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Ek villain
पृथ्वी गोल है यह बात मैं बचपन से ही जानती थी लेकिन जब मुझे पता चला कि अर्थ इजरायल राउंड तो हमारे होश ही उड़ गए पृथ्वी पहले से ज्यादा गोल नजर आने लगी हमें नहीं पता था कि एक आदत भाषा बदलते ही नजरिया इतना बदल जाएगा उसके बाद हमने कई चीजें दोबारा जानी कैसे कॉउ ईटिंग ओर इंडियन इज ओवर कंट्री वी आर लिविंग इन द एज ऑफ साइंस वगैरा-वगैरा हमारा ज्ञान अब तक एक ही लेवल पर था हमें तू का टेबल भी सिखा लिया गया था टेबलेट वितरण करने में लेकिन नीम नीम 218 के पहाड़े इस कदर जुबां पर चढ़े हैं कि 9891 बोलते बोलते जुबान लकवा ग्रस्त होने लगती है खैर हाल ही की बात है एक रिश्तेदार के घर हिंदी में बच्चा पैदा हुआ उसने हिंदी में ही देखने गए मगर बच्चा कनाडा में हो रहा था क्योंकि उसकी मम्मी का नाड़ा थी वहां से बाहर आए तो हमारे स्कूटर के पहिया पंचर था सपाट पहिए को देखकर ख्याल आया कृपया का आविष्कार किए भाषा में हुआ होगा जिसे भाषा में हुआ हो जिन्नत हो गया वरना हम आज भी खतरों पर लादकर सिनेमा देखने जा रहे होते तो ठीक करवा कर जब घर का रुख किया तो गर्ल्स कॉलेज के बाहर लड़कियां अंग्रेजी में ©Ek villain #आखिर किस खूंटी टंग जाएं हम #shaadi
dr sandy
डॉ संदीप भारद्वाज MPT in Neuro Consultant Physiotherapists in J K Lon, SMS Hospital, Jaipur Raj. अब आपकी हेल्प के लिए मै Nojoto पर फिजियो एक्सरसाइज बताऊंगा, जिससे आप घर पर ही अपने आप को फिट रख सकेंगे। ©Dr Sandeep Bharadwaj स्लिप डिस्क & साइटिका का होम ट्रीटमेंट. #OneSeason Dr. NiLesh Sharma ARVIND YADAV 1717
Deepak Rajput
पित की थैली की पथरी ट्रीटमेंट हेतु सम्पर्क करें, मोबाइल नंबर 7906536943,,,,,9068402904 ©Deepak Rajput पित की थैली की पथरी ट्रीटमेंट हेतु सम्पर्क करें, मोबाइल नंबर 7906536943,,,,,9068402904
अनुराग चन्द्र मिश्रा
गुज़रते वक्त में एक और वर्ष गुज़र गया कोई वक्त याद रहा कोई फिर भूल गया कोई पराया था क्यों साथ रह गया कोई अपना था वो क्यों पीछे छूट गया गुजरता काफ़िला इस ओर फिर बदल गया कुछ देखते रहे कुछ सोचते रहे जानें ये वक्त कब कुछ पलों में सिमट गया बीता वर्ष कुछ पलों की सौगात दे गया कुछ पलकों पर सजे कुछ पलकों से बहे कोई बिना क़सूर सज़ा तो कोई सीख दे गया टंगा कैलेंडर दीवार से बदल गया वक्त का ख़ाली झोला कैलेंडर के नीचे टंग गया समेटनें कुछ पलों को ये वर्ष फिर चल दिया #NojotoQuote Happy New Near गुज़रते वक्त में एक और वर्ष गुज़र गया कोई वक्त याद रहा कोई फिर भूल गया कोई पराया था क्यों साथ रह गया कोई अपना था वो क्यों पीछ
OMG INDIA WORLD
गलती कहां हो रही है? बीमारी को पहचानने में देरी। बीमारी को स्वीकार करने में देरी। इलाज शुरू करने में देरी। कोरोना (RTPCR) टेस्ट कराने में देरी। लक्षण होने के बावजूद टेस्ट रिपोर्ट का इंतजार करना और तुरंत इलाज शुरू नही करना। बीमारी की गंभीरता को समझने में देरी। दवाइयों से डर के कारण सारी दवाइयां खाने के बजाय आधी अधूरी दवाइयां खाना। पांचवे या छठे दिन तबियत ज्यादा खराब होने पर भी CT और ब्लड टेस्ट नहीं कराना। दूसरे स्टेज का ट्रीटमेंट (स्टीरॉयड) छठे दिन से शुरू नही करना और इसमें देरी करना। Steroid की अपर्याप्त डोज लेना। साथ में anticoagulent (खून पतला करने और खून में थक्का बनाने से रोकने की दवा) न लेना। ऑक्सीजन लेवल नापने में लापरवाही के कारण ऑक्सीजन लेवल गिरने (Hypoxia) को समय से पकड़ न पाना। ऑक्सीजन गिरने पर अस्पताल पहुंचने में देरी। छठे दिन HRCT टेस्ट में 15/25 या उससे ऊपर का स्कोर आने पर भी घर में इलाज और तुरंत अस्पताल में भर्ती हों कर intravenous (इंजेक्शन से) ट्रीटमेंट न लेना। ध्यान रखें, पहला हफ्ता आपके हाथ में। दूसरा हफ्ता आपके डॉक्टर के हाथ में और तीसरा हफ्ता भगवान के हाथ में। आप निर्णय लें कि आप अपनी जिंदगी की बागडोर किसके हाथ में देना चाहते है... ©OMG INDIA WORLD गलती कहां हो रही है? बीमारी को पहचानने में देरी। बीमारी को स्वीकार करने में देरी। इलाज शुरू करने में देरी। कोरोना (RTPCR) टेस्ट कराने में द
Kulbhushan Arora
जन्मदिन है तुम्हारा श्रद्धा सुमन अर्पित तुम्हारी आत्मा को शांति मिले ओम शांति ओम 🙏🏼🙏🏼 Mani Amma ka जन्मदिन है.... तुम नहीं हो ...इसकी तकलीफ़ है, मगर तुमने जिन हालात में ज़िंदगी जी, अगर ज़िंदा होती तो ज़्यादा दुख होता, सर्जरी स
Kulbhushan Arora
प्यार की खुशबू...— % & PET scan की रिपोर्ट आ गई है, मन में खुशी के आंसू हैं...इस कमबख्त कैंसर को दूसरी बार हारा देने के बाद मन को थोड़ी राहत मिली है। समस्याएं तो
Kulbhushan Arora
इस पोस्ट की सच्चाई, मैने कल शाम ये पोस्ट लिखी थी,आप में से कुछ को लगा कि मुझे क्या हुआ है....हां ये सच हैं कि मन बहुत व्याकुल था...पोस्ट डिल
#maxicandragon
Dear Doctors #सोशल_मीडिया_क्लीनिक FITW डाक्टर मार्क, मिलने का समय सुबह 9 से रात के 9 शार्प पता राजू भवन के सामने एकता पार्क संडे छोड डेली चैक अप किया जाता है फेसबुक इंस्टा ट्वीटर सब का इलाज किया जाता है चक्कर आना, नींद न आना, राह चलते कही टकराना,बिन पढे शायर बन जाना, फटी जींस पर फोटोग्राफी, डीएस एलआर और उधार की गाडी आडा तिरछा थूथन करके , फोटो औंधी तिरछी आडी उपरोक्त लक्षण प्रथम चरण है , भीषण लक्षण जल्द निकट है बिन संकोच के क्लीनिक आना, रोगी संग मोबाइल भी लाना रिसेप्शन पर पर्ची कटवाओ, प्रोफ़ाइल रोगी कि लिखवाओ कितने फौलोअर सब्सक्रिपशन उसके,लिखवाकर इक फाईल बनाओ Test: PerHrLike, Perday post, AcLink, OtherGadjet ये चार टेस्ट बाहर करवाओ,अंदर इसको ऐडमिट करवाओ सारा डेटा, पासवर्ड लेकर पेनड्राईव में जल्द डलाओ मैडम, रिपोर्ट पाजिटिव है, आपका लडका निगेटिव है इसको कुछ दिन रखना पड़ेगा, तगड़ा ट्रीटमेंट करना पडेगा Setting मार्क ने कर दी ऐसी सेटिंग, छोरा करेगा डेली डेटींग मार्क करेगा आपरेट सारे, FB insta twitter chatting PerLike or post चार्ज के सारे हिस्से मुझे दिलाओ घर में चैन की रोटी खाओ, हमे भी दो और खुद भी कमाओ #Sadharanmanushya ©#maxicandragon #सोशल_मीडिया_क्लीनिक FITW डाक्टर मार्क, मिलने का समय सुबह 9 से रात के 9 शार्प पता राजू भवन के सामने एकता पार्क
Gyana Ranjan Sethy
कविता: पहचान मुसलमान होता पाकिस्तान चलागया होता जनाब भारतीय हूँ इसलिए नहीं कि भारत में रहता हूँ इसलिए भी नहीं कि भारत मादरेवतन है मेरा इसलिए भी नहीं कि यहाँ की हवा से भरा मेरा सीना और पानी मेरी रगों में है अनाज धड़कता है मेरे नन्हें से दिल में ज़ुबान मुझे बनाती है नेकदिल इन्सान वजह सिर्फ़ एक है मेरी जड़ें बहुत गहरे धंसी हैं,सोने जैसी इस मिट्टी में उस मिट्टी में जिसमें बुद्ध महावीर राम कृष्ण कबीर मीरां नानक निज़ामुद्दीन चिश्ती गांधी सुभाष आज़ाद बिस्मिल अशफ़ाक़ भगत राजगुरु अभी भी सांस लेते हैं,उनके बदन की गर्मी से पकते हैं अनाज इस मुल्क में हज़रत मैं बोन्साई होता तो कब का टंग गया होता विदेशी छतों की कुंडी से पाक परवरदिगार ने बरगद बनाकर भेजा है तो उसकी लाज मेरे हाथ ही है ना! भारतीयता मेरी पहचान है इस्लाम मेरा मज़हब एक ज़मीन से जुड़ा है दूसरा आसमान से एक मां है तो दूसरा पिता है और हमारे खानदान में सिंगल पैरेंटिंग नहीं होती न मैं मां को छोड़ सकता न रह पाऊंगा पिता के बगैर ही ऐसे में तुम्हें जो समझना है समझो! जो मानना है मानो! मैं तो ऐसा ही हूँ और ऐसे ही रहूँगा अपनी जड़ों से जुड़ा आसमान में सिर ताने फिर मिलते हैं ख़ुदा हाफ़िज़ कविता: पहचान मुसलमान होता पाकिस्तान चलागया होता जनाब भारतीय हूँ इसलिए नहीं कि भारत में रहता हूँ इसलिए भी नहीं