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AdiJohn
Aditya Fogat
परिस्थितियाँ आपको कुछ और करने के लिए मजबूर कर सकती हैं, लेकिन आप उसी काम को करने के लिए पैदा हुए हैं, जिसे करने से आपको थकान और दर्द नहीं बल्कि ध्यान(मैडिटेशन) की सुखद अनुभूति होती है। परिस्थितियाँ आपको कुछ और करने के लिए मजबूर कर सकती हैं, लेकिन आप उसी काम को करने के लिए पैदा हुए हैं, जिसे करने से आपको थकान और दर्द नहीं बल
Aditya Fogat
परिस्थितियाँ आपको कुछ और करने के लिए मजबूर कर सकती हैं, लेकिन आप उसी काम को करने के लिए पैदा हुए हैं, जिसे करने से आपको थकान और दर्द नहीं बल्कि ध्यान(मैडिटेशन) की सुखद अनुभूति होती है। परिस्थितियाँ आपको कुछ और करने के लिए मजबूर कर सकती हैं, लेकिन आप उसी काम को करने के लिए पैदा हुए हैं, जिसे करने से आपको थकान और दर्द नहीं बल
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
I am such motivation drink ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust ।। युवा संदेश।। मन को शांत कैसे करें - 1. गहरी सांस लेने की एक्सरसाइज करें – जब आपको महसूस हो कि मन अशांत हो गया है या दिमाग तनाव से ग्रस्त
Jiyalal Meena ( Official )
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 रात्रि मैडिटेशन में एक प्रश्न आया /पुछा गया की में कौन हूँ :- विषय : मैं कौन हूँ मैं पचास वर्ष का नौजवान हूँ माँ बाप की इकलौती संतान हूँ तीन प्यारे बच्चों का पिता हूँ लेकिन प्रश्न अभी भी वहीँ है की मैं कौन हूँ ? मैं सफल हूँ या असफल मैं भोला हूँ या बेवकूफ मैं सीधा हूँ या अनाड़ी लेकिन प्रश्न अभी भी वहीँ है की मैं कौन हूँ ? मैं आदमी /पुरुष हूँ पर कुछ गुण मुझमें स्त्रियों के भी हैं हर स्त्री में कुछ गुण पुरुष वाले होते हैं और हर पुरुष में कुछ गुण स्त्री वाले लेकिन प्रश्न अभी भी वहीँ है की मैं कौन हूँ ? मैं इंसान हूँ पर क्या इंसानियत है मेरे अंदर एक व्यक्ति जो चीर हरण करे एक व्यक्ति जो आदमी -औरत में फ़र्क़ करे एक व्यक्ति जो ऊंच नीच -जातिवाद मानता हो तो वो इंसान कैसे हो सकता है लेकिन प्रश्न अभी भी वहीँ है की मैं कौन हूँ ? एक व्यक्ति जो औरत को दासी समझे एक व्यक्ति जो औरत को वस्तु समझे एक व्यक्ति जो गरीबों का मजाक उड़ाए एक व्यक्ति जो बीमारी से ग्रस्त लाचारों से घृणा करे क्या वो व्यक्ति कहलाने लायक है लेकिन प्रश्न अभी भी वहीँ है की मैं कौन हूँ ? गले में माला ,सिर पर तिलक ,हाथों में ग्रन्थ मन में लालच -व्यवहार में क्रोध -आचरण में काम सुबह उठना -दिन भर काम -रात को टीवी -बीवी -बच्चे क्या इसी का नाम है जिंदगी लेकिन प्रश्न अभी भी वहीँ है की मैं कौन हूँ ? चक्र -ध्यान -जप -तप -मनन कुण्डलिनी -समाधी -जाग्रति ये करूँ तो संसार से विरक्त हो जाऊँ सांसारिक रहता हूँ तो इन सबसे दूरी बनाऊँ लेकिन प्रश्न अभी भी वहीँ है की मैं कौन हूँ ? मैं एक मिथ्या हूँ मैं एक भरम हूँ मैं दूसरों को नहीं अपने आपको धोखा देने वाला मूर्ख हूँ मैं सब कुछ जानता हूँ इस भरम के साथ जीने पढ़ा लिखा अज्ञानी हूँ अरे ,मैं तो वो हूँ जो इंसानों को ही नहीं ईश्वर को भी धोखा देता है लेकिन प्रश्न अभी भी वहीँ है की मैं कौन हूँ ? मैं सुख सुविधा साधनों को भोगने वाला इन्हीं झूठे संसाधनों को सत्य मानने वाला मोह को ही प्रेम समझने वाला गंगा स्नान -देव दर्शन -पूजा पाठ को ही पापों से मुक्ति समझने वाला लेकिन प्रश्न अभी भी वहीँ है की मैं कौन हूँ ? बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 आपका दिन शुभ हो स्वरचित एवं स्वमौलिक 🔯🔱 विकास शर्मा "शिवाया"🔱 जयपुर-राजस्थान ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 रात्रि मैडिटेशन में एक प्रश्न आया /पुछा गया की में कौन हूँ :-
AB
मातृत्व : एक आकांक्षा :- प्रेम का शाश्वत स्वरूप जहां वास्तव में होते हैं दो जिस्म और एक जान ( अनुशीर्षक ) किसी ने मुझसे कहा था 7वें माह में अगर बच्चा हो जाये तो वह बच जाता है, और इन सात माह को पुरे होने में मात्र केवल चार दिन थे, डॉक्टर्स का