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दि कु पां
माँ.. तूझे सलाम.. इक शब्द भी और नही.. निशब्द.. बाकी तसवीर खुद बयां कर रही है.. #माँ_का_कोई_पर्याय_नहीं_साहेब! तस्वीर देखिये। बच्चे को दूध पिलाती माँ! माँ का चेहरा देखिये, क्या आपको लगता है कि उसकी छाती में छटाक
Agrawal Vinay Vinayak
हम 90 के दशक में पैदा हुए ठलुए है जनाब [ Read Caption ] हम 90 के दशक में पैदा हुवे ठलुए हैं ज़नाब…हमने #दुनिया को बदलते हुवे देखकर #दुनियादारी सीखा है.. और सिर्फ़ सीखा ही नहीं बल्कि जिया है उसको।
Prabodh Prateek
मां से बड़ा कोई नहीं #माँ तस्वीर देखिये। बच्चे को दूध पिलाती माँ! माँ का चेहरा देखिये, क्या आपको लगता है कि उसकी छाती में छटाक भर भी दूध होगा? चेहरा बता रहा है
Hrishabh Trivedi
उत्तर(Part 1) :- Neha Mishra जी की कल की पोस्ट का एक उत्तर..….. Disclaimer:- हमेशा की तरह ये भी मेरे निजी विचार हैं तो कोई भी किसी भी प्रकार का बुरा ना मा
Priyanka Singh
Sumit Singh #NojotoQuote सॉरी – “गुस्से को” दुख – “जिंदगी को” गुस्सा – “रिस्ते को” जूठा – “विस्वास को” साथ – “गम को” धोखा – “प्यार को” Facebook – “लाइफ को” Apps – “स
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
घर बाबुल के बनकर चिडिय़ा जो उडती रहती आँगन में, प्यार भरे रिश्तों की होती थी बरसातें तब आँगन में, रिश्तों में थी नहीं दीवारें सोती वो माँ की बाहों में , संग भाई के खेली कूदी नहीं कभी जो अपवादों में, घर बाबुल के बनकर चिड़िया जो उड़ती रहती आँगन में, आज सयानी होकर जानी नारी है अपवादों में , भागी दारी हर घर में हैं पर कभी न हकदारों में , शिक्षा दिक्षा चूल्हा चौका दिए गए संस्कारो में, घर के बाहर की दुनिया को छीन लिए अधिकारों में , घर बाबुल के बनकर चिड़िया जो उड़ती रहती आँगन में महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR घर बाबुल के बनकर चिडिय़ा जो उडती रहती आँगन में, प्यार भरे रिश्तों की होती थी बरसातें तब आँगन में, रिश्तों में थी नहीं दीवारें सोती वो माँ की
SAAJAN KUMAR The Technical Guru
आदत तेरी आदतों को मैंने कुछ इस तरह पाला आदतों की खातिर तेरी मैंने खुद की आदतों को बदल डाला आदतों में तू मेरी अब कुछ इस तरह समाया खो चुका हूं अब खुद को मैं मेरी रूह में भी मैंने तुझे ही पाया साजन कुमार आदतों को को दिया
azma khan
खुद को खोने का पता नहीं चला, किसी को पाने की यूं इंतहा कर दी मैंने ©azma khan को दिया खुद को
MIVAN GANDHI
दरिया को मत पूछो तुम कहा तक जाओगे वो भी इन्सान की तरह भटक रहा है। दरिया भी क्या करे उसे समंदर का पता नही किधर है। अनजान से रास्ते मे भटकते जा रहा है। ©MIVAN GANDHI दरिया को को बताए #sagarkinare
Vivek
देखो यूँ ही गुजरे न हर लम्हा यूँ ही तन्हा न तड़पो तुम जो ख़त कबसे खोला नहीं है सिर्फ़ उसी को पढ़ लो तुम मगरूर इश्क़ में ठीक नहीं है बिन मगरूर ही मर लो तुम खुद या मुझ में जो चुनना है क्यों न मुझ को चुन लो तुम...!!! ©Vivek # खुद को या मुझ को