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मोरध्वज सिंह
Follow me Friends ©मोरध्वज सिंह स्टेशन जैसी हो गई है जिंदगी । #Love #Life #शायरी #viral https://amzn.to/3PUgZ6F
Dr Wasim Raja
रेलवे प्लेटफार्म पर यात्रियों का लगातार आना-जाना है। रेलगाड़ी का काम मानव को गंतव्य स्थान पर पहुंचना है।। रेलवे विभागीय कर्मचारियों द्वारा यात्रा सुगम बनाना है। यात्रीगण कृपया ध्यान दें ,गाड़ी की स्थिति समझाना है।। आइए कुछ क्षण गाड़ियों के इंतजार में सुस्ताना है। गाड़ी आते ही तत्परता पूर्वक होशियारी दिखाना है।। पुछ ताछ केन्द्र का काम पल पल गाड़ी के बारे बताना है। यहां हर गाड़ी का अपना अलग-अलग होता ठिकाना है।। यहां कोई नहीं होता है अपना सब बना रहता बेगाना है। लगातार शोर गुल होता है सबको आपस में बतियाना है।। सही गाड़ी पर चढ़े अन्यथा कहीं और पहुंच जाना है। बड़े-बड़े रेलवे स्टेशनों का बस यही तो अफसाना है।। सजग रहें, सावधान रहें! यही रेलवे का ताना-बाना है। जान है तो जहान है सुरक्षित यात्रा हो,नहीं हड़बड़ाना है।। ©Dr Wasim Raja रेलवे स्टेशन
Mehfuza
Black कोई इंसान आपकी कदर के तो उसे संभाल कर रखना, क्योंकि जिस दिन वह इंसान चला जाएगा, वह इंसान तो परेशान करने को नहीं रहेगा मगर उसकी यादें आपको हर रोज परेशान करेंगी, जो ना आपको जीने देगी ना मरने देगी। कदर करो उसकी जो आपके के पास मौजूद है। ©Mehfuza #Thinking कोई इंसान आपकी कदर के तो उसे संभाल कर रखना, क्योंकि जिस दिन वह इंसान चला जाएगा, वह इंसान तो परेशान करने को नहीं रहेगा मगर उसकी य
Vikrant Rajliwal Show
Himanshu Prajapati
जिसे दाल में जीरा पसंद नहीं है वह मुझे ख़ाक पसंद करेंगी..! ©Himanshu Prajapati #relaxation जिसे दाल में जीरा पसंद नहीं है वह मुझे ख़ाक पसंद करेंगी..!
bhim ka लाडला official
Poet Kuldeep Singh Ruhela
जिंदगी भी एक रेलगाड़ी है एक के बाद एक स्टेशन आते रहते है कभी दुख कभी सुख आता है बचपन आता है जवानी आती हैं फिर बुढापा हमको जीवन के रंग दिखाता है और अंत में कटते है सिर्फ दिन जो बिना परिवार बच्चो के अंत में रह जाता है दुख काटते काटते जीवन से मुक्त हो जाता है ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #traintrack जिंदगी भी एक रेलगाड़ी है एक के बाद एक स्टेशन आते रहते है कभी दुख कभी सुख आता है बचपन आता है जवानी आती हैं फिर बुढापा हमको जीव
Ravishankar Nishad
स्टेशन जैसी हो गयी है ज़िन्दगी, जहां लोग तो बहुत ह पर अपना कोई नहीं। ©Ravishankar Nishad स्टेशन जैसी हो गयी है ज़िन्दगी, जहां लोग तो बहुत ह पर अपना कोई नहीं।