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Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat दरखतो पर गुदे वो नाम की रिवायत, हिसाब किताबलाजवाब है अब रिवायत , रिवायत हो या हो मोहब्बत गुलामी की जंजीरों से बेज़ार है ये रिवायत #respect #love #yqbaba #yqdidi #yqquotes Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat दरखतो पर गुदे वो नाम की रिवायत, हिसाब किताबलाजवाब है अब रिवायत
Kumar Gaurav
जैसे सालों बाद मिलें हो बिछड़ के, जैसे निकला हो चांद कई अंधेरी रातों के बाद, मिलो तो इस तरह जैसे खिले हो फूल बरसों से मुरझाए दरखतों पे। #yosimwrimo में आज का simile #challenge #मिलोतोइसतरह जैसे सालों बाद मिलें हो बिछड़ के, जैसे निकला हो चांद कई अंधेरी रातों के बाद, मिलो तो
𝑨𝒚𝒖_𝒔𝒉
धुआं धुआं हो रहा है कहीं तो आग लगी होगी, सारा शहर सो रहा था पर कोई तो आंख खुली होगी, ऐसे तो नहीं झड़ गए सूखे पत्ते इन दरखतों से, तूफ़ान बेशक ना आया पर थोड़ी सी हवा तो चली होगी...! ©𝑨𝒚𝒖_𝒔𝒉 DOn't quIT❤️ धुआं धुआं हो रहा है कहीं तो आग लगी होगी, सारा शहर सो रहा था पर कोई तो आंख खुली होगी, ऐसे तो नहीं झड़ गए सूखे पत्ते इन दरखतों से
Zoga Bhagsariya
सारे जहां में साथी तो बस है खुदा आगे खुदा के कोई भी ऊंचा नहीं ।। سارے جہاں میں ساتھی تو بس ہے خدا ، آگے خدا کے کوئی بھی اونچا نہیں ، उसने दरखतों की तरह रोपा मुझे , लेकिन हां आबे इश्क़ से सींचा नहीं ।। जोगा भागसरीया ।। اسنے درختوں کی طرح روپا مجھے ، لیکن ہاں آبِ عشق سے سینچا نہیں ۔۔ زوگا بھاگسریا ©Zoga Bhagsariya सारे जहां में साथी तो बस है खुदा आगे खुदा के कोई भी ऊंचा नहीं ।। سارے جہاں میں ساتھی تو بس ہے خدا ، آگے خدا کے کوئی بھی اونچا نہیں ، उसने
sushma Nayyar
डिअर डैड ठंडी छांव ने वादे तपती धूप से किए थे कभी दरखतों के पत्ते बनकर , कभी छत का छज्जा बनकर कर देगी छाया थके मुसाफिरों पर हाथ में हाथ को धर कर चलेंगे साथ में मिलकर और वादे धूप ने छांव से भी कुछ ऐसे ही किए थे सर्द दुपहरी में अक्सर सर्द परछाइयों पर जम जाएंगे जब ठंडे शीतकन तो आकर गुनगुनी किरणें समेटेंगी सब आंचल में ठिठुरते कांपते हर कण में भरेंगी गर्म प्राण ।। _________________ सुषमा नैय्यर ठंडी छांव ने वादे तपती धूप से किए थे कभी दरखतों के पत्ते बनकर , कभी छत का छज्जा बनकर कर देगी छाया थके मुसाफिरों पर हाथ में हाथ को धर कर चले
katib_official
चलो ,वो पुराना किस्सा फिर से शुरू करते है। एक दूसरे से अजनबी बन, फिर से मोहब्बत करते है। for full poem read the caption.. चलो ,वो पुराना किस्सा फिर से शुरू करते है। एक दूसरे से अजनबी बन, फिर से मोहब्बत करते है। फिर निगाहों कि तकरार, तुम्हारे चेहरे की मुस्कान। फ
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat पिता के साएं में पले या अरमान के साएं में दबे कभी विश्वास की लौ में जली कभी हिस्सों में विरासत में खले नसीब नसीब से मिलता अधूरा एहसास दरखतो की टहनी में लटकता है बचनप का वो नाम पिता की बाहों के हार में सिमटता है जीवन का रंगमंच इरादे लगते कभी नेक कभी फेक बस जीवन का उद्देश्य बने वहीं जो दिल कहे विश्वास कहे तू बन जा जो दिल कहे बरामत ख़ुद की ख़ुद में तू कर ख़ून में रंगी किस्मत तू ख़ुद हीं रंग नाकामी से पहले की जीत को लक्ष्य बनाकर चल दे तू मसले तमाम ख़ालिश नाकाम जीवन का यहीं उद्धार #fathersday #lifequotes #realityoflife #yqbaba #yqtales Proud Single mum Every child is not that lucky And every father is not that luc
unmukt abhi
वो दिन का रात से शाम को मिलना वो मेरा मुझसे तेरी बातों में मिलना बड़ा अच्छा लगता है। मेरी हर उदासी के मतलब निकालना अपनी वो बेवकूफाना बातों से मुझे हसाना बड़ा अच्छा लगता है। मेरी वो बेपरवाह हंसी का, तेरी मुस्कुराहटों में दिखना मेरे अल्फाजों में खुदको , तेरा वो तलाशना बड़ा अच्छा लगता है। तेरे चेहरे पर बिखरे हुए जुल्फों का होना जैसे काली रात में चांद का चमकना बड़ा अच्छा लगता है। बरसात के बाद इन्द्रधनुष के मानिंद रंगो से सजे तेरे होंठों का होना उन आंखों की गहराई में छिपा एक झील सा होना बड़ा अच्छा लगता है। वो अम्राईयों से कोयल की तरह मुझे पुकारना नदियों की तरह वो तेरी पायलों का छन छन करना बड़ा अच्छा लगता है। तेरा वो दरखतों सा ठंडक पहुंचाना तपती जून में भी सावन की यादें ताज़ा करना बड़ा अच्छा लगता है। -२ वो दिन का रात से शाम को मिलना वो मेरा मुझसे तेरी बातों में मिलना बड़ा अच्छा लगता है। मेरी हर उदासी के मतलब निकालना अपनी वो बेवकूफाना बातों
Somya Baranwal
मंज़िल का गर कोई ठिकाना न हो तो बीच राह उठते कदमों को ज़रा संभलने में वक़्त तो लगता है..... ठोकर खा के गिर के राह पे लड़खड़ाते हुए शख़्स को संभल कर फिरसे चलने में वक़्त तो लगता है..... वक़्त तो लगता है.... ज़िंदगी की राह पर चलते-चलते कहीं ठहर भी जाओ तो तेज़ सांसों को थमने में वक़्त तो लगता है..... मिल जाए गर कोई अजनबी
Harshita Dawar
Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #jazzbaat# बचपन के दिन थे वो क्या दौर था वो गुज़रा ज़माना था।।। क्या दिन थे वो बहुत याद आता है क्या ज़माना था ।। #bachpankiyaadein #rishte #khetan #lovequotes Written by Harshita Dawar ✍️✍️ #Jazzbaat# आम का बाग क्या दिन थे वो क्या ज़माना था आज ना वो वक