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Shashi Bhushan Mishra

#एहतियात रहे#

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भीड़ में चलिए एहतियात रहे,
कोई अपना भी संग साथ रहे,

हमने   देखे   हैं  परेशां  चेहरे,
हौसला है तो कुछ निजात रहे,

कोई महरूम न हो  शिक्षा से,
सबके हाथों कलम-दवात रहे,

चंद दिन के मुसाफ़िर हैं सारे,
हमारे बाद भी  कायनात रहे,

ख़ुशी भी आती है मेहमां जैसे,
ज़िन्दगी है तभी मुश्किलात रहे,

दूर से हो न तसल्ली दिल को,
कुछेक पल को मुलाक़ात रहे,

बहुत दिनों से है पतझड़ 'गुंजन',
बसंत आए तो न ये हालात रहे,
  --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra #एहतियात रहे#

Mohan Sardarshahari

# बिक रहे पिज्जा

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White आ रहे नव पल्लव 
जा रही है खिजां 
युवाओं के मिलन में 
बिक रहे हैं पिज्जा ।।

©Mohan Sardarshahari # बिक रहे पिज्जा

Ghumnam Gautam

White हाँ, मुझे प्यार है और तुम से ही है
पर बताओ मैं इज़हार कैसे करूँ

©Ghumnam Gautam #कैसे 
#इज़हार 
#ghumnamgautam

Parasram Arora

कैसे तय हो?

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White ये बात कित्नी अजीब है 
कि सांसे मेरी धीमी 
और मंद होती जा रहीं 
जबकि मेरी  नब्ज़ ने 
फड़कना बन्द कर  दिया है 


अब ये कैसे तय हो 
कि मै कितनी 
देर या  कितने दिन और  
जीता रहूगा ?
और मानलो मरना ही पढ़ा 
तो मेरा अंतिम क्षण कौनसा होगा

©Parasram Arora  कैसे तय हो?

Mohan Sardarshahari

# कट रहे रस्ते

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset अब लम्बी कविताओं का वक्त नहीं 
ना ही बचे हैं लम्बे रिश्ते 
शोसल मिडिया परोसता वासना के  किस्से 
घरों में तड़प रहे मां - बाप से फरिश्ते 
किताबें कोई छुता नहीं,डिजिटल बोर्ड टंगे दीवार
ज्ञान कोई लेता नहीं , डिग्रियां बिकती सस्ते
शारीरिक श्रम से विश्वास हटा,रोग मिले महंगे
मशीनों के सहारे ही अब कट रहे हैं रस्ते।।

©Mohan Sardarshahari # कट रहे रस्ते

Ghumnam Gautam

green-leaves 

आज का दिन बिताऊँ तो कैसे
कल की रैना उधार है मुझ पर!

एक वादा ख़िलाफ़ लड़की है
बाक़ी दुनिया निसार है मुझ पर

©Ghumnam Gautam #GreenLeaves #लड़की 
#ghumnamgautam 
#रैना #कैसे

चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज

# कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024

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New Year 2024-25  कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024
_______________________
हे दिसंबर ! कैसे कहूँ अलविदा --2024

जाते जाते  कितनों के आंँखें  कर गए नम
माना कि मेरे हिस्से में आई हैं खुशियांँ, 
खुशियांँ भी मना न पाऊंँ जाने कितने को दे गए हो गम

हे दिसंबर ! तुम्हें कैसे कहूंँ अलविदा-- 2024

भूल से भी ना भूलेगा मिटे से भी ना मिटेगा
 ज़ख्म है कितना गहरा , बेखबर हो गए हो
तुम क्या जानो ! जाने कितनों की सांँसे थम गईं

हे दिसंबर ! कैसे कहूंँ  अलविदा -- 2024

कपकपाती काया के रूह से पूछो-
जाते जाते  कितने को दर्द दे गए
  सिलते सिलते जाने कितने की उंगलियांँ जम गईं 

हे दिसंबर! कैसे कहूंँ अलविदा - 2024

(मौलिक रचना) 
चेतना प्रकाश चितेरी , प्रयागराज , उत्तर प्रदेश
३१/१२/२०२४ , ११:०८ पूर्वाह्न

©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # कैसे कहूंँ अलविदा -- 2024

Parasram Arora

कैसे पता लगे?

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Unsplash कैसे  पता लगे 
कि कौनसी बात
  न्याय संगत है 
और कौनसी बात व्यर्थ 

कागज़ी फूलों पर तुमने
कभी किसी  भवरे को 
बैठते हुए  देखा है क्या?

©Parasram Arora कैसे पता लगे?

neelu

#sad_quotes आप कितना बेहतर करते जा सकते हैं यह तो आपके करने की प्रकृति पर निर्भर करता है आप क्या कर रहे हैं इसे ज्यादा कैसे कर रहे हैं निर

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White आप कितना बेहतर करते जा सकते हैं
 यह तो आपके करने की प्रकृति पर निर्भर करता है
आप क्या कर रहे हैं इसे ज्यादा कैसे कर रहे हैं
 निर्भर करता है

©neelu #sad_quotes आप कितना बेहतर करते जा सकते हैं
 यह तो आपके करने की प्रकृति पर निर्भर करता है
आप क्या कर रहे हैं इसे ज्यादा कैसे कर रहे हैं
 निर

Sarfaraj idrishi

#Shajar आज़माइश ज़िन्दगी का अहम हिस्सा है! आज़माइश न हो तो नेअमतों का एहसास फीका पड़ जाता है Islam Yadav Ravi Achman Chitranshi ram singh

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आज़माइश ज़िन्दगी का अहम हिस्सा है!
आज़माइश न हो तो नेअमतों का एहसास
 फीका पड़ जाता है

©Sarfaraj idrishi #Shajar आज़माइश ज़िन्दगी का अहम हिस्सा है!

आज़माइश न हो तो नेअमतों का एहसास फीका पड़ जाता है Islam Yadav Ravi  Achman Chitranshi  ram singh
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