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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
White खुदाया तेरी ये दुनियां भी उकता गई हैं, के*जुल्मते_गिरफ्त से घबरा गई है//१ क्या उफ्फ करूँ,और क्या आह भरूं,बिन बोले मेरी ये*लब_कुशाई भी अब शरमा गई है//२ सावन के चरे को हरा ही हरा दिखा,इन किफायती चश्म से अबतक ना हाय तौबा गई है//३ अपनी सादादिली की सजा ये भुगती, के बाइसे सादगी ही हमे ठुकरा गई है//४ एक बशर जो लगता था बेहद अज़ीज़, उसी अज़ीज़ की अब बेवफाई रुला गई है//५ *वालिद की*फौतगी ने वो_वो मंज़र दिखाए,के अपनों की बद_सलुकी भी बेहिसाब सता गई है//६ खुदाया आस पास से होकर मायूस, "शमा"की*आहफुगा भी अब थर्रा गई है//७ #shamawritesbebaak #poetry #shayri ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Sad_shayri खुदाया तेरी ये दुनियां भी उकता गई हैं,के*जुल्मते _गिरफ्त से घबरा गई है//१ *घोर अन्धकार की पकड़ क्या उफ्फ करूँ,और क्या आह भरूं,बि
#Sad_shayri खुदाया तेरी ये दुनियां भी उकता गई हैं,के*जुल्मते _गिरफ्त से घबरा गई है//१ *घोर अन्धकार की पकड़ क्या उफ्फ करूँ,और क्या आह भरूं,बि #shamawritesBebaak
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ग़ज़ल :- आर्यावृत संविधान है देखा । जनता करती सम्मान है देखा ।।१ तुमने तुर्की जपान है देखा । पर मैने हिन्दुस्तान है देखा ।।२ अपना भारत है इक ऐसा भारत । जिसमे नेता महान है देखा ।।३ इस पत्थर दिल की नगरी में हमने । बनते उसको इंसान है देखा ।। ४ हिन्दू करता मूरत की पूजा तो । पढ़ता मुस्लिम अज़ान है देखा ।।५ उनका ये बढ़ता प्रेम ही जग में । हर मुश्किल का निदान है देखा ।।६ होली औ ईद दीवाली पर भी । रखते वे सबका ध्यान है देखा ।।७ २५/०१/२०२४ -- महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- आर्यावृत संविधान है देखा । जनता करती सम्मान है देखा ।।१ तुमने तुर्की जपान है देखा । पर मैने हिन्दुस्तान है देखा ।।२ अपना भारत है इक
ग़ज़ल :- आर्यावृत संविधान है देखा । जनता करती सम्मान है देखा ।।१ तुमने तुर्की जपान है देखा । पर मैने हिन्दुस्तान है देखा ।।२ अपना भारत है इक #शायरी
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White ग़ज़ल :- हाथ आते नही निवाले हैं । दाने-दाने के अब तो लाले हैं ।।१ आज बाज़ार हो गये मँहगें । रूल सरकार के निराले हैं ।।२ किसलिए आप खोजते इंसा । भेड़िये आप हमने पाले हैं ।।३ आप जिनपे किए यकीं बैठे । लोग दिल के वो कितने काले हैं ।।४ सच के होते नही नुमाये भी। इस लिए सब लगाये ताले हैं ।।५ खामियां पा दहेज में अब वह । पगडिय़ां देख लो उछाले हैं ।।६ राम के नाम से यहाँ सब ही । पा रहे आज सब उजाले हैं ।।७ राम का नाम ही भजो सारे । क्या हुआ जो जुबाँ पे छाले हैं ।।८ चोट खाकर प्रखर वफ़ा में भी । दिल को अपने अभी सँभाले हैं ।।९ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- हाथ आते नही निवाले हैं । दाने-दाने के अब तो लाले हैं ।।१ आज बाज़ार हो गये मँहगें । रूल सरकार के निराले हैं ।।२ किसलिए आप खोजते इंसा ।
ग़ज़ल :- हाथ आते नही निवाले हैं । दाने-दाने के अब तो लाले हैं ।।१ आज बाज़ार हो गये मँहगें । रूल सरकार के निराले हैं ।।२ किसलिए आप खोजते इंसा । #शायरी
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तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसिता की तरह//१*मिलन*हर्ष *जानलेवा मिटा न डाले कहीं *जुल्मत्तों के सन्नाटे, मेरी हयात में आजा महरबा की तरह/२ *घोर अन्धकार *शाश्वत मेरे फ़सानो के किस्से बहुत रसीले है,के लोग पूछते रहते है,लापता की तरह//३ ये*वहश्तो के तकाजे यहीं पे रहने दो,क्यूं पूछते हो मिरा हाल राजदां की तरह//४ कई दफा तेरे*हुजरे से होके गुजरें है,तेरे दीदार में *खांबिदा की तरह//५ *इबादतगाह *निद्रालु दशा तुम्हारे साथ तो सेहरा में भी मेरे हमदम,ये खिंजा भी मुझे लगती है *गुलसिता की तरह/६ *पुष्पाच्छादित चमन तेरी मसर्रते*आराइयां कहाँ"अख्तर"हो*मयस्सरे विसाल*नौख़ेज़ दास्ता की तरह//७ *संवारने वाला *मिलन*उपलब्ध *नया उत्पन्न/नया नया #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Nojoto तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसिता की तरह//१ *मिलन*हर्ष*जानलेवा मिटा न डाले कहीं *जुल्मत्तों के स
तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसिता की तरह//१ *मिलन*हर्ष*जानलेवा मिटा न डाले कहीं *जुल्मत्तों के स #shamawritesBebaak
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ग़ज़ल :- गीत हम पे कोई लिखो तुम भी । कितनी सुंदर हूँ मैं कहो तुम भी ।।१ पढ़ लिया तुमने चेहरा मेरा । शेर कुछ अर्ज अब करो तुम भी ।।२ चाहते हो अगर हमें दिल से । ख्वाब मेरे भी फिर बुनो तुम भी ।।३ बढ़ न जाये ये बेकरारी फिर । क्यों न आकर कभी मिलो तुम भी ।।४ प्यार में क्यूँ ये दूरियाँ बोलो । आज आकर गले लगो तुम भी ।।५ क्यों हो मायूस आज तुम इतना । प्यार के नाम खत लिखो तुम भी ।।६ अब न रोना नसीब को लेकर । कर्म भी कुछ प्रखर करो तुम भी ।।७ ०८/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- गीत हम पे कोई लिखो तुम भी । कितनी सुंदर हूँ मैं कहो तुम भी ।।१ पढ़ लिया तुमने चेहरा मेरा । शेर कुछ अर्ज अब करो तुम भी ।।२ चाहते हो अगर
ग़ज़ल :- गीत हम पे कोई लिखो तुम भी । कितनी सुंदर हूँ मैं कहो तुम भी ।।१ पढ़ लिया तुमने चेहरा मेरा । शेर कुछ अर्ज अब करो तुम भी ।।२ चाहते हो अगर #शायरी
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ग़ज़ल :- नज़्म हम आपसे उठाते हैं । आपको देख मुस्कराते हैं ।।१ आज बरसो हुए लिए फेरे । गिफ्ट तुमको चलो दिलाते हैं ।।२ प्यार कब बाँटते यहाँ बच्चे । प्यार तो और ये बढाते हैं ।।३ हाथ जब भी लगा तेरे आटा । रुख से लट तब हमीं हटाते हैं ।।४ जब भी आयी विवाह तारीखें । घर को खुशियों से हम सजाते हैं ।।५ घर के बाहर कभी न थी खुशियाँ । सोचकर शाम घर बिताते हैं ।।६ दीप बुझने न दूँ मुहब्बत का । नाम का तेरे सुर लगाते हैं ।।७ है खुशी का महौल घर में अब । बच्चे किलकारियां लगाते हैं ।।८ हाथ मेरा न छोड देना कल । जी न पाये प्रखर बताते हैं ।।९ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- नज़्म हम आपसे उठाते हैं । आपको देख मुस्कराते हैं ।।१
ग़ज़ल :- नज़्म हम आपसे उठाते हैं । आपको देख मुस्कराते हैं ।।१ #शायरी
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White ग़ज़ल :- तुम्हें दिल की धड़कन बना लूँ । न देखे कोई मैं छुपा लूँ ।।१ सजा कर तेरी माँग को मैं । तुम्हें दिल की रानी बना लूँ ।।२ दफन कितने अरमान दिल में । ठहर तो जरा मैं मिटा लूँ ।।३ बुरा ही कहेगा जमाना । अगर गोद में जो उठा लूँ ।।४ खिलेंगे सुमन भी चमन में । कदम इश्क़ में जो बढ़ा लूँ ।।५ इजाजत हमें तुम अगर दो । नज़र से नज़र मैं मिला लूँ ।।६ प्रखर हर्ज तुमको नहीं तो । उसे देख कर मुस्कुरा लूँ ।।७ २२/०४/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- तुम्हें दिल की धड़कन बना लूँ । न देखे कोई मैं छुपा लूँ ।।१ सजा कर तेरी माँग को मैं । तुम्हें दिल की रानी बना लूँ ।।२ दफन कितने अरमान द
ग़ज़ल :- तुम्हें दिल की धड़कन बना लूँ । न देखे कोई मैं छुपा लूँ ।।१ सजा कर तेरी माँग को मैं । तुम्हें दिल की रानी बना लूँ ।।२ दफन कितने अरमान द #शायरी
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ग़ज़ल :- वो रहते कहाँ हैं पता जानते हैं । कि उनकी सभी हम अदा जानते हैं ।।१ लगा जो अभी रोग दिल को हमारे ।। न मिलती है इसकी दवा जानते हैं ।।२ मनाएं उन्हें हम भला आज कैसे । जिन्हें आज अपना खुदा जानते हैं ।।३ मिटेगा नहीं ये कभी रोग दिल का । यहाँ लोग करना दगा जानते हैं ।।४ मुझे बस है उम्मीद अपने सनम से । कि देना वही इक दुआ जानते हैं ।। ५ न रहता मेरा दिल कभी दूर उनसे । मगर लोग सारे जुदा जानते हैं ।।६ ठहरती नहीं है नज़र उन पे कोई । तभी से उन्हें हम बला जानते हैं ।।७ नही प्यार तू उस तरह कर सकेगा । वो करना हमेशा जफ़ा जानते हैं ।।८ न पूछो प्रखर तुम हँसी वो है कितना । कहूँ सच तो सब अप्सरा जानते हैं ।।९ ३०/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- वो रहते कहाँ हैं पता जानते हैं । कि उनकी सभी हम अदा जानते हैं ।।१ लगा जो अभी रोग दिल को हमारे ।। न मिलती है इसकी दवा जानते हैं ।।२ मन
ग़ज़ल :- वो रहते कहाँ हैं पता जानते हैं । कि उनकी सभी हम अदा जानते हैं ।।१ लगा जो अभी रोग दिल को हमारे ।। न मिलती है इसकी दवा जानते हैं ।।२ मन #शायरी
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White ग़ज़ल जिसकी खातिर मैं यहाँ फूलों का लेकर हार बैठा । वो छुपाए हाथ में अब देख लो तलवार बैठा ।।१ प्यार में जिसके लिए मैं जान तक ये वार बैठा । वो हमें ही देखकर अब देख लो फुफकार बैठा ।।२ फर्ज हमने बाप का कुछ इस तरह से है निभाया । कह रही औलाद मेरी वो मेरा सरकार बैठा ।।३ मत हँसों संसार पे रघुनाथ की जयकार बोलो । देखता है वो सभी को जो लगा दरबार बैठा ।।४ जन्म देकर जो हमे संसार के काबिल बनाया । मैं उसे ही इस तरह दहलीज से दुत्कार बैठा ।।५ पूछ लो गुरुदेव से वो ही बतायेंगे तुम्हें सच । माँ पिता की गोद में तो यह सारा संसार बैठा ।।६ कौन सा वो फर्ज है संतान का तूने निभाया । जो प्रखर तू माँगने अब आज है अधिकार बैठा ।।७ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल जिसकी खातिर मैं यहाँ फूलों का लेकर हार बैठा । वो छुपाए हाथ में अब देख लो तलवार बैठा ।।१
ग़ज़ल जिसकी खातिर मैं यहाँ फूलों का लेकर हार बैठा । वो छुपाए हाथ में अब देख लो तलवार बैठा ।।१ #शायरी
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