का दिन था। तुम्हे फसाने का दिन था। आज तो तुम अपना वोट दे चुके हो। ©Andy Mann #राजनीतिक_व्यंग Ak.writer_2.0 अदनासा- Ashutosh Mishra Dr Udayver Singh Rakesh Srivastava
#राजनीतिक_व्यंग Ak.writer_2.0 अदनासा- Ashutosh Mishra Dr Udayver Singh Rakesh Srivastava
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White मजहबों का हिसाब बाद में कर लेंगे..!! पहले साबित तो करो इंसान हैं हम ©Andy Mann #इंसानियत Ak.writer_2.0 Rakesh Srivastava Ashutosh Mishra अदनासा- Rajesh Arora
#इंसानियत Ak.writer_2.0 Rakesh Srivastava Ashutosh Mishra अदनासा- Rajesh Arora
read moreआधुनिक कवयित्री
क्या लिखूं पापा पर, हर घर में उजाला हैं पापा। हर रिश्ते को बांधकर रखते, ऐसे मोतियों की माला है पापा। करते हैं सबकी हर ख्वाइशे पूरी, ख़ुद की मनत्ते चाहे रह जाए अधूरी। सारी जिमेदारियो का बोझ उठाते हैं, अपना दर्द न किसी को बताते हैं। सहनशील ओर धेर्यवान हैं पापा, मेरे हर अरमान हैं पापा। पापा हैं तो बचपना है, बिन पापा के न कोई अपना हैं। पापा हर सघर्षो से लड़ना सिखाते, सही ओर गलत में भेद बताते। जन्म जरूर देती हैं मां, पर चलना पापा ने सिखाया। खवाइशे पूरी करने के लिए, ख़ुद को झोंक देते हैं, अपने घर की राजकुमारी पराए घर को सौंप देते है। ये तो सिर्फ़ पापा का ही जिगर हैं, पापा के रहते हम निडर है। मेरे हर ख़्वाब है पापा, मेरी जिंदगी की किताब है पापा। ©आधुनिक कवयित्री मेरे पापा Ashutosh Mishra Rakesh Srivastava V.k.Viraz
मेरे पापा Ashutosh Mishra Rakesh Srivastava V.k.Viraz
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White जब शादी के बाद गीदड़ बनके रहना तो शेरवानी क्यूं बनवानी गीदड़वानी बनवाओ पैसा बचाओ ©Andy Mann #जरा_सोचिये sushil. Ak.writer_2.0 Rakesh Srivastava Sharma_N Ashutosh Mishra
#जरा_सोचिये sushil. Ak.writer_2.0 Rakesh Srivastava Sharma_N Ashutosh Mishra
read moresila kumari
#Video - मुचकईला ए रजऊ - #rakesh Mishra | Dimpal Singh | Muchkaila Ae Rajau | Bhojpuri New Song wbhojpuri video
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