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Aarya Rathod
सूनले बंदे कोई गरीब तो कोई फकीर बना रुपया पैसा वाला अमीर, कभी इन्सान ना बना... उपर वाला सोचता होगा तो उसको शरम आती होगी, लालच में इतना डूब गया इन्सान क्या कभी उन्हे राख भी नशीब होगी... ©Aarya Rathod #इन्सान
jameel Khan
White मै बे जान थोड़ी हू मै भी जान हूं आप की तरह मै भी इन्सान हू जमील ©jameel Khan # इन्सान #
# इन्सान #
read moreVs Nagerkoti
White जिंदगी में सबसे अधिक शत्रु किसी बुरे इंसान के कभी होते ही नहीं बल्कि सबसे अधिक गुप्त शत्रु एक नेक इंसान के ही ज्यादा होते है। ऐसा इस लिए भी है क्योंकि एक अच्छा इंसान गलत होता देख नही सकता ना ही वो गलत चीजों मै कभी योगदान देता है। और ये भी कड़वा सत्य है। सही मार्ग पर उतनी इज्जत और उतनी शोहरत है ही कहां आज 100 मैं से 25 %लोग इसके लिए किसी भी हद तक गिर जाते है। जहां 35% लोग अपनी नौकरी से गुजारा कर लेते है 40% लोग काफी मेहनत करके सिर्फ अपनी दिनचर्या निभाते हैं । ©Vs Nagerkoti #sad_shayari सच से कड़वा शायद ही आज कुछ हो,,, आज अपना कार्य सिद्ध करने के लिए चरित्र हीन इन्सान की भी तारीफ़ की जाती है,,, इसके दोषी हम
#sad_shayari सच से कड़वा शायद ही आज कुछ हो,,, आज अपना कार्य सिद्ध करने के लिए चरित्र हीन इन्सान की भी तारीफ़ की जाती है,,, इसके दोषी हम
read moreMSA RAMZANI
ठोकर इसलिए नही लगती कि इन्सान गिर जाये ठोकर इसलिए लगती है कि इन्सान संभल जाये 17/12/14 ©MSA RAMZANI #Success ठोकर इसलिए नही लगती कि इन्सान गिर जाये ठोकर इसलिए लगती है कि इन्सान संभल जाये 17/12/14 Pooja Udeshi Deepika, Pandey Harsh gupta
#Success ठोकर इसलिए नही लगती कि इन्सान गिर जाये ठोकर इसलिए लगती है कि इन्सान संभल जाये 17/12/14 Pooja Udeshi Deepika, Pandey Harsh gupta
read moreShailendra Anand
रचना दिनांक 14 जनवरी 2025 वार मंगलवार समय सुबह ग्यारह बजे ्भावचित्र ् ्निज विचार ् ्शीर्षक ् छाया चित्र में जल ही जीवन में समुद्र में जलसृष्टि में , अलग पहचान और सोच का आयना नज़रिया सहज महज़ भण्डार है,, जहां चाह वहां राह दिखाने वाले मंगलमय रत्नों से खनिज पदार्थ से सजाया गया है।। ्् समन्दर में बहते हुए जल में प्रवाहित होने वाले तरंग में लहरों , में समुद्री नमक और तेल चित्रावलली ललितकलाचित्रणशैलीकलासाहित्य से, मनोररम सौंदर्य और जींव जगत के सुक्ष्म से सुक्ष्म पादप प्रजातियां पाई जाती है । जो जीवाणु और अनेक देशों में समुद्री तट पर स्थित पनडुब्बी और जहाज में पर्यटक में , मानसिक सम्प्रेषण शांति वार्ता से अन्य देशों में सामंजस्य स्थापित कर नव स्वपन कीओर ले जा रहे, मकर संक्रांति पर्व हर्षोल्लास पूर्वक विचार कर मनाया जा रहा है।। हिन्दूस्तान में आदिकाल भक्तिकाल में मानसिक हलचल अंतर्गत आई अभिव्यक्ति अनुवाद जनसंख्या में वृद्धि और कमी विषय नहीं है,, विषय विश्व में आप और हम के बीच हिन्दूस्तान की संस्कृति सभ्यता और इतिहास चाहे, स्वामी विवेकानंद जी शिकागो में 13। 1वर्ष पुर्व अपने उद्बोधन में अपनी संस्कृति और सभ्यता इतिहास विद्वता से सारे विश्व में अपना दर्शन और प्रेम का आयना नज़रिया सहज महज़ प्रेम को अभिव्यक्त करने वाले शुन्य पर आधारित ईश्वर सत्य की आवृत्ति प्रवृत्ति निरन्तर प्रगति में देश सर्वोपरि है।। माना कि हिन्दूस्तान में कई राजा,सम़ाट सतयुग से कलयुग तक देवता और असुर के मध्य संग़ाम हुआ है ्तब धर्म और अधर्म पाप और पुण्य के बीच सतयुग त्रेता द्वापर युग परिवर्तन में सहस्त्रों वर्षों तक अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक समुदाय का विवरण शास्त्र पुराण कथा साहित्य कथन सच्चाई में उपलब्ध है।।्् रहा सवाल कलयुग में कल कारखानों में ,श्रम और रोजगार में सर्वहारा वर्ग में दलित आदिवासी जीवन में वन जंगल पहाड़ धरती जल जीवन में विचरण करने वाले लोगों में अशिक्षा अंधश्रद्धा मंहगाई खात जात है जैसी मुल समस्या पर ध्यान देना चाहिए।। ््नाकि आम आदमी में मानसिक रूप से जीवन व्यतीत करते हैं आनेवाली पीढ़ी को राह दिखाने वाले खुशियों का आयना नज़रिया बदला जा सकता है,, यही सही मौका मिला है आपकी पोस्ट पढ़ने के बाद लिखने का बाकि आप समझदार है।। ,, ना हिन्दू बनेगा ना मुसलमान बनेगा, इन्सान की औलाद है इंसान बनेगा,।। देश में संविधान है तो देश आगे बढ़ेगा,, विवाद है तर्क वितर्क तथ्य तर्क तथ्यों पर आधारित अदालत में न्याय पाओ मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने पहले इन्सान बनाया है।। यही यथार्थ सत्य है इन्सान से प्रेम करने वाले अच्छे ख्यालात रहे,, यही सही और सटीक उत्तर भारत प्रजातांत्रिक देश में अवाम में खुशहाली और उसके परिणाम में सत्य कोण पूर्व मुख में सुर्य विराजमान हैं।। ््कवि शैलेंद्र आनंद ©Shailendra Anand मकर संक्रांति पर आपके विचार सच में भक्ति भाव से पुजा अर्चना कर देख रहा है ईश्वर ने पहले इन्सान बनाया गया है कवि शैलेंद्र आनंद
मकर संक्रांति पर आपके विचार सच में भक्ति भाव से पुजा अर्चना कर देख रहा है ईश्वर ने पहले इन्सान बनाया गया है कवि शैलेंद्र आनंद
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