Find the Latest Status about कहानियां बीरबल की from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, कहानियां बीरबल की.
Pooja Sharma
बीरबल की खिचड़ी ~ Birbal Ki Khichdi Story In Hindi दोस्तों आप सब ने हिंदी में एक कहावत सुनी होगी "बीरबल की खिचड़ी पकाना ", क्या आप जानते हैं कि इस कहावत के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। ये कहानी अकबर और उनके नवरत्न बीरबल से जुडी है। इसी कहानी के आधार पर प्रसिद्द कहावत "बीरबल की खिचड़ी पकाना" का उपयोग शुरू होता आया है। कहानी इस प्रकार है: एक दिन बादशाह अकबर ने घोषणा की, कि जो आदमी सर्दी के इस मौसम में नदी के ठण्डे पानी में रात-भर खड़ा रहेगा, उसे शाही खजाने से पुरस्कृत किया जायेगा। इस घोषणा को सुनकर एक गरीब धोबी ने सारी रात नदी में खड़े-खड़े बिता दी और अगले दिन बादशाह के दरबार में आकर इनाम मांगने लगा। बादशाह ने उस धोबी से सवाल किया, क्या तुम बता सकते हो किस शक्ति के सहारे तुम रात नदी में खड़े रहे ? धोबी ने अदब के साथ जवाब दिया, आलमपनाह, मैं कल सारी रात महल की छत पर जलते हुए चिराग को देखते रहा। उसी की शक्ति से मैं सारी रात नदी में खड़ा रह सका। बादशाह ने उसका जवाब सुनकर कहा, इसका मतलब तो यह हुआ की महल की रोशनी की आंच की गरमी के कारण तुम सारी रात पानी में खड़े रह सके, इसलिए तुम इनाम के सच्चे हकदार नहीं हो सकते। धोबी उदास हो गया और बीरबल के पास जाकर निराशा भरे स्वर में बोला, दरबार में बादशाह ने इनाम देने से इंकार कर दिया है। धोबी ने इसका कारण भी बीरबल को बता दिया। बीरबल ने गरीब धोबी को सांत्वना देकर घर भेज दिया। बादशाह ने अगले दिन बीरबल को दरबार में न पाकर एक खादिम को उन्हें बुलाने के लिए भेजा। खादिम ने उन्हें आकर सूचना दी, बीरबल ने कहा है कि जब उनकी खिचड़ी पूरी पक जाएगी तभी वह दरबार में आ सकेंगे। बादशाह को यह सुनकर बड़ा अचरज हुआ। वह अपने दरबारियों के साथ बीरबल के घर पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि दो लम्बे बांसों के ऊपर एक हंडिया में चावल रखकर उसे लटकाया गया है और नीचे जमीन पर आग जल रही है। बादशाह ने तत्काल पूछा, बीरबल, यह क्या तमाशा है ? क्या इतनी दूरी पर रखी हंडिया में खिचड़ी पक जाएगी ? हुजूर जरूर पक जाएगी। बीरबल ने उत्तर दिया। कैसे ? बादशाह ने कौतूहलवश पूछा ? जहाँपनाह बिल्कुल वैसे ही जैसे महल के ऊपर जल रहे दिये की गर्मी के कारण धोबी सारी रात नदी के पानी में खड़ा रहा। बीरबल ने कहा। बादशाह अकबर बीरबल का यह तर्कसंगत उत्तर सुनकर लज्जित हुए। उन्होंने तुरन्त धोबी को ढूंढ लाने और पुरस्कृत करने का आदेश जारी कर दिया। जब लोगों को ये बात पता चली तभी से "बीरबल की खिचड़ी " एक कहावत के रूप में प्रचलित हो गयी। जिसका सीधा-सा-अर्थ यह है कि किसी आसान काम को बहुत मुश्किल बताना या फिर किसी छोटे से काम को करने में बहुत अधिक समय लगा देना| ©Sandeep Sharma बीरबल की खेचड़ी
MrSandesh
अकबर का साला हमेशा से ही बीरबल की जगह लेना चाहता था। अकबर जानते थे कि बीरबल की जगह ले सके ऐसा बुद्धिमान इस संसार में कोई नहीं है। फिर भी जोरू के भाई को वह सीधी ‘ना’ नहीं बोल सकते थे। ऐसा कर के वह अपनी लाडली बेगम की बेरुखी मोल नहीं लेना चाहते थे। इसीलिए उन्होने अपने साले साहब को एक कोयले से भरी बोरी दे दी और कहा कि- जाओ और इसे हमारे राज्य के सबसे मक्कार और लालची सेठ – सेठ दमड़ीलाल को बेचकर दिखाओ , अगर तुम यह काम कर गए तो तुम्हें बीरबल की जगह वज़ीर बना दूंगा। अकबर की इस अजीब शर्त को सुन कर साला अचंभे में पड़ गया। वह कोयले की बोरी ले कर चला तो गया। पर उसे पता था कि वह सेठ किसी की बातो में नहीं आने वाला ऊपर से वह उल्टा उसे ही चूना लगा देगा। हुआ भी यही सेठ दमड़ीलाल ने कोयले की बोरी के बदले एक ढेला भी देने से इनकार कर दिया। साला अपना सा मुंह लेकर महल वापस लौट आया और अपनी हार स्वीकार कर ली. अब अकबर ने वही काम बीरबल को करने को कहा। बीरबल कुछ सोचे और फिर बोले कि सेठ दमड़ीलाल जैसे मक्कार और लालची सेठ को यह कोयले की बोरी क्या मैं सिर्फ कोयले का एक टुकड़ा ही दस हज़ार रूपये में बेच आऊंगा। यह बोल कर वह तुरंत वहाँ से रवाना हो गए। सबसे पहले उसने एक दरज़ी के पास जा कर एक मखमली कुर्ता सिलवाया। हीरे-मोती वाली मालाएँ गले में डाली। महंगी जूती पहनी और कोयले को बारीक सुरमे जैसा पिसवा लिया। फिर उसने पिसे कोयले को एक सुरमे की छोटी चमकदार डिब्बी में भर लिया। इसके बाद बीरबल ने अपना भेष बदल लिया और एक मेहमानघर में रुक कर इश्तिहार दे दिया कि बगदाद से बड़े शेख आए हैं। जो करिश्माई सुरमा बेचते हैं। जिसे आँखों में लगाने से मरे हुए पूर्वज दिख जाते हैं और यदि उन्होंने कहीं कोई धन गाड़ा है तो उसका पता बताते हैं। यह बात शहर में आग की तरह फ़ैली। सेठ दमड़ीलाल को भी ये बात पता चली। उसने सोचा ज़रूर उसके पूर्वजों ने कहीं न कहीं धन गाड़ा होगा। उसने तुरंत शेख बने बीरबल से सम्पर्क किया और सुरमे की डिब्बी खरीदने की पेशकश की। शेख ने डिब्बी के 20 हज़ार रुपये मांगे और मोल-भाव करते-करते 10 हज़ार में बात तय हुई। पर सेठ भी होशियार था, उसने कहा मैं अभी तुरंत ये सुरमा लगाऊंगा और अगर मुझे मेरे पूर्वज नहीं दिखे तो मैं पैसे वापस ले लूँगा। बीरबल बोला, “बिलकुल आप ऐसा कर सकते हैं, चलिए शहर के चौराहे पर चलिए और वहां इसे जांच लीजिये।” सुरमे का चमत्कार देखने के लिए भीड़ इकठ्ठा हो गयी। तब बीरबल ने ऊँची आवाज़ में कहा, “ये सेठ अभी ये चमत्कारी सुरमा लगायेंगे और अगर ये उन्ही की औलाद हैं जिन्हें ये अपना माँ-बाप समझते हैं तो इन्हें इनके पूर्वज दिखाई देंगे और गड़े धन के बारे में बताएँगे। लेकिन अगर आपके माँ-बाप में से किसी ने भी बेईमानी की होगी और आप उनकी असल औलाद नहीं होंगे तो आपको कुछ भी नहीं दिखेगा। और ऐसा कहते ही बीरबल ने सेठ की आँखों में सुरमा लगा दिया। फिर क्या था, सिर खुजाते हुए सेठ ने आँखें खोली। अब दिखना तो कुछ था नहीं, पर सेठ करे भी तो क्या करे! अपनी इज्ज़त बचाने के लिए सेठ ने दस हज़ार बीरबल के हाथ थमा दिये। और मुंह फुलाते हुए आगे बढ़ गए। बीरबल फ़ौरन अकबर के पास पहुंचे और रुपये थमाते हुए सारी कहानी सुना दी। अकबर का साला बिना कुछ कहे अपने घर लौट गया। और अकबर-बीरबल एक दूसरे को देख कर मंद-मंद मुसकाने लगे। इस किस्से के बाद फिर कभी अकबर के साले ने बीरबल का स्थान नहीं मांगा ©MrSandesh20 #dilkibaat बीरबल की कहानी #nojohindi
Shahab
अकल कितनी भी तेज हो नसीब के बिना नहीं जीत सकती, बीरबल काफी अकलमंद होने के बावजूद कभी बादशाह नहीं बन सका । ©Shahab #बीरबल
Dinesh Tiwari
असल जिंदगी में कहानियां कभी खत्म नहीं होती असल में अधूरी रह जाती जो कभी पूरी नहीं होती ©Dinesh Tiwari जिंदगी की कहानियां