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Nitu Singh जज़्बातदिलके
White आस्था मन में लिए मिले तब मोक्ष का द्वार जो पाप किए है गोते लगाए त्रिवेणी संगम में पुण्य तभी फले जब मन में रक्खे सबके प्रति नेक विचार मौका जिसे मिला अमृत स्नान का अब मिलेगा १४४ साल के बाद संत, गुरु, किन्नर और अघोरी सब मग्न होकर शिवरात्रि मनाए महादेव की नगरी महादेव से मिलने सब चले काशी विश्वनाथ में हर हर महादेव 🙏 ©Nitu Singh जज़्बातदिलके आस्था मन में लिए मिले तब मोक्ष का द्वार जो पाप किए है गोते लगाए त्रिवेणी संगम में पुण्य तभी फले जब मन में रक्खे सबके प्रति नेक विचार मौका
आस्था मन में लिए मिले तब मोक्ष का द्वार जो पाप किए है गोते लगाए त्रिवेणी संगम में पुण्य तभी फले जब मन में रक्खे सबके प्रति नेक विचार मौका
read moreRam Yadav
White वहां...... अध्यात्म पर जश्न मनाया जा रहा है,,,, अध्यात्म को बेचा और खरीदा जा रहा है,,,, अकूत व्यापार के कसीदे गढ़े जा रहे हैं,,,,, अमृत की बूंद समेटे नीर में डुबकी लगाने.. लोग, कभी पहुंच नहीं पा रहे,, कभी लौट नहीं पा रहे।।।।।।। अमरत्व? शरीर? आत्मा? व्यापार? वाह..... इंसान😌 क्या कोई जान पाया भारत क्यों है सनातन ©Ram Yadav #sad_quotes आज का विचार आज शुभ विचार अनमोल विचार शुभ रात्रि सुविचार बेस्ट सुविचार #अध्यात्म #भारत #संगम #सनातन
#sad_quotes आज का विचार आज शुभ विचार अनमोल विचार शुभ रात्रि सुविचार बेस्ट सुविचार #अध्यात्म #भारत #संगम #सनातन
read moreParasram Arora
White खाई थीं कसम सागर ने कि इक दिन वो रेगिस्तान मे भी फुल खिला दे गा अपनी कसम पूरी करने के लिए भेजा था उसने एक नदी को रेगिस्तानको सीचने के लिए पर वो नदी रेगिस्तान क़ी तपी रेत मे लुप्त हो जायेगी और लौट नही पाएगी ऐसा न उस सागर ने सोचा था न उस बदनसीब नदी ने ©Parasram Arora बदनसीब नदी
बदनसीब नदी
read moreShreyansh Gaurav
"नदी का पुराना पुल" कभी तुम गये हो गांव में नदी के किनारे बहुत सुकून मिलता है.! पहले मैं गांव रहता था, दोस्तों का ज़मावड़ा, मज़मा लगता था.! नदी पर पहले इक़ पुल था जो अंग्रेजो के वक़्त का बना है.! गया था मैं गांव कुछ साल पहले देखा अब बदल गया है.! उस पुल के बगल इक़ नया पुल बन गया है, पुराने पे अब सन्नाटा है सुना किसी ने बोला अब यहाँ कोई नहीं आता है.! पूछा क्यूँ कुछ हुआ था क्या इक़ ने कहा भैया, यहाँ कोई मर गया था.! इसलिये अब सब डरते है इधर कोई नहीं आता है.! हमनें देखा बहुत सन्नाटा छाया था जहाँ पहले लोंगो को सुकून मिलता था वही से लोग अब डरने लगे है.! क्या तुम भी लोंगो की तरह बुज़ुर्गो को छोड़कर नये ढूढने लगे हो.! मैं गया वहाँ अकेले ही मुझे कोई डर नहीं फ़िर वही सुकून, मुझे गांव लें गया.! यें "नदी का पुराना पुल " मुझे अब भी याद है, मुझे सुकून सन्नाटा दें गया.!! ©Shreyansh Gaurav #नदी का पुराना पुल #poerty
Parasram Arora
White समुन्दर नदियों को बहला फुसला कर उनके तरल ख़ज़ाने लूटता रहा और वे बदनसीब नदिया अपने वजूद का इंतकाल होते देख आंसू बहाती रहीं ©Parasram Arora समुन्दर और नदी
समुन्दर और नदी
read moreHimanshu Prajapati
ये नदी ये किनारे कहं रहे हैं सारे के सारे, तुम मिलती हो जो पनघट पे बस मिलती ही रहोगे क्या कब होगें हमारे..? ©Himanshu Prajapati #WorldWaterDay ये नदी ये किनारे कहं रहे हैं सारे के सारे, तुम मिलती हो जो पनघट पे बस मिलती ही रहोगे क्या कब होगें हमारे..? #36gyan #hpstra
#WorldWaterDay ये नदी ये किनारे कहं रहे हैं सारे के सारे, तुम मिलती हो जो पनघट पे बस मिलती ही रहोगे क्या कब होगें हमारे..? #36gyan hpstra
read morevish
मैं ठहरे हुए कुएँ का वो पानी नहीं, जो थम जाऊँ.... मैं बहती नदी की वो धारा हूँ, जो साहिल से टकराकर भी, अपने सागर से मिल जाऊँ.... जिंद़गी ©vish # नदी की वो धारा
# नदी की वो धारा
read moreSANIR SINGNORI
पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की पैसे के लालच में आज, साहूकारों ने बेच दी मिट्टी 'काटली' की निकली थी वो तुम्हारी प्यास बुझाने, बुझा दी मानस ने राह 'काटली' की सहस्र जीवों का जीवन थी जो, इंसानों ने छीन ली सांसे 'काटली' की अपनों ने काट दी जड़े 'सानिर' कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की सिर साँटें 'सानिर', तो भी सस्तो जाण, जै बच जाए जान 'काटली' की पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की . ©SANIR SINGNORI #DesertWalk नदी बचाओ
#DesertWalk नदी बचाओ
read mores गोल्डी
White दिसंबर है जनाब.. दि..दिलों का सं...संगम ब...बरकरार र...रहे ❤️❤️ ©s गोल्डी दिसंबर है जनाब.. दि..दिलों का सं...संगम ब...बरकरार
दिसंबर है जनाब.. दि..दिलों का सं...संगम ब...बरकरार
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