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writer anil lodhi
अनुशासन और संस्कार आपके जीवन के ऐसे अनमोल रत्न हैं जिन्हें प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में घोलने का प्रयास करते रहना चाहिए। जिनके जीवन में इन दोनों का समावेश होता है, उनके जीवन में मधुरता और सुगन्धता स्वतः प्रकट होती हैं। ©anil foujdar #अनुशासन और संस्कार
Shrikant D
वचन है तुमसे तुमसे ज्यादा प्यार ना किया जाएगा हमसे ©Shrikant D वचन और अनुशासन
KAVI ANDAAZ
सर का खौफ (poetry - Govind Singh) सर आप हों कॉलेज के डॉन, हर वर्ष हम पर बन जाते हो शेर सर आपके बालक हैं हम, विना गलती के देते हों हमे पनिशमेंट सर आपसे क्या कहूं मैं खास, आपसे नहीं है मेरी कोई आस जब हम बोलते हैं आपसे खास, सर आपको लगती है हमारी हर बात बकवास शिष्य पर नहीं है आपको विश्वास, सर आप हो मेरी पिछले जन्म की खडूस सास सर आप सर नहीं सर हैं बड़े सनकी, ना सुनते हैं सर हमारे मन की समझ नहीं आता सर ऐसे क्यों होते हैं, कभी करेले जैसे कड़वे तो कभी जलेबी जैसे टेढ़े होते हैं ऐसे सर हो उनके शिष्य टेंशन के मारे रोते हैं, समझ नहीं आती बातें उनकी फिर भी हम समझते हैं सर आपसे तो अच्छे होते हैं, बचपन के सर जो कभी तो शांति और फुर्सत से बुलाते हैं सर आप पढ़ाते रहते हो, फिर देते हो होमवर्क होमवर्क भीं लगता हैं घर, कॉलेज की जेल घड़ी हमें दूसरे दिन का काम देकर खुद फुर्सत से चले जाते हो रात भर हमारे सपनों में आकर तांडव नृत्य कराते हो सुबह प्रार्थना सभा में डांटते हो सुबह नाश्ते में क्या मिर्ची खाते हो आप हमें सर नहीं लगते सर रूप में विलन नजर आते हो अगले जन्म में मैं बनूं सर आप बन कर आओ मेरे शिष्य बात-बात पर डाटूगा, हर समय पढ़ाऊंगा सर आपसे क्या कहूं मैं खास, आपसे नहीं है मेरी कोई आस kavialfaaz@gmail.com ©KAVI ANDAAZ सर और विद्यार्थी
Rishi Tiwari Samajsevi
अनुशासन और गुलामी में ज्यादा अंतर नहीं होता । जिसे स्वयं माना जाता वो अनुशासन होते हैं और जो जबरदस्ती मनवाया जाता है वो गुलामी । ©Rishi Tiwari Samajsevi अनुशासन और गुलामी #jail