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Best रेलवे Shayari, Status, Quotes, Stories

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MANJEET SINGH THAKRAL

जुमला दिया देश नही बिकने दूंगा और सब कुछ बेच दिया। अब स्वदेशी फाइटर जेट बनाने वाली कंपनी #hal में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेच रही है। पहले #LIC, #BPCL, #रेलवे और अब HAL की बारी है। अगर आप किसी सरकारी कंपनी में हैं तो ध्यान रखे कहीं अगला नंबर आपकी कंपनी का न हो।

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जुमला दिया देश नही बिकने दूंगा और सब कुछ बेच दिया। अब स्वदेशी फाइटर जेट बनाने वाली कंपनी #HAL में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेच रही है।

पहले #LIC, #BPCL, #रेलवे और अब HAL की बारी है। अगर आप किसी सरकारी कंपनी में हैं तो ध्यान रखे कहीं अगला नंबर आपकी कंपनी का न हो। जुमला दिया देश नही बिकने दूंगा और सब कुछ बेच दिया। अब स्वदेशी फाइटर जेट बनाने वाली कंपनी #HAL में सरकार अपनी हिस्सेदारी बेच रही है।

पहले #LIC, #BPCL, #रेलवे और अब HAL की बारी है। अगर आप किसी सरकारी कंपनी में हैं तो ध्यान रखे कहीं अगला नंबर आपकी कंपनी का न हो।

Raushan Kumar Gahalaut

निजीकरण का विरोध जारी है और जारी रहेगा।। #निजीकरण #privatization #रेलवे

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रेलवे निजीकरण का 
विरोध जारी है और जारी रहेगा #NojotoQuote निजीकरण का विरोध जारी है और जारी रहेगा।।
#निजीकरण #Privatization #रेलवे

Balveer Pandey

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उन्होंने मां को नहीं बताया था कि वो रेल मंत्री हैं।
कहा था कि "मैं रेलवे में नौकरी करता हूं"।
वह एक बार किसी कार्यक्रम में आए थे जब उनकी मां भी वहां पूछते पूछते पहुंची कि मेरा बेटा भी आया है, वह भी रेलवे में है।

लोगों ने पूछा क्या नाम है जब उन्होंने नाम बताया तो सब चौंक गए " बोले यह झूठ बोल रही है"।
पर वह बोली, "नहीं वह आए हैं"।
लोगों ने उन्हें लाल बहादुर शास्त्री जी के सामने ले जाकर पूछा," क्या वही है?"

तो मां बोली "हां वह मेरा बेटा है"
लोग मंत्री जी से दिखा कर बोले "क्या वह आपकी मां है"
तब शास्त्री जी ने अपनी मां को बुला कर अपने पास बिठाया और कुछ देर बाद घर भेज दिया।

तो पत्रकारों ने पूछा "आपने उनके सामने भाषण क्यों नहीं दिया"

तो वह बोले-
मेरी मां को नहीं पता कि मैं मंत्री हूं। अगर उन्हें पता चल जाए तो वह लोगों की सिफारिश करने लगेगी और मैं मना भी नहीं कर पाऊंगा।..... और उन्हें अहंकार भी हो जाएगा।

जवाब सुनकर सब सन्न रह गए।

"कहां गए वो निस्वार्थि ,सच्चे ,ईमानदार लोग"
हम सदैव स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री जी को अपना आदर्श मानकर कार्य करते रहेंगे"।
*आज लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म दिन है*🙏

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Dilip Yadav💟

#2अक्टूबर 

 चरित्रवान, निष्ठावान देशभक्त पूर्व प्रधानमंत्री #श्रीलालबहादुर_शास्त्री_जी की जयन्ती की सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं ।।

उनके सादगी भरे जीवन की अनेक कथाएं है ।

उन्होंने मां को नहीं बताया था कि वो रेल मंत्री हैं।
कहा था कि "मैं रेलवे में नौकरी करता हूं"।
वह एक बार किसी कार्यक्रम में आए थे जब उनकी मां भी वहां पूछते पूछते पहुंची कि मेरा बेटा भी आया है, वह भी रेलवे में है।

लोगों ने पूछा क्या नाम है जब उन्होंने नाम बताया तो सब चौंक गए " बोले यह झूठ बोल रही है"।
पर वह बोली, "नहीं वह आए हैं"।
लोगों ने उन्हें लाल बहादुर शास्त्री जी के सामने ले जाकर पूछा," क्या वही है?"

तो मां बोली "हां वह मेरा बेटा है ।"
लोग मंत्री जी से दिखा कर बोले "क्या वह आपकी मां है ?"
तब शास्त्री जी ने अपनी मां को बुला कर अपने पास बिठाया और कुछ देर बाद घर भेज दिया।

उनसे पत्रकारों ने पूछा "आपने मां के सामने भाषण क्यों नहीं दिया ?"

तो वह बोले-
मेरी मां को नहीं पता कि मैं मंत्री हूं। अगर उन्हें पता चल जाए तो वह लोगों की सिफारिश करने लगेगी और मैं मना भी नहीं कर पाऊंगा।..... और उन्हें अहंकार भी हो जाएगा।

जवाब सुनकर सब सन्न रह गए।
 http://bit.ly/WhatsapStatus Jay kisan

Umesh Kushwaha

प्यार आज भी उससे है। #story

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"प्यार आज भी उससे है"
 प्यार में होना और प्यार से उबरना दो अलग अलग बात है। प्यार में होना यानी अमूर्त हो जाना। फिर आप कहीं इतना खो जाते है, जैसे बारिश की पहली बूंदे मिट्टी पर पड़ती हो तो वो सोंधी सोंधी खुशबू आपके मन को पूरी तरह मोह लेती है या धीरे धीरे आप इसके वस में हो जाते हैं,आप मोहित हो जाते है।
     उस मिट्टी की आवो हवा में आप जीने लगते है,फिर वही रोज़ की आदत में शुमार हो जाता है।आप चाह कर भी उस गोलाई की परिध से बाहर नहीं आ सकते,फिर आपकी दिनचर्या इस 
कदर जकड़ जाती है कि जब तक आप उस सौंधी सौंधी खुशबू को मस्तिष्क में उतार न ले तब तक आप खुश नहीं रह सकते,फिर क्या ये धीरे धीरे आपकी आदत आपका स्वभाव बन जाती है।
     जब कोई चीज़ आपके स्वभाव में आ जाए तो उसे बदलना कठिन होता है लेकिन ये और भी भयावह हो जाता जब धीरे धीरे इसकी कद्र कम होने लगती है। फिर क्या झल्लाहट और अकेलापन इस कदर हावी हो जाता है कि आप हर समय खाली खाली महसूस करने लगते हैं।
     नीरस और बेमन होकर जीना जैसे अंश और हर का कायदा हो,फिर आप उस अंश के ही होकर रह जाते हैं यानी हर चीज के आदी जैसे वो रास्ते,बाजार घूमना - फिरना यहां - वहां आना - जाना।यहां तक कि वहां की हवा भी आप के जहन में बस जाती है, जो कि प्राणवायु है। फ़िर आप इससे उबर नहीं सकते अंत तक चाहे कितना भी धैर्य रख लीजिए क्यूंकि वो वायु प्रणय बनकर आपके दिलोदिमाग से लेकर पूरे शरीर में वास कर रही होती है।
       जब वो अंश आपसे अलग होता है, वो तो यही सोचता है कि वो पूरी तरह अलग हो गया है लेकिन ये सिर्फ उसके ही परिपेछ्या से दृष्टागत है। वो कहीं अलग किसी और के साथ खुश है लेकिन आप उस साथ को इतना जी चुके होते हैं की वो फिर आपको नहीं छोड़ता जो की हर समय आपके साथ होता है और नहीं भी, यही बात सबसे ज्यादा तकलीफ देय होती है।
      वो सारे मंजर फिर याद आते हैं, वो सड़के जहां हम साथ चले थे,वो कचौरी का ठेला फिर पानी पूरी की बात" भैया दही वाली ही देना" और वहीं पास वाली आइस्क्रीम की दुकान से  हर बार तुम जिद करके सिर्फ एक ही आइसक्रीम लिया करते थे,और फिर धीरे धीरे पार्क पहुंच जाते थे।फिर क्या तुम बोलती और मैं सुनता था।
        इतना ही नहीं हर रोज़ तुम्हारे ऑफिस से घर तक छोड़ना, पर हां वो हाईवे वाला पुल जहन में बना ही रहता है, जब तुमने अचानक बाइक रोकने को कहा था और हम कुछ देर रुके थे । तब पहलीवार तुमने हमें "किस" किया था,जो आज भी वो पुल वाला किस याद है जिसे भूलाया नही जा सकता।
        हर वो चीज याद है जो हम साथ में जिये हैं,वो गली - वो मोहल्ले! एक एक पल जो हम बातें करते थे और हां वो रेलवे का ओवरब्रिज कैसे भूल सकता हूं मै वहीं पर तो झगड़ा हुआ था हमारा, तुम उस दिन गुस्से में थी। फिर हमारी कई दिनों तक बात नहीं हुई और न ही मिलना जुलना। उस दिन बहुत कोशिश की थी तुमको समझाने की लेकिन तुमने अकेले ही फैसला कर लिया था।
         तुम्हारे लिए तो आसान था पर शायद आज तक मैं उन चीजों से उबर नहीं पाया हूं,खोजता रहता हूं मै तुम्हे ही उन्ही रास्तों में जहां जहां हम साथ चले थे। पर अब वो गलियां हमें चुभती हैं हवाओं में भी एक अजीब सी चुभन है जो गले ही नही उतरती। लेकिन तब भी उन सारी जगहों को एक बार फिर देख लेना चाहता हूं,मानो मै तुम्हे महसूस के रहा होता हूं जब उन सारी जगहों से गुजर रहा होता हूं चाहे वो तुम्हारे घर की पास वाली गली हो या रेलवे फाटक के खुलने का वो दो मिनट का इंतजार पर आज भी लगता है कि तुम उस पार से कहीं मुझे निहार रही होगी और दौड़कर फिर मेरे पास आना चाहती होगी लेकिन फिर मैं मौन हो जाता हूं तुम्हे खोकर,क्यूंकि मै जीना चाहता था तुम्हारे साथ,जब तुम साथ होती थी तो अच्छा लगता था लेकिन शायद अब तुम्हे मंजूर नहीं था मेरे साथ रहना , वो प्रश्न आज भी मेरे अंदर कहीं उस उत्तर को खोजना चाहता है जिसका जवाब सिर्फ तुम हो।
  मै तुम्हे ढूडना चाहता हूं फिर वही उसी पार्क में की तुम आओगी उसी मेज पर जहां हम साथ बैठा करते थे,आज भी मैं रोज उसी मेज़ पर जाकर अकेले बैठता हूं इसी उम्मीद में कि एक दिन तुम जरूर आओगी। अब तो दिल की धड़कने और तेज़ होने लगी थी क्यूंकि मेरे जाने का यानी इस शहर को छोड़ने का समय कुछ ही दिन और बचा था।
 उस शहर को छोड़ने से पहले मैं हर एक चीज को समेट लेना चाहता था,हर वो लम्हा जी लेना चाहता अब अकेले ही जैसे तुम्हारे साथ जिया था। तुम्हारे न होने का दुख तो था वो अकेलापन लेकिन तुम मुझमें हर वक्त होती थी ऐसा लगता था कि तुम मेरे साथ चल रही हो,कुछ कह रही हो और मैं सुनता जा रहा हूं आज भी उसी तरह पूरी तनमयता से।
     कुछ भी हो ये शहर तो अब जहन में बस गया है वो भी सिर्फ तुम्हारे लिए जिसे अब भूलाया नहीं जा सकता। इश शहर ने हमें बहुत कुछ दिया और बहुत कुछ सिखाया भी है। अब यहां खोने को कुछ बचा भी नहीं था क्यूंकि आप यहां अपना दिल हार चुके है और उससे बेहद कीमती कुछ हो भी नहीं सकता। 
      इस शहर ने प्रेम करना सिखाया, प्यार में होना सिखाया लेकिन प्यार से उबरना नहीं सिखा पाया जिसकी टीस आज भी चुभ रही है जो शायद अब जीवन पर्यंत रहे क्यूंकि जब कोई प्यार में होता है तो वो फुल स्विंग के साथ  पूरी ईमानदारी और लगन से होता है और फिर जब कोई बीच में ही छोड़ के चला जाए तो फिर बहुत दुखता है इसीलिए कहता हूं प्यार में होना और प्यार से उबरना दो अलग - अलग बात है। प्यार आज भी उससे है।

Mon2 raj

"वैश्या- एक माँ" Read👇 कल रात काम से घर लौटते वक़्त मेने कुछ लड़को को नवी मुम्बई के वाशी रेलवे स्टेशन पे एक वेश्या पर छींटाकशी करते देखा। मेरा आप सब से हाथ जोड़कर निवेदन है के आप ऐसा ना करे वो भी इंसान होते है मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता आप मेरे बारे में क्या सोचेंगे लेकिन मेरी भी एक दोस्त है जो वेश्या है या यूँ कह लो वो पहले से वेश्या थी फिर मेरी दोस्त बनी उसी वाशी के रेलवे स्टेशन पर करीब करीब 2010 में जब उसने मेरी मदद की थी, हालाँकि तब मैं नहीं जनता था वो कौन है क्या करती है और अगर शायद उस समय जान जा #maa #व्यंग्य #समाज #कटाक्ष #merikahaani #mon2_raj

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SHIVAM CHITTOUR

बहुत दिनों बाद रेलवे की भर्ती आई थी,
 तभी हमारे चेहरे पर खुशी छाई थी।
 निकल पड़े  देने रेलवे के लिए परीक्षा, 
जाकर देखा स्टेशन पर सुपर फास्ट कर रही थी प्रतीक्षा।
 हम और हमारे साथ और भी बेरोजगार सवार हो गए, 
कुछ तो खड़े रहे और कुछ बैठे सो गए।
 रेवाड़ी के लिए हम दिल्ली से होते हुए जा रहे थे, 
दिल्ली के पास पूरे भारत को निहार रहे थे। 
कहने को मेरा भारत महान था,
कहीं टूटी-फूटी छत कहीं खुला आसमान था। 
उस दिन मैंने गरीबी को बहुत ही करीब से देखा 
जी में आया गला घोट दू उनका जो हर चुनाव में विकास का लेते हैं ठेका।
 ट्रैक के पास ही कुछ गरीब बच्चे खेल रहे थे, 
लगा जैसे गरीबी को हंसकर झेल रहे थे। 
कुछ दूर लोग खुले में शौच त्याग रहे थे ,
खुले में शौच मुक्त के दावे खोखले साबित होते जा रहे थे।
थोड़ी दूर चलकर गंदगी और कूड़ा कचरा बिखरा पड़ा था, स्वच्छ भारत अभियान का जैसे दम घुटा पड़ा था।
कुछ लोग उस कूड़े में से ही कुछ निकाल रहे थे,
 मानो गंदगी के ढेर में अपनी किस्मत को आजमा रहे थे।
#Shivamchittour #shivamchittour 
#zindagi
#love #life #poem
#poetry #nojoto

RAKESH SINGH (Drishti Coaching Nandganj)

पिंगली वेंकैया: जिनकी वजह से भारत को मिला तिरंगा... भारतीय झंडे को डिजाइन करने वाले पिंगली वेंकैया ने रेलवे में भी नौकरी की थी. आज उनका जन्‍मदिन है. पिंगली वेंकैया: जिनकी वजह से भारत को मिला तिरंगा... Pingali Venkayya सारे देशों के झंडे संबंधित देश के आन-बान-शान के प्रतीक होते हैं. ऐसा ही हमारे तिरंगे के साथ भी है, मगर ऐसा कम ही लोगों को पता है कि इसे पिंगली वेंकैया नामक शख्स ने डिजाइन किया था. उनका जन्म साल 1876 में 2 अगस्त के रोज हुआ था. जानिए उनके बारे में ऐसी बातें, जो उन्‍हें आम से खास बनात

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जन्मदिवस पर विशेष 
दृष्टि कोचिंग क्लासेज नन्दगंज गाजीपुर पिंगली वेंकैया: जिनकी वजह से भारत को मिला तिरंगा...
भारतीय झंडे को डिजाइन करने वाले पिंगली वेंकैया ने रेलवे में भी नौकरी की थी. आज उनका जन्‍मदिन है.
पिंगली वेंकैया: जिनकी वजह से भारत को मिला तिरंगा... Pingali Venkayya
सारे देशों के झंडे संबंधित देश के आन-बान-शान के प्रतीक होते हैं. ऐसा ही हमारे तिरंगे के साथ भी है, मगर ऐसा कम ही लोगों को पता है कि इसे पिंगली वेंकैया नामक शख्स ने डिजाइन किया था. उनका जन्म साल 1876 में 2 अगस्त के रोज हुआ था. जानिए उनके बारे में ऐसी बातें, जो उन्‍हें आम से खास बनात

Lokesh Sharma

अक़्सर तेरी #यादें मुझे ऐसे घेर लेती हैं,,

◆◆◆
जैसे #रेलवे स्टेशन पर पांच सात #ऑटो
 वाले 😝😂
w-l-s

sanjay_muntazir_23

मेरी किताब 7 मैं कल फिर गाना गुनगुनाते हुए जा रहा था । और अचानक दिवार पे नजर पड़ी वहां वही लिखा हुआ था । किसी दिन आओगे तुम तो याद जरूर आयेगी इस नाम से, वो दिवार खण्डहर हो गयी थी, और उसकी परत लटक रही थी, मगर शायद मेरा वो इन्तजार कर रही हो मैंने करीब से देखा और उसका और मेरा नाम पढ़ा और छू ही था की वो सिमन्ट गीर गयी, और उसके साथ हमारा नाम भी, मैं बहुत दिनों तक उस लड़की को उस शहर में खोजता रहा । सोसीयल साईट पे सब जगह देखा पर वो नहीं मिली, ना उसका कोई पता मिला । मैं काफी दिनों तक रहा उसके शहर में और #Love #SAD #yqbaba #yqdidi #मेरीडायरीकेकुछपन्ने #sanjaychampapur #champapurmertacity

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   read captions मेरी किताब 7
मैं कल फिर गाना गुनगुनाते हुए जा रहा था । और अचानक दिवार पे नजर पड़ी वहां वही लिखा हुआ था । किसी दिन आओगे तुम तो याद जरूर आयेगी इस नाम से, वो दिवार खण्डहर हो गयी थी, और उसकी परत लटक रही थी, मगर शायद मेरा वो इन्तजार कर रही हो मैंने करीब से देखा और उसका और मेरा नाम पढ़ा और छू ही था की वो सिमन्ट गीर गयी, और उसके साथ हमारा नाम भी, मैं बहुत दिनों तक उस लड़की को उस शहर में खोजता रहा । सोसीयल साईट पे सब जगह देखा पर वो नहीं मिली, ना उसका कोई पता मिला । मैं काफी दिनों तक रहा उसके शहर में और
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