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BANDHETIYA OFFICIAL
कर्त्तव्य-पथ पर वृत्ति अपनी वृत्त जाने अब लगे हैं,रात कुछ न,दिन ही दिन हैं, आज हर इक कल का ही दुहराव लगता, क्या नयी सुबह और क्या गये दिन ? ©BANDHETIYA OFFICIAL वृत्ति जैसे वृत्त ! #shaadi
प्रकाश साळवी
गझल ! वृत्त : विद्युल्लता लगावली : गागालगा लगागा गागालगा लगा सोसावया मनाला आकांत पाहिजे झाकावया तनाला वस्रात पाहिजे *** गंधात वाहताना वारा बने सुगंधी गाण्यात डोलताना छंदात पाहिजे *** काळेकभोर डोळे डोहात नाचले माळावया फुलाला केसात पाहिजे *** वेलीवरी सुखाच्या तू मोहिनी जरी स्वप्नात तू दिसाया सत्यात पाहिजे *** आभाळ चांदण्यांचे डोळ्यात पाहिले तू चंद्रिका बनूनी मद्यात पाहिजे *** अंधारल्या जगाला तूही प्रकाश हो काव्यातली फुलेही पद्यात पाहिजे *** भाळावरी तुझ्या ही नागीण डोलते ओठात चांदणे हे हास्यात पाहिजे *** प्रकाश साळवी बदलापूर - ठाणे मोबा. ९१५८२५६०५४ एक वृत्तबद्ध गझल वृत्त : विद्युलता लगावली : गागालगा लगागा गागालगा लगा
Kamlesh Kandpal
जानवर की वृतियाँ नहीं बदलती शेर, शेर रहता हैं, चील भी चील। भूख लगने पर जानवर हैं खाता, इंसान भरे पेट में सब जाता हैं लील। राक्षस, चींटी, हाथी, भेड़िया, चीता बन जाने की वृति में हैं इंसान सक्षम जानवर सदा जानवर ही रहते वृति से भी इंसान वृति महान से भी बना देती हैं अधम। जानवर, जानवर ही रहता हैं अगर उठे ना इंसान गिरकर बन जाता हैं जानवर भी। विवेक जागृत न हुआ तो पशु, पक्षी कुछ भी विवेक जागृत कर ले तो बन जाता हैं ईश्वर भी। ©Kamlesh Kandpal #वृतियाँ
मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak)
दुःख-सुःख जैसा कुछ नहीं सब मनोवृति की अवस्था है जो अपने मुताबिक वो सुःख और जो मन को ठीक न लगे वो दुःख। इसलिए ज्ञानियों ने सम-अवस्था की चर्चा कि है। ©Jai Pathak #वृति
उमा जोशी
ती लपवत असते पदरामागे लाज मिळणार कशी पोटास भाकरी आज मी काय करावे भरण्यासाठी पोट बघती निलाजरे तिच्या स्तनांचा घाट ना हौस तिला या बाजारी बसण्याची पण उरली नाही वाट तिला जाण्याची रोजच रुततो का उरात मग तो काटा का तिच्याच नशिबी आला हा भोगवटा दररोज नव्याने वधू बनत असताना बोचतात काटे शय्येवर निजताना अपराधीपण टोचते जिवाला इतके कोडगे होत जाते मग मनही तितके चाहूल लागते मग नवीन जीवाची पोटात धुमारे अन चिंता जन्माची कसले जगणे देणार असे मी त्याला अधिकाराने कोणत्या घालु जन्माला हुरहूर मनाशी आत पोखरे चिंता ती होइल कारण मग बाळाच्या अंता हाकलूनही नाही विचार ते जात चालते बिचारी इस्पितळाची वाट --- १८/०१/२०२३ ©उमा जोशी #भूपतिवैभव #वृत्तगंगा #भोगवटा
Parasram Arora
कौन बड़ा है? दूज का चाँद? या पूर्णिमा का चाँद? बात ही गलत है ये सवाल ही गलत है क्योंकि दूज का चाँद ही पूर्णिमा का चाँद हो जाता है और पूर्णिमा का चाँद ही दूज का चाँद बन जाता है दरसल एक ही वरतुल की दो यात्रीएं हैँ व्यक्ति ही समष्टि हो जाता है और स्मिष्टि ही व्यक्ति बन जाती है ©Parasram Arora एक ही वृतुल.....
somnath gawade
दुसऱ्यांना 'कमी' लेखणाऱ्यांचा 'मोठेपणा' हा कधी चांगल्या शब्दात नोंदवला जात नाही. #वृत्ती