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Rinkoo Singh
#RIPPriyankaReddy शैतान भी देखेंगे, हैवानों को भी देखेंगे।सात नस्ल फना कर देंगे, ऐसी गुस्ताखी फिर कभी नहीं करेंगे। #काट दो फांसी की सजा दो
Baisa_Raj_Neha_Pandya
एक बेहद कठोर कानून लागू हो ,ना कोई दलील,ना कोई तारीख हों,अब सीधे रोड़ पर फांसी हों। Neha_Pandya #फांसी
KK. Ajay
#RIPPriyankaReddy इस देश का दुर्भाग्य है जहाँ स्त्री को माता देवी औऱ कन्या समझ कर पूजा जाता है। उसी देश के आये दिन बलात्कार की खबरे भी आती रहती है। कुछ मामलों में तो बलात्कारी इतनी हैवानियत करते है कि लड़की को जिंदा जलाने से भी नही डरते। ये लोग इतनी दरिंदगी शायद इस लिये कर पाते है क्योंकि इनके अंदर कानून का सरकारों का पुलिस का ख़ौफ़ नही हैं। दिल्ली में जब निर्भया के साथ बलात्कार हुआ था तब पूरा देश सड़को पर आ गया था। उसके बाद कुछ कानून में बदलाव किए गये। लेकिन इन बदलाब से भी कानून का ख़ौफ़ इन दरिंदो के दिलो में नही हुआ। अब समय आ गया है जब सरकार को ऐसा कानून बनाना पड़ेगा और अदालतों को मजबूर किया जाए कि वो 30 दिन में पूरी कार्यवाही कर के अदालतों को फाँसी की सजा सुना देनी चाहिये। साथ ही अगले 30 दिन में फांसी की सजा पूरी करके दरिंदे को फांसी पर लटका देना चाहिये। जिन मामलों में हत्या या हत्या का प्रयास क्या गया हो उस मामले का निपटारा 15 दिन में सजा और अगले 15 दिन में फांसी पर लटका देना चाहिये । साथ ही कर बलात्कारी को एक जैसी सजा दी जानी चाहिये चाहे उस की उम्र कुछ भी रही हो। KK.Ajay #RPIpriyankareddey बलात्कार की सजा सिर्फ फांसी KK.Ajay
Raj Purohit ji Bateshwar Dham Bah (Agra)
Logic Kaha Hai कि मैंने भी छोड़ दिया अब उन लोगों को परेशान करना जो मेरे दिल पे बहुत पहले से कब्जा जमाए बैठे थे (लेखक) ©Raj Purohit ji Bah बेवफा की दोस्ती फांसी का फंदा #LogicHai
reshma kaur
चलो आज अख़बार उठा कर मन में अफसोस तो नहीं हुआ....... क्योंकि हम जानते है कि कुछ नहीं होगा इन बलात्कारियों का!!!! हर दिन, हर हफ्ते, हर महीने इनके गुनाहों को कम साबित करने के लिए कोई ना कोई चमकार होगा, ऐसा चमत्कार जो सिर्फ निर्दोष साबित करेगा इनको और निर्भया को दोषी। सवाल यही है अब? क्यों चारो पर इतने सालो से दया करी जा रही है? आखिर क्यों दया की बरखा इन पर हो रही है? जो ये लोग हाथ जोड़ रहे है,ठीक वैसे ही हाथ कभी निर्भया ने इन के सामने जोड़े थे.... तब इन लोगो ने कोई दया निर्भया साथ नहीं, अपितु अपनी हैवानियत को दिखया!!!! अब कोई कैसे भूल गया ये चारो कौन है? वो इंसाफ़ की गुहार कहा गई,जो कभी निर्भया की ताक़त बन ऐसी घनोनी सोच रखने वालो के लिए किसी अंत से कम नहीं थी!!!! क्यों? क्या सिर्फ निर्भया के लिए क्यों ही बोलना काफ़ी है? या क्यों इन चारो को फासी दी ये मिसाल कायम करना जरूरी है!!! ##फांसी दो
Ahir Sandeep Singh
हम कायर नहीं हैं अम्मा, हमको जीना रास ना आया, फांसी का फ़न्दा अपना था, बाकी कोई पास ना आया, डेली हम अखबार देखते, और उसमे रोजगार देखते, लेकिन अम्मा कुछ ना मिलता, चाहे जितनी बार देखते, खाली कमरा और गरीबी, ऊपर से बाबू की आशा, पन्नों मे जीवन दर्पन था, चारो तरफ़ थी घोर निराशा, सारे रिश्तेदार पूँछते, गांव और जन्वार पूँछते, जब भी माँ मै घर आता था, पापा के सब यार पूँछते, कैसे उनको बतलाता मै, अपनी व्यथा सुना पाता मै, माँ मै रात -रात भर तेरे, सपनो के खातिर जगता था, फ़िर भी अम्मा मेरा चेहरा, तुझको तो हर पल फ़बता था , माँ मै अक्सर बिन खाये ही रातो को सो जाता था, और सपनो में बड़ी नौकरी,. अक्सर ही मैं पाता था, पर जब नीद खुली तो देखा, ये सब केवल सपना था,. दाल भात और चोखा अम्मा,. ये ही केवल अपना था, अम्मा बिट्टू से कहना कि उसका भाई नही हारा है, अब भी अपनी बहनो को, भाई सबसे प्यारा है, पापा के सपनो के खातिर , खूब लड़ा मैं दुनिया से, सिस्टम से लड़ता था माँ मैं, और सिस्टम की कमियों से, पर अब पापा के आगे, कैसे मैं आ पाऊंगा? उनको हारे योद्धा वाला , चेहरा कैसे दिखलाऊंगा, अब हिम्मत ना बची है अम्मा मुझको माफ़ करोगी क्या? अगले जनम मे फ़िर मुझको अपना बेटा कहोगी क्या? अगले जनम में लौटूंगा जब, नौकरी मिल जाएगी, फ़िर मै घर आऊंगा अम्मा, अबकी यही से जाने दे! बहुत थक चुका हूं अम्मा , फांसी मुझे लगाने दो! 😭😭 ©Ahir Sandeep Singh फांसी #grey