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नवनीत ठाकुर
ज़रा सी बात पे बिखर गए जो रिश्ते, कभी सोचो उन लम्हों की क़ीमत क्या थी। तुमने समझा नहीं मेरा हाल-ए-दिल, वरना हमारी मोहब्बत में शिकायत क्या थी। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर ज़रा सी बात पे बिखर गए जो रिश्ते, कभी सोचो उन लम्हों की क़ीमत क्या थी। तुमने समझा नहीं मेरा हाल-ए-दिल, वरना हमारी मोहब्बत में श
#नवनीतठाकुर ज़रा सी बात पे बिखर गए जो रिश्ते, कभी सोचो उन लम्हों की क़ीमत क्या थी। तुमने समझा नहीं मेरा हाल-ए-दिल, वरना हमारी मोहब्बत में श
read moreAshraf Fani
Unsplash एक तराशे हुए हीरे की तरह लगती हो रात अंधियारी में जुगनू की तरह लगती हो होश में हूँ या की बेहोशी में, जो भी हो ये क्या कहूँ तुम मुझे की और क्या क्या लगती हो ©Ashraf Fani एक तराशे हुए हीरे की तरह लगती हो रात अंधियारी में जुगनू की तरह लगती हो होश में हूँ या की बेहोशी में जो भी हो ये क्या कहूँ तुम मुझे की और क्य
एक तराशे हुए हीरे की तरह लगती हो रात अंधियारी में जुगनू की तरह लगती हो होश में हूँ या की बेहोशी में जो भी हो ये क्या कहूँ तुम मुझे की और क्य
read moreAnuradha T Gautam 6280
Himaani
White ना वे हमें समझ बैठे हैं ना हम उन्हें समझ बैठे हैं उनकी मंजिल और थी हमारी मंजिल और थी बस गलती से एक नाव में हम दोनों सवार हो बैठे ©Himaani #sad_qoute मंजिल दोनों की कुछ और थी शायरी लव रोमांटिक
#sad_qoute मंजिल दोनों की कुछ और थी शायरी लव रोमांटिक
read moreनवीन बहुगुणा(शून्य)
तेरे गुमसुम होने की वजह हूं क्या तेरे उदास चेहरे की सजा हूं क्या #emotional_sad_shayari love
read moreHarshita Dawar
इस खेल में खलल लगी, इस काजल की लकीर को काली स्याही लगाने की बात कही..क्या?.क्या नहीं कहा, इस लिए ये तुम्हारे लिए नहीं.. हमारे स्वाभिमान की न
read moreनवनीत ठाकुर
ज़ुबां कहे भी तो किसे सुनाए ग़म, जिस दिल ने जिया है, वही समझे कम। बेनिशान थी आरज़ू, मगर गहरी छाप छोड़ गई, ज़ुबां खामोश रही, मगर दास्तां बोल गई। दिल के अंदर एक कहानी दबी थी, जो न कह सका, वो नरगिस ने सुनाई थी। गहरी छाप थी मोहब्बत की, वक़्त ने छोड़ दी, ज़ुबां की खामोशी में सच्चाई खोल दी। दर्द को छिपाकर, दिल ने उसे सहा, जिसे कह न सका, वही आह में बहा। मौन की गहराई में, दिल की आवाज़ पाई, जो अल्फ़ाज़ न थे, वो खामोशी ने जताई। ©नवनीत ठाकुर #जुबां खामोश थी
#जुबां खामोश थी
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White क्या ग़ज़ब वाक़या हुआ वो क़ैद रहे अपनी ख़ुदी में हम अपना करम करते रहे वो मोहब्बत निभा न सके हम मुसलसल इश्क़ करते रहे ©हिमांशु Kulshreshtha क्या ग़ज़ब....
क्या ग़ज़ब....
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