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Payal Dholakia
तेरे होने का वजूद और सिर्फ मैं हूँ । जिंदगी की इन राहों मैं मुंतज़िर हूँ । तेरे ना होने की नुमाईश की गुंजाइश ही नहीं, तेरी ईबादत और सिर्फ मैं हूँ । भटका हुआ था मन, ठिकाना भी तु। रुह की फरियाद सुनने वाला भी तु। अब सिर्फ उम्मीद है, वक्त के साथ सब कुछ ठीक हो जाएगा । कोई तबरीज़ी कहो या कोई कहो रुमी, एक वास्ता तेरा और सिर्फ मैं हूँ । एक रब तेरा और सिर्फ मैं हूँ ।। अल्लाह हूँ❤ #Yqhindi #Yqbaba
Kumar Rohit
Om Dixit's Mot
Akash Das
#यथार्थज्ञान_About_ISLAM कुरान शरीफ का ज्ञान सर्वोच्च है और कुरान शरीफ का ज्ञान दाता अल्लाह - हू - अकबर है। - ज़ाकिर नाइक कुरान शरीफ का ज्ञा
Paramjeet kaur Mehra
ज़ाकिर नाईक कहते हैं कि जीव हत्या व उनका मांस खाना पाप नहीं है, जबकि संत रामपाल जी जे बताया कि कुरान शरीफ़ में मांस खाने का आदेश अल्लाह हू अकब
#maxicandragon
ले ली तूने अफगान बिना लडे बिना हलाल तालिबान के आतंकी तूने कर दिया कमाल दिनदहाडे चलती रही आतंकी तेरी चाल तालिबान के आतंकी तूने ले लिया अफगान ले ली.... धरती पे लड़ी तूने आतंक की लड़ाई दागी थी तोप तूने और बंदूक चलाई अफगान के हर शहर पे की तूने चढ़ाई वाह रे आतंकी खूब करामात दिखाई चुटकी में सेनाअमरिका को दिया देश से निकाल तालिबान के आतंकी तूने ले लिया अफगान ले ली.... अल्लाह हू अकबर चिल्ला दिन रात फौज बिछा कर यहाँ बैठा था अमरिका लगता था तुमको मुश्किल अमरिका को हराना टक्कर थी बड़े ज़ोर की अमरिका भी तना था पर तू भी था तालिबान आतंकी पुराना मारा हफ्ते में दांव के उलटी पडी सब चाल तालिबान के आतंकी तूने ले लिया अफगान ले ली.... अल्लाह हू अकबर चिल्ला दिन रात #Sadharanmanushya ©#maxicandragon ले ली तूने अफगान बिना लडे बिना हलाल तालिबान के आतंकी तूने कर दिया कमाल दिनदहाडे चलती रही आतंकी तेरी चाल तालिबान के आतंकी तूने ले लिया अफगान
umar SHAIKH
#OpenPoetry दिल हो मेहबूब की आेर, ज़ुबानी इज़हार काफी नहीं मोहब्बत में जेसे किब्ला रुख लाज़िम है, तकबीर-ए-तहरीम काफी नहीं इबादत में सेवा करता रहा पूरी कोम की, मगर छोड़ दिया मां बाप को कम अक्ल भूल गया जन्नत तो है छुपी, इन ही की खिदमत में भुला कर अर्श वाले को, फर्श वालो से करके सवाल नादां करता है मोहताज को शरीक, बेनियाज़ की वहदत में थोडा इंतेज़ार और कर लेते तो उसे अपना बना ही लेते हम तो जीती बाज़ी हार गए, जरासी उज्लत में बख्श देना चंद आयात कबर पर हमारी, अपनी ही खातिर केसे बेहलाओंगे जी अपना हमारे बगैर, तनहा जन्नत में करते हो वफा की उम्मीद, करके रुसवा सारे जहां में कोई कसर तो छोड़ी होती तुम ने, लगाई तोहम्मत में करते तो हो तुम साथ निभाने के वादे हज़ार लेकिन झूट दिखता है शफ़ाफ हमें , तेरी उल्फत में अभी और शिकवे रेहते है, मगर बयां करने नहीं 'उमर' चार रोज़ की जिंदगानी है, गुज़ारनी नहीं शिकायत में #शिकायत_में की अोर - की तरफ कीब्ला रुख - जिस सिमत रुख करके नमाज़ अदा करते है तकबीर-ए-तहरिम - नमाज़ की निय्यत बा
Umar Shaikh
#शिकायत_में की अोर - की तरफ कीब्ला रुख - जिस सिमत रुख करके नमाज़ अदा करते है तकबीर-ए-तहरिम - नमाज़ की निय्यत बा