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Paritosh Anand
‘MAA’ ki Kahani Jisne tumhe nav mahine apni kookh me rakha Teen saal apne Hatho me kehlaya Umar barh tumhara khayal rakha Aur zindagi bhar aapne dil me rakha Uss Maa ko tumne Virdh ashram chodha Fir bhi uss Maa ne tumko kuch naa kaha Bas Jaate-Jaate keh gayi-- “Beta Apna Khayal Rakhna” maa ki kahani !
Anju Dubey
आज जो बूढ़ी अम्मा नहीं दिखी तो मैं बहुत परेशान हो गई मैं चारों तरफ उन्हें ढूंढने लगी लोगों से पूछने लगी जो बुढ़िया मां बैठती थी वह कहां पर है मैं अक्सर हफ्ते में एक दिन मंदिर जाया करती हूं वहां रास्ते में एक बूढ़ी अम्मा दिखाई देती थी जो आगे कटोरा लेकर बैठी थी उनका कोई भी नहीं था वह कहती थी मेरा कोई नहीं है आते जाते लोग जिसका मन हुआ कुछ खाने को कुछ पैसे कुछ कपड़े दे दिया करते थे मेरा भी उनसे काफी लगाव हो गया था मैं भी जब भी मंदिर जाती हूं उनके लिए कुछ ले जाती उधर से आती तो प्रसाद देकर चली आती आज वह दिखाई नहीं दे रही थी मैं बहुत आश्चर्यचकित होकर चारों तरफ ढूंढ रही ना ही मुझे मंदिर दिख रहा था ना ही मंदिर में बैठे भगवान मुझे दिख रही थी तो बस वह नानी अम्मा जो अब वहां नहीं थे थोड़ा पता करने पर मालूम हुआ कि कल रोड की नापाइ हो रही थी तो कुछ लोग उनको वहां से हटा कर ले गए थे वहां से उनको भगा दिया गया वह कहां है किसी को नहीं पता उनकी बातें इतनी अच्छी होती थी मानो रस की गगरी मिली हो वह जवान होंगे तो कितनी सुंदर होगी उनकी आंखें जो जो आज भी कितनी गहरी दिखाई देती हैं कितना कुछ कहना चाहती थी लेकिन कुछ नहीं कहा और पता नहीं कहां चली गई मैंने बहुत पता लगाने की कोशिश की पर कहीं उनका पता नहीं चला मुझे ऐसा लगा मानो मेरे परिवार से एक मेरी नानी अम्मा चली गई हो वह हमेशा कहती थी बेटा थोड़ी देर बैठना एक बात बतानी है और मैं कहती ठीक है कल बैठूंगी कहते कहते यह वक्त निकल गया ना मैं बैठ पाए और ना उनकी बात सुन पाई मैं उसके लिए कभी भी खुद को माफ़ नहीं करती हूं काश एक बार उनके पास बैठकर बातें सुनते आख़िर उनको अपनों से और परिवार से इतनी नफरत क्यों थी कि वहां बैठी रहती थी मंदिर के पास भी नहीं मंदिर से पहले अक्सर देखा गया है कि मंदिर के सामने बहुत सारे लोग बैठे रहते थे लेकिन वहां मंदिर के सामने कभी नहीं बैठती थी मंदिर से कुछ दूरी के पहले ही बैठी थी मैं उन्हें हमेशा याद करूंगी anju ©Anju Dubey dadi Maa