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Manpreet Benipal
लोगों से दूर, खुद में खोए रहना, ज्यादा अच्छा लगता है ©Manpreet Benipal लोगों से दूर #अकेलापन # दूर
Shubham Bhardwaj
White दरिया बनकर, हरदम बहता रहा हूँ। मोहब्बत है तुमसे, यह कहता रहा हूँ।। फूल खिले हैं दिल के गुलशन में लेकिन। इन गुलों मेंं चुभन, काँटों की सहता रहा हूँ।। ©Shubham Bhardwaj #love_shayari #मोहब्बत #फूल #सहते #रह #हूँ
अमित कुमार
White कोई खुशियों से जीते हैं, बेसबब कोई घुट घुट कर मरते हैं कोई दिखावे के पिछे है पागल,कोई सीरत से संवरते हैं। इस जहां के भीड़ में,भला किस किस को समझ पायेंगे आकर्षण से संवरने वाले, एक दिन गर्दिश में बिखरते हैं।। ©अमित कुमार दिखावे
Innervoiceofyours
White Yehi bas ik kami hai jo kami acchi nahi lagti tumhare bin hume ye zindagi acchi nahi lagti ©Innervoiceofyours मैं मोहब्बत की जिंदा मिसाल हूँ #Saveme #Original #Shayari
( prahlad Singh )( feeling writer)
White ll वो टूटा तीर उसकी बातो का टूटे घाव देता है में सब्र से भरा आशिक हूं नशे में सब्र से रहता हुं ll ©( prahlad Singh )( feeling writer) सब्र से रहता हूं#nightthoughts
Harvinder Ahuja
हम भावनाओं को बहुत दूर छोड़ आए हैं, जो रिश्ते थे ही नहीं उन्हें तोड़ आएं हैं, अब वो दर्द होता ही नहीं, जिसे दर्द का रिश्ता कहते हैं, जो रिसता था, था कभी मगर रिश्ता नहीं, उन बहते हुए घावों की, की कभी मल्हम नहीं, उन घावों को नासूर बनने छोड़ आए हैं। ©Harvinder Ahuja #भावनाओं से दूर
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ । माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।। दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ । धूल में फूल खिलाने के लिए रहता हूँ ।। शहर में मैं नही जाता कमाने को पैसे । हाथ बापू का बटाने के लिए रहता हूँ ।। जानता हूँ दूरियों से खत्म होगें रिश्ते । मैं उन्हें आज बचाने के लिए रहता हूँ ।। हर जगह जल रहे देखो आस्था के दीपक । मैं उन्हीं में घी बढ़ाने के लिए रहता हूँ ।। कितने कमजोर हुए हैं आजकल के रिश्ते । उनको आईना दिखाने के लिए रहता हूँ ।। कुछ न मिलता है प्रखर आज यहाँ पे हमको । फिर भी इनको मैं हँसाने के लिए रहता हूँ । ११/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ । माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।। दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ । धूल में फूल
Ravishankar Nishad
अकेलेपन से सीखी है मगर बात सच्ची है दिखावे की नजदीकयों से हकीकत की दूरियाँ अच्छी है 😔 ©Ravishankar Nishad अकेलेपन से सीखी है मगर बात सच्ची है दिखावे की नजदीकयों से हकीकत की दूरियाँ अच्छी है 😔