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Deep Sharma
Khud को गिरवी रखकर तेरा Pyaar मांगा है रब से Sab कुछ छोड़ कर बस tujhe ही यार मांगा है रब से tu कर यकीं, या ना कर वो teri मर्जी है यार tujhe हर ख़्वाब, हर khayaal में हर बार मांगा है रब से ©Deep Sharma #मांगा_है_तुम्हे_रब_से
पूर्वार्थ
बड़ी उम्मीद से मैं उनसे कुछ पल मांगी थी, उन्होंने ठुकराया भी इस ज़िल्लत से की खुद से नफ़रत हो गयी हमें...!! ©पूर्वार्थ #मांगा_जो
S. ansari
जिंदगी मे जो मांगी थी अपने लिए दुआये वो तमाम दुआये तुम्हारे नाम करती हूँ.. shifa ansari मांगा ..
gaTTubaba
उसने ना कोई उपहार मांगा ना कोई इनाम मांगा एक छोटासा एहसान मांगा बस मेरा नाम मांगा ©gaTTubaba #RajaRaani उसने ना कोई उपहार मांगा ना कोई इनाम मांगा एक छोटासा एहसान मांगा बस मेरा नाम मांगा
Sanny (Kafir)
हमने ऐसा क्या मांगा था? ज़िन्दगी भर के लिए तेरा साथ ही तो मांगा था! अब कहते हो साथ मुमकिन नही इस जनम में, बस तुझसे तेरा वादा ही तो निभाने को कहा था। क्या मांगा था?
ज़िंदादिल संदीप
मशलूफियत नहीं करार मांगा था... हमने कब किसी से कभी प्यार मांगा था? हुए यू आज दूर ...मेरे आंखों से वो बेहद.. बेख्याली में भी ...इश्क़ बेशुमार मांगा था... सहते गए ज़िंदादिली से हर इक गम.. हमने कब कहीं भी इकरार मांगा था? करते है इश्क़ रूह की ताजगी से बेपनाह.. हमने कब कोई भी दिलबर बेजार मांगा था? मिलो कभी फिर किसी मोड़ पे कहीं .. तो कहते बस तुझे ही तो बार बार मांगा था.. करते रहते है खुशियों का व्यापार दिल से खूब.. सांसें तो बेशक रही साथ..कब ज़िन्दगी यू दुश्वार मांगा था? आज गिरा जब हथेलियों में आब ए चश्म छूट कर आंखो से.. बेखबर तेरे लिए यूहीं..कब तुझपे ज़बरदस्ती हमने अधिकार मांगा था? जा रहे हो अब तो बेशक जाओ तुम भी धोकर अपने गुनाह सारे.. हमने भी अब तुझे भूलना चाहा ..हमने भी अब बस ये जान निसार मांगा था।।।।। कब प्यार मांगा था?
प्रमोद
मैंने ना मांगी थी शोहरत मैंने ना मांगी थी दौलत। मैंने कुछ अगर मांगा खुदा से वो बस तेरी मोहब्बत। मैंने मांगा खुदा से
कमलेश मिश्र
😞 “ मैंने दहेज़ नहीं माँगा ” 😞 साहब मैं थाने नहीं आउंगा, अपने इस घर से कहीं नहीं जाउंगा, माना पत्नी से थोडा मन मुटाव था, सोच में अन्तर और विचारों में खिंचाव था, पर यकीन मानिए साहब , “ मैंने दहेज़ नहीं माँगा ” मानता हूँ कानून आज पत्नी के पास है, महिलाओं का समाज में हो रहा विकास है। चाहत मेरी भी बस ये थी कि माँ बाप का सम्मान हो, उन्हें भी समझे माता पिता, न कभी उनका अपमान हो। पर अब क्या फायदा, जब टूट ही गया हर रिश्ते का धागा, यकीन मानिए साहब, “ मैंने दहेज़ नहीं माँगा ” परिवार के साथ रहना इसे पसंन्द नहीं, कहती यहाँ कोई रस, कोई आनन्द नही, मुझे ले चलो इस घर से दूर, किसी किराए के आशियाने में, कुछ नहीं रखा माँ बाप पर प्यार बरसाने में, हाँ छोड़ दो, छोड़ दो इस माँ बाप के प्यार को, नहीं मांने तो याद रखोगे मेरी मार को, बस बूढ़े माता पिता का ही मोह, न छोड़ पाया मैं अभागा, यकींन मानिए साहब, “ मैंने दहेज़ नहीं माँगा ” फिर शुरू हुआ वाद विवाद माँ बाप से अलग होने का, शायद समय आ गया था, चैन और सुकून खोने का, एक दिन साफ़ मैंने पत्नी को मना कर दिया, न रहुगा माँ बाप के बिना ये उसके दिमाग में भर दिया। बस मुझसे लड़ कर मोहतरमा मायके जा पहुंची, 2 दिन बाद ही पत्नी के घर से मुझे धमकी आ पहुंची, माँ बाप से हो जा अलग, नहीं सबक सीखा देगे, क्या होता है दहेज़ कानून तुझे इसका असर दिखा देगें। परिणाम जानते हुए भी हर धमकी को गले में टांगा, यकींन माँनिये साहब , “ मैंने दहेज़ नहीं माँगा ” जो कहा था बीवी ने, आखिरकार वो कर दिखाया, झगड़ा किसी और बात पर था, पर उसने दहेज़ का नाटक रचाया। बस पुलिस थाने से एक दिन मुझे फ़ोन आया, क्यों बे, पत्नी से दहेज़ मांगता है, ये कह के मुझे धमकाया। माता पिता भाई बहिन जीजा सभी के रिपोर्ट में नाम थे, घर में सब हैरान, सब परेशान थे, अब अकेले बैठ कर सोचता हूँ, वो क्यों ज़िन्दगी में आई थी, मैंने भी तो उसके प्रति हर ज़िम्मेदारी निभाई थी। आखिरकार तमका मिला हमे दहेज़ लोभी होने का, कोई फायदा न हुआ मीठे मीठे सपने सजोने का। बुलाने पर थाने आया हूँ, छूप कर कहीं नहीं भागा, लेकिन यकींन मानिए साहब , “ मैंने दहेज़ नहीं माँगा ” 😪 झूठे दहेज के मुकदमों के कारण , पुरुष के दर्द से ओतप्रोत एक मार्मिक कृति… 🙏🏻 ©कमलेश मिश्र मैंने दहेज नहीं मांगा......