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Ishan Sharma
"अंधविश्वास अक्सर कुप्रथाओं को जन्म देता है।" - ईशान शर्मा (रचनाकार)✍ ©Ishan Sharma #कुप्रथायें_😇✍
Neelam Sharma
तीन तलाक एक कुप्रथा का अंत तीन तलाक संबंधी कानून मुस्लिम महिलाओं के हितों और अधिकारों की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम सिद्ध होगा अब उनके लिए एक नए युग का आरंभ होगा।। कुप्रथा का अंत
Avinash Lal Das
दहेज एक कुप्रथा दहेज एक प्रथा नही कुप्रथा है जान लो, होता इससे असंख्य बेटियों का जीवन बर्बाद ये मान लो, एक पिता के घर जब बेटी जन्म लेती है, होती है उसके चेहरे पर मुस्कान पर दिल में होती धुकधुकी है, बेटी के जन्म के पश्चात पिता उसके विवाह के जोड़-तोड़ में लग जाता है, गँवाता अपना नींद-चैन और दिन रात कहीं ना कहीं उसे दहेज का भय सताता है, धीरे-धीरे बेटी अपने उम्र के पड़ाव को पार करती है, बालिका अवस्था से वो युवती बनने की राह पर कदम रखती है, बेटी को युवास्था में देख उसका पिता फूले नहीं समाता है, फिर उसके मन में बेटी के विवाह का ख़्याल आता है, अपनी लाडो का रिश्ता लेकर जब एक पिता दूसरे पिता के यहाँ जाता है, होता खूब आवभगत उस पिता का क्योंकि वो अपनी खुशी किसी दूसरे को सौंपने आता है, लड़की के कुंडली से लेकर उसके कुल-परिवार की परख होती है, जब बात रिश्ते की पक्की होती है उसके बाद बात असल शुरू होती है, आपकी बिटिया पसंद है हमें के नाम पर शादी जैसे पवित्र रिश्ते को सौदा का रूप दिया जाता है कितना दे सकते हैं आप कहकर मांग का एक लंबी सूची लड़की के पिता को थमाया जाता है, लड़की का पिता मजबूरी में अपनी बेटी का भविष्य सुरक्षित देख दहेज देने को तैयार हो जाता है वो दहेज लोभियों के हाथों अपनी बेटी का भविष्य सौंपने को मजबूर हो जाता है, वो दिन भी आ ही जाता है जब पिता अपनी राजकुमारी को डोली में बिठाकर नम आँखों से विदा करता है, बेटी का घर बसाने की कीमत अपने जीवन भर की कमाई को दहेज के रूप में देकर चुकाता है, जो पिता अपनी बेटी को दहेज के अभाव में डोली बिठाता है, उस वक़्त से ही उसकी बेटी का जीवन नर्क समान हो जाता है, आये दिन उसकी बेटी पर मायके से दहेज लाने का दबाव बनाया जाता है, लेकिन जब वो लड़की अपने पिता के घर से दहेज लाने में असक्षम हो जाती है, वो ताना सुनती जीवन भर और कुछ तो दहेज लोभियों के हाथों अपना जीवन गंवाती है, घर की लक्ष्मी कहलाने वाली ना जाने कितनी बहु लक्ष्मी लाने के चक्कर में समाज के कुप्रथा का शिकार बन जाती है, हमारे समाज को अब इस दहेज प्रथा के मानसिकता से उबरना होगा, भले बेटी का विवाह ना हो पर दहेज के मांग का विरोध दहेज का बहिष्कार करके करना होगा, अपने बेटे के पालन पोषण का कीमत दहेज जैसी तुच्छ चीज़ों से वसूल करने का विचार अब खत्म करना होगा, बेटी के पिता पर दहेज रूपी अत्याचार बंद कर अपने अंदर पल रहे दहेज के रावण को दहन करके करना होगा ।। ©Avinash Lal Das #दहेज एक कुप्रथा#
Shivam❤️Angel..
दहेज की खातिर लड़की को मत जलाओ!.. अगर वास्तव में मर्द हो तो कमा कर खिलाओ!... ©Shivam❤️Angel.. दहेज एक कुप्रथा!!
Sadhna Sarkar
पंद्रह श्रृंगार कर के बैठी बेटी विवाह बेदी पर अपने सोलहवे श्रृंगार से अधूरी ही रह गई सौदा हुआ उसके अपने दिल के साथ गरीब जो थे उसके बाबा के अपने हालत कुछ बेबस थे उसके बाबा इस बार संभाल ना पाए वो इस दहेज का भार तो बेटी बेचारी ही तौल गई अपने सारे अरमानों का दम घोट गई कुछ कह ना सकी वो अपने जीवनसाथी से जो अब बन चुका है बिना उसके राज़ी से दहेज का बोझ उससे हर काम करवाता गया चेहरे पर भी झूठी मुस्कान वो रखता गया सिसकियां लेना भी उसके हक़ में नहीं था पराए घर से , उसे पराए घर जो जाना था क्या कहता समाज उसे इसकी फिर्क थी जानती थी की वो किसी और की हो चुकी थी ऐसी बंदिशें समाज क्यों यूं बेटियों पर लगाता है हर बार दहेज़ प्रथा उनके सपनों को कुचलता है ना जानें कितने इसकी आग में जल रहे है ना जानें कितने की खुशियों को ये निगल रहा है। ©Sadhna Sarkar #ankahe_jazbat दहेज़ एक कुप्रथा
Pushpendra Pankaj
पर्दा प्रथा /कुप्रथा --------------------------- एक मुँह छिपाकर रहती क्यों? एक डटकर रौब जताता क्यों? यह घुटन-प्रथा,बंधन-शैली यह चली कहाँ से,फैली क्यों? दानवता की डर दहशत से, परदा जैसी कमजोरी क्यों? यह समता मानवता पर प्रहार, परदे के पीछे छोरी क्यों? पुष्पेन्द्र"पंकज" ©Pushpendra Pankaj पर्दा प्रथा एक कुप्रथा
kanta kumawat
kanta kumawat ©kanta kumawat दहेज एक आतंक सी कुप्रथा