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तृप्ति
कल सारी रात बैठ कर .. मैंने उसे एक खत लिखा.. दिल में जो था वो लफ्ज़ लफ्ज़ लिखा... वो अनकहा मेरा हर अल्फ़ाज़ लिखा.. शिकवा बेचैनी उलफत कश्मकश लिखा .. उस से ना मिल पाने का दर्द लिखा... अरसे से जो किए जाने वाला इंतज़ार लिखा .. बस रह गया तो सिर्फ और सिर्फ उसका पता .. जो बरसों से मुझे नहीं पता ... बस वो ही ना लिखा .. बाकी सब लिखा.. मैंने उसे एक खत लिखा.. ...तृप्ति #बिरहन
Ramlakhan Ahirwar Ahirwad
किया क्या कसूर है पिया हमसे दूर है ,जाऊं तो जाऊं कहा।। फेरे सात जा दिन हम लीन कोल करार बा दिन तुम किने, खता क्या हुजूर है मुझे मंजूर है पर जाऊं तो जाऊं कहा।।में समझी मुझे मिले है स्वामी मेरी पीर पिया तुम नहीं जानी ,ये कैसा सुरूर है तुम्हे तो गुरूर है ।।पर में जाऊ तो जाऊं कहा ,,नारी क्या है तुम नहीं जानी घर की नारी को क्यों ना पहचानी , छोड़दो जरूर है मुझे मंजूर है, पर में जाऊं तो जाऊं कहा ।। खुश हूं के ले जाओगे एक दिन गर नहीं आए तो पास पुलिस्टेशन ,दारोगा नजूर है हसमुख हुजूर है जाऊंगी में तो बहा ।। किया क्या कुस,,, ©Ramlakhan Ahirwar Ahirwad बिरहन दर्द #SunSet
motivationsujitakmishra
कारी बदरिया, रिम झीम बरसे, सूनी लागे पनघट बैरन को। रटत रहत नित श्याम पिया को, सखि हमारी दसा बिरहन को ।। #सुजीतकुमारमिश्राप्रयागराज ©poetsujeet #poetsujeet #श्याम #बिरहन
CK JOHNY
बहुत हो चुका बर्बादी का रोना आज गीत आज़ादी के गायेंगे। बेरंग हो चुकी इस ज़िंदगी में आज हम तिरंगा इक रंग जायेंगे। कुर्बानी का रंग कुछ रंग अमन का हरा भरा रंग भर देंगे अपने चमन का। हर तरफ खुशियों के फूल खिल जायेंगे। बहुत हो चुका बर्बादी का रोना आज गीत आज़ादी के गायेंगे। गरीबों कुचलों के आँसू पोंचे हाथ थाम उनका कुछ सोचें। हर हाथ को काम दें पैरों पर उन्हें खड़ा करें। अपने हिंदुस्तानी होने का हक अदा करें। देखो कैसे फिर सबके दिल मिल जायेंगे। बहुत हो चुका बर्बादी का रोना आज गीत आज़ादी के गायेंगे। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 15.08.2020 आज़ादी के गीत
Harish
मन होता है आज एक गीत गुनगुनाऊं। कभी टूटी आसों में, धुंधलाती विश्वासों में, नवजीवन की अहसास जगाऊं। मन होता है आज, एक गीत गुनगुनाऊं। कुछ रिश्तों की गांठों को, दिल में आयी बांटो को फ़िर से एक बार सुलझाऊं, मन होता है आज एक गीत गुनगुनाऊं। कुछ अधूरी लकीरों को, द्वार पर खड़े फकीरों को, उनके मंज़िल तक पहुचाऊं। मन होता है आज एक गीत गुनगुनाऊं। उन हाथों की छुअन को, ममता की तपन को, फ़िर एक बार अपने पास लाऊं। मन होता है आज एक गीत गुनगुनाऊं। अतीत में दबे गहरे, व्यतीत हुए बहुत ही सुनहरे, उन खूबसूरत पन्नों को फ़िर आज वापस पाऊं। मन होता है आज एक गीत गुनगुनाऊं। अतीत के गीत
vineet kumar yadav
हृदय के गीत आओ ‘हृदय’ चलो अब चलकर लेते हैं सन्यास यहाँ मार समय की पड़ी एक सी, पर्ण कुटी रजवाड़ो पर दशरथ जैसे राजा तड़पे, खुद की गली किवाड़ों पर राजतिलक होना होता है, हो जाता वनवास यहाँ आओ ‘हृदय’ चलो अब चलकर लेते हैं........1 प्रेम भरी इस दुनियाँ में भी प्रेम पियासा रह जाता राधा तो फिर भी जी लेती, कान्हा आधा रह जाता प्रेम वियोगन मीरा का भी हो जाता उपहास यहाँ आओ ‘हृदय’ चलो अब चलकर लेते हैं......2 तुमको प्रेम किया मीरा ने, राजपाट को खोकर तुमने प्रेम किया राधा को, रहे रुक्मिणी लेकर हाल तुम्हारा ऐसा कान्हा, मेरी कौन बिसात यहाँ आओ ‘हृदय’ चलो अब चलकर...........3 हृदय के गीत