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Rajni kant dixit
हम समझ नहीं पाए जब वक्त है अपना बदला सोचते ही रह गए हम क्यों वक्त हैं अपना बदला कल तलक सब अच्छा था आज लग रही दुनिया बदली ना जाने क्यों सब खोए हैं इन दुनिया क्यों सब सोए हैं rajnikantdixit हम समझ नहीं पाए
moti Priyanka
उन्होंने याद किया ये उनकी मेहरबानी है. हम भूल न पाए ये हमारी मोहब्बत है. हम भूल। न पाए
Krishna gurjar
बहुत आयी यादे उसकी पर उसे बता ना पाए ओर फासले उन्होंने इस कदर कर लिए थे दर्मिया की चाह कर भी हम उन्हें बुला ना पाए। हम उसे बुला ना पाए
Anil Shukla
आखिर ऐसी क्या बात तुम में क्यूं याद आती हो मुझे इतना यूं ना तड़फाया करो मुझे । मर मर के जी रहें हम तेरी याद में तडफ रहें है हम । जीना छोड दिया है हमने जरा तरस करो हम पर जीना छोड़ ही दिया हमने । हम तुम्हें भूल ना पाए
pawan kumar suman
समझ न पाए हम **************** हो पूर्वाग्रह से ग्रसित देखो ख़ुद को न समझ पाए हम। ये तेरा ये मेरा करते करते कुछ अपना ना पाए हम। जीवन पाने का रहस्य क्या है आजतक समझ न पाए हम। जन्म ले मृत्यू को प्राप्त करना इससे संतुष्ट न हो पाए हम। सृष्टि रचना का शायद ध्येय जान न पाए हम। माया-मोह कर आज तक मुक्ति मार्ग न ढूंढ पाए हम। नाम भगवान का बेच खाते भजन करने से भी शर्माते हम। भगवान बाँट बैठे यहाँ सब यहाँ मानवता न ढूंढ पाए हम। मानव रूप जन्म लेते पर विभिन्न जाती में बटें हैं हम। कौम के नाम मर मिटने वाला मुफ़्ती-पंडित न ढूंढ पाए हम। उलझे रह इन बहुबातों में अपनी तलाश में कुछ कर न पाए हम। 💕पवन "सुमन"💕 समझ न पाए हम #CalmingNature
Gyanendra Mishra
वो खड़े थे आंसुओ के सागर लिए देहरी पर हमारी, और हम दिलासा दे न पाए । टूटे तब सब अरमान उनके चंद किस्सों में, और हम आशा दे न पाए । वो खड़े थे ...... पूछ रहे थे नयन तुम्हारे , कुछ अकेले कुछ सजल। मन में था कुछ टूटा हुआ , व्यर्थ थे सब गीत गजल। मौन खड़ी थीं उसकी सब पीड़ाएं अब तक और हम भाषा दे न पाए। व्याध थे सारे अपरिचित, कुछ विचलित, कुछ अलौकिक। शांत थी वेदनाएं भावों की , दे रही थी संकेत मौखिक। थे कठिन सब वक़्त वैभव सार के और हम सुभासा दे न पाए। मौन प्रतिमाओं के सीर साधक सब के सब उनके प्रतीक थे। आज था जो ये वक़्त ऐसा एकांतता में सब भयभीत थे। उठा कर उनके गिरते हौसले को हम और उपासा दे न पाए। वो खड़े थे आंसुओं के सागर लिए देहरी पर हमारी, और हम दिलासा दे न पाए। - - ज्ञानेन्द्र मिश्र और हम दिलासा दे न पाए।
Manjeet Bhiwani
हमने उनकी याद में इतने आंसू बहाए की हम उन्हें सूखा भी ना पाए वो हमारे गले लगकर रोए किसी और के लिए और हम उन्हें हटा भी ना पाए मंजीत भिवानी #Wish हम उन्हें हटा भी पाए
Prashant Mishra
ख़्वाहिशें दिल की दिल में दबी रह गईं ख़्वाब को सच में हम ढाल पाए नहीं सोचते थे कि जी भर के देखेंगे पर खुलके नज़रें भी उनसे लड़ाए नहीं हमने सोचा था ग़म भूल जाएंगे पर वो हमें देखकर मुस्कुराए नहीं उनसे मिलना हुआ तो यूँ हालात थे उनको जी भर के हम देख पाए नहीं --प्रशान्त मिश्रा जी भर के हम देख पाए नहीं