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Parasram Arora

भी क्या दिन थे

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White वे भी क्या दिन थे 
ज़ब मै ठहाके मार कर 
हँसा करता था
 
बिना शिकायत के 
जिंदगी बसर करता था
 
छोटे छोटे खबाब देख 
कर जिंदगी के दिन 
काट लिया करता था
 
रफ्ता रफरता वक़्त गुजरता गया 
और बचपन पीछे छुटता गया 
 और मै जवान होता गया

©Parasram Arora भी क्या दिन थे

gauranshi chauhan

#lovelife day - 428 आप चाहते थे ना की मै चली जाऊ आपकी जिंदगी से हमेशा के लिए, तो यही समझ लेना आज से मर गई हमेशा के लिए ।। Sabanoor Sandip r

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Unsplash day - 428
आप चाहते थे ना की मै चली जाऊ 
आपकी जिंदगी से हमेशा के लिए,
तो यही समझ लेना आज से मर गई हमेशा के लिए ।।
😇❣️❣️❣️

©gauranshi chauhan #lovelife day - 428
आप चाहते थे ना की मै चली जाऊ आपकी जिंदगी से हमेशा के लिए,
तो यही समझ लेना आज से मर गई हमेशा के लिए ।। Sabanoor  Sandip r

Rameshkumar Mehra Mehra

# पहले भी मुसाफ़िर थे,अब भी मुसाफ़िर है,पहले किसी की तलाश में थे,और अब अपनी तलाश में है..

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नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर दिल के गहरे कोने में जो दर्द छुपाए थे, वो कोई था, जो हर राज़ जानने वाला था। राहों में तन्हाई के साये थे, फिर भी उम्मीदें ज़िंद

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दिल के गहरे कोने में जो दर्द छुपाए थे,
वो कोई था, जो हर राज़ जानने वाला था।

राहों में तन्हाई के साये थे, फिर भी उम्मीदें ज़िंदा थीं,
 हमें यकीन था, कोई तो हमारा था।

ग़मों की धुंध में कभी उसने हंसी दी थी,
अब वही शख़्स, हमें छोड़कर जा रहा था।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
दिल के गहरे कोने में जो दर्द छुपाए थे,
वो कोई था, जो हर राज़ जानने वाला था।

राहों में तन्हाई के साये थे, फिर भी उम्मीदें ज़िंद

Praveen Jain "पल्लव"

#chaandsifarish सभ्यताओं के कपड़े पहनाये थे

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पल्लव की डायरी
घुटन कियो लिबासों में हो रही है
फेशनो के नाम पर 
नंगेपन की नुबायस हो रही है
सादगी अंगों की बनी रहे
सभ्यताओं के कपड़े पहनाये थे
लगता है बाजारू रुख
असभ्यताओ को निमंत्रण दे रहा है
फले फूले बाजार,कट लिबास कर
अंगप्रदर्शन को तज्जबो दे रहा है
                                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #chaandsifarish सभ्यताओं के कपड़े पहनाये थे

Narender Kumar

दुर थे तो शांत थे पास आए तो शोर हुआ।

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unique writer

गुण नहीं थे

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Matangi Upadhyay( चिंका )

घाव बहुत गहरे थे 🤔 #Hindi #Life #SAD

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घाव गहरा था बहुत,
 पर दिखता ना था। 
दिल भी बहुत दुखता था,
 पर कोई समझता ना था। 
बाद में सब कहते तो है 
कि मुझ से कह सकता था। 
पर जब जब कहना चाहा, 
कोई सुनता ना था..!

©Matangi Upadhyay( चिंका ) घाव बहुत गहरे थे 🤔
#Nojoto #Hindi #Life #SAD

Shashi Bhushan Mishra

#आस्तीन के सांप बहुत थे#

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आस्तीन के साँप बहुत थे फुर्सत में जब छाँट के देखा,
झूठ के पैरोकार बहुत थे आसपास जब झाँक के देखा,

बाँट रही खैरात सियासत मेहनतकश की झोली खाली, 
नफ़रत की दीवार खड़ी थी अल्फ़ाज़ों को हाँक के देखा,

जादू-टोना,  ओझा मंतर,  पूजा-पाठ   सभी   कर   डाले,
मिलती नहीं सफलता यूँही धूल सड़क की फाँक के देखा,

धरती से आकाश तलक की यात्रा सरल कहाँ होती है,
बड़ी-बड़ी  मीनारों  से  भी करके सीना चाक के देखा,

कदम-कदम चलता है राही दिल में रख हौसला मिलन का, 
मंज़िल धुँधला दिखा हमेशा सीध में जब भी नाक के देखा,

चलना बहुत ज़रूरी 'गुंजन' इतनी बात समझ में आई, 
हार-जीत के पैमाने पर ख़ुद को जब भी आँक के देखा, 
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'

©Shashi Bhushan Mishra #आस्तीन के सांप बहुत थे#

silent whisperer

#ValentinesDay तुम मिले थे कुछ इस तरह

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