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shalmali Shreyankar
New Year 2025 ये साल मुझे अनगिनत अहसास दे गया, कभी जो महसूस करने को जी चाहता था, आज उन्ही एहसासों से नफ़रत सी हो गई हैं कहा पता था जिन एहसासों से ख़ुशी अपने चरम पर थी, आज वही एक अचूक दर्द बनी हुई हैं, हा संजोया था पिछले साल भी अरमान दिल में, हर पल को महसूस करने का, कहा पता था अरमान सुर्ख हो बिखर जायेगे, अब भी जीने को जी चाहता है, पर डर लगता है कही फिर से कोई, मेरे अरमान n कुचल दे, क्या मांगू इस नए साल से पिछले घाव जो, अब तक भरे नहीं, अरमान जो खाक हो गए, चाहत जो नफरत बन गई, एहसास जो डर बन गए, इन सारे जज्बातों से मैं अकेली लड़ी हूं अब तक, न कोई साथी रहा ना हमदर्द, न दोस्त न हमराज, बनाए भी तो कैसे राज़ राज़ ही रहने देते है, अब तो उम्मीद भी डरा जाती है कि न जाने कौन सी आंधी इन्हें भी उड़ा दें। खैर ये साल को हैप्पी फेयरवेल और थैंक्स, जिसने मुझे दर्द तो दिया पर ये भी दिखाया कि कोई भी नहीं होता आपके अलावा आपको सम्हालने वाला, उसने बताया जो आपके लिए रोते हैं वो किसी और के लिए भी रोते हैं, और वो आपको कभी भी भूल सकते है। ©shalmali Shreyankar #Newyear2025 #SAD #Nojoto #Life #LO√€ #na #poems #ownwords
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read moreKomal Singh
Unsplash Sochati hain abhi waqt bahut hai hamare pass itni bhi Kya jaldi Hai Abhi dusron ke hisab se ji lete Hain Apne liye to sari umar hi padi hai...😊 ©Komal Singh #Book #poems #hindipoetry #Poetry #poetryislife #viral #Trending sad poetry poetry in hindi sad urdu poetry lovers
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read moreMk thoughts
Unsplash do paiso ke liye inshan kya bhul mtt jao kiyunki paiso se sirf Amir bante hein inshan nhi...... ©Mk thoughts #traveling #poems #Trending
Writer Mamta Ambedkar
गद्दारों के शहर में दिल की बात कहे भी तो, किससे कहे, यहां सब गद्दार हैं। चेहरे पर मुस्कान, दिल में खंजर, हर कोई छल-कपट का साकार है। बातों में मलहम, हाथों में नमक, दिखावटी अपनापन हर ओर है। दर्द पूछते हैं, सहला के, फिर घावों को चीरने का जोर है। यहां सच की आवाज़ दबा दी जाती, झूठ के सिक्के खनकते हैं। अपनों के बीच भी परायापन, दिलों में फासले पलते हैं। तो किससे कहें ये दिल की बात, कौन सुनेगा हमारी पुकार? इस अंधेरे में ढूंढ़ रहे रोशनी, जहां हर रिश्ता एक व्यापार। पर दिल है कि उम्मीद नहीं छोड़ता, शायद कहीं कोई अपना भी हो। जो मलहम भी लगाए, सहलाए, और नमक के घावों से बचाए। ©Writer Mamta Ambedkar #Childhood
ℕᴀsʏᴀɴ Sʜᴀʜ
na deed hy na sukhan ab na harf hy na piyam, koi bhi hela o taskeen nehi or aas boht,hy umeed e yar , nazar ka mizaj , dard ka rang kuch na pucho aj ke dill udas boht hy ©ℕᴀsʏᴀɴ Sʜᴀʜ #Shahjee #SAD #poems #words
Avinash Jha
वात्सल्य का स्पर्श जब मुस्काए किलकारी बन, भर दे घर आंगन की चहल-पहल। छोटे हाथों की छुअन से, झूम उठे सारा घर-आलय। नन्हें कदमों की वो आहट, जैसे सुबह का पहला किरण। माँ के आंचल में छुप जाए, पिता के कंधों पर वो सुमिरण। उनकी हँसी का संगीत सुन, दीवारें भी गुनगुनाने लगतीं। खिलौनों की मीठी बातें, हर कोना दर्पण बन जातीं। नटखट शैतानी में छिपा, जीवन का अनमोल ज्ञान। हर बिखरी चीज़ में झलकता, स्नेह का अनुपम सम्मान। माँ के हाथों से खाए निवाले, स्वाद बन जाते हैं अमृत। पिता की उँगली पकड़कर चले, हर सफर लगता है सरल। वो छोटे-छोटे सवाल, जैसे गूंजें नदियों के सुर। उनकी जिज्ञासा से सीखें, हर पल का अद्भुत मर्म। इस वात्सल्य की सुगंध से, महक उठे हर आशियाना। एक बच्चे की मासूमियत से, सजता है सारा जमाना। ©Avinash Jha #Childhood
_बेखबर
White दिन रात राहों पर चलना पड़ता है मेहनत की आग में जलना पड़ता है इतने पर भी मंजिल नहीं मयस्सर भाग्य से भी लड़ना पड़ता है है मेहनत भी भाग्य भी फिर भी इंतजार कई बार करना पड़ता है अचानक से नहीं मिलती मौत भी हर रोज़ थोड़ा-थोड़ा मरना पड़ता है ©_बेखबर #poems #Poetry
#कहेंगे ना...
दुनियां की सबसे बड़ी त्रासदी है, बच्चों से उसका बचपन छीन लेना। ©#कहेंगे ना... childhood
childhood
read moreDear ma'am
बचपन में सबसे अधिक पूछा गया एक सवाल: बड़े होकर क्या बनना है? अब जाकर जवाब मिल रहा है, कि फिर से ही बच्चा बनना है। फर्क बस इतना है. एक बचपन का जमाना होता था, जब खुशियों का जमाना था चाहत होती चांद को पाने की, मगर अब दिल केवल भावना नाम की तितली का दीवाना है क्यों की दिल तो बच्चा है जी Happy Children’s Day! ©Dear ma'am #Childhood
aswathy sudheesh
White These are your own words your way of noticing and saying plainly of not turning away from hurt you have offered them to me I am only giving them back if only I could show you how very useless they are not ©aswathy sudheesh #good_night #poems #Poetry