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Stories related to हजारी प्रसाद द्विवेदी आलोचना

Sarfaraj idrishi

#election_2024 लेकिन, राहुल गांधी मसीहा-ए-क़ौम हैं। लालू प्रसाद यादव रफीकुल मुल्क हैं। अखिलेश यादव मुस्लिम परस्त हैं। मायावाती मुसलमानों

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White पोस्ट को समझ कर पढ़े कमेंट करके बताएं 
असदुद्दीन ओवैसी आर•एस•एस• के एजेंट हैं।
बदरुद्दीन अजमल कांग्रेस के दलाल हैं।
डा.अय्यूब बीजेपी के हाथ बिके हैं।
आमिर रशादी सौदे की तलाश में हैं।
लेकिन,
राहुल गांधी मसीहा-ए-क़ौम हैं।
लालू  प्रसाद यादव रफीकुल मुल्क हैं।
अखिलेश यादव मुस्लिम परस्त हैं।
मायावाती मुसलमानों की गॉडमदर है।
नीतीश कुमार पंजवकता नमाजी है।
ममता चार पांच दफा हज कर आई है।
केजरीवाल मिललत ए सदर

©Sarfaraj idrishi #election_2024 

लेकिन,

राहुल गांधी मसीहा-ए-क़ौम हैं।
लालू  प्रसाद यादव रफीकुल मुल्क हैं।
अखिलेश यादव मुस्लिम परस्त हैं।
मायावाती मुसलमानों

N S Yadav GoldMine

#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} व्यक्ति को अपनी आलोचना करते रहना चाहिए, किसी सच को कहने के लिए 2 लोगों की जरूरत पड़ती है, एक वो जो सच

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
व्यक्ति को अपनी आलोचना करते 
रहना चाहिए, किसी सच को कहने 
के लिए 2 लोगों की जरूरत पड़ती 
है, एक वो जो सच बोल सकता है,
दूसरा वो जो सच सुन सकता है।
यही जिंदगी की कड़ी है, जो अब
तक सबकी उलझी पड़ी है।।
जय श्री राधेकृष्ण जी!!
N S Yadav GoldMine.

©N S Yadav GoldMine #sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey}
व्यक्ति को अपनी आलोचना करते 
रहना चाहिए, किसी सच को कहने 
के लिए 2 लोगों की जरूरत पड़ती 
है, एक वो जो सच

सूर्यप्रताप स्वतंत्र

#Sad_Status #कविता_संगम kavita ranjan दिनेश कुशभुवनपुरी सुनील 'विचित्र' करन सिंह परिहार RJ राहुल द्विवेदी &039;स्मित&039;

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White थोड़ा बहुत अगर बोलोगे, तो इसका अंदाज़ा होगा।
कौन कहाँ पर जाग रहा है, कौन कहाँ पर सोता है।

©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #Sad_Status 
#कविता_संगम kavita ranjan  दिनेश कुशभुवनपुरी  सुनील 'विचित्र'  करन सिंह परिहार  RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'

AbhiJaunpur

#‌AbhiJaunpur सुरेश अनजान अदनासा- शिवम् सिंह भूमि कवि आलोक मिश्र "दीपक" अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर

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विश्व हिन्दी दिवस को 
अंग्रेजी मे लिखकर 
बधाई देने वालो को भी 
विश्व हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं

©AbhiJaunpur #‌AbhiJaunpur  सुरेश अनजान  अदनासा-  शिवम् सिंह भूमि  कवि आलोक मिश्र "दीपक"  अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर

CHOUDHARY HARDIN KUKNA

*श्री हनुमान प्रसाद, पुलिस अधीक्षक, जिला डीडवाना-कुचामन के निर्देशन में पुलिस मुख्यालय द्वारा "अवैध मादक पदार्थों की रोकथाम हेतु विशेष अभिया

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset मादक पदार्थ की तस्करी

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA *श्री हनुमान प्रसाद, पुलिस अधीक्षक, जिला डीडवाना-कुचामन के निर्देशन में पुलिस मुख्यालय द्वारा "अवैध मादक पदार्थों की रोकथाम हेतु विशेष अभिया

सूर्यप्रताप स्वतंत्र

#ramlalaayodhyamandir #कविता_संगम सुनील 'विचित्र' करन सिंह परिहार RJ राहुल द्विवेदी &039;स्मित&039; Dheeraj Srivastava दिनेश कुशभुवनप

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ram lala ayodhya mandir यहाँ हमसे नही उठती, ज़रा सी शाम की पीड़ा।
उन्हें पूछो उठाते हैं, जो आठो याम की पीड़ा।

सनातन धर्म की पीड़ा, या' हो घनश्याम की पीड़ा।
नहीं समझी किसी ने भी, हमारे राम की पीड़ा।

©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #ramlalaayodhyamandir 
#कविता_संगम सुनील 'विचित्र'  करन सिंह परिहार  RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'  Dheeraj Srivastava  दिनेश कुशभुवनप

सूर्यप्रताप स्वतंत्र

#Newyear2025 #कविता_संगम दिनेश कुशभुवनपुरी kavita ranjan सुनील 'विचित्र' करन सिंह परिहार RJ राहुल द्विवेदी &039;स्मित&039;

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New Year 2025 नए वर्ष में प्रेम से, ऐसे करो प्रवेश।
सभी बुराई त्याग दो, गढो नया संदेश।

©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #Newyear2025 
#कविता_संगम दिनेश कुशभुवनपुरी  kavita ranjan  सुनील 'विचित्र'  करन सिंह परिहार  RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'

RV Chittrangad Mishra

#camping ना प्रशंसा सुनने का शौक है ना आलोचना होने का डर क्योंकि आजकल बिना स्वार्थ प्रशंसा बिना ईर्ष्या के आलोचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन

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Unsplash ना प्रशंसा सुनने का शौक है ना आलोचना होने का डर 
क्योंकि आजकल बिना स्वार्थ प्रशंसा बिना ईर्ष्या के आलोचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है

©RV Chittrangad Mishra #camping ना प्रशंसा सुनने का शौक है ना आलोचना होने का डर 
क्योंकि आजकल बिना स्वार्थ प्रशंसा बिना ईर्ष्या के आलोचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन

Parasram Arora

आलोचना

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Unsplash ग़ज़ल पारखी ने 
एक बार मेरी ग़ज़ल 
का ज़ायज़ा लेने के 
 बाद  अलोचना  यह कर दीं 
कि मुझे गज़ल लिखने 
का हुनर नहीं आता 
और मेरी  ग़ज़ल
को पद कर 
न किसी के 
दर्द 
 ने इज़ाफ़ा हैता है न किसी का 
दर्द 
 कम होता है

©Parasram Arora आलोचना
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