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Devesh Dixit
अटल सत्य (दोहे) अटल सत्य है मौत ही, सबको ये संज्ञान। फिर भी क्यों समझे नहीं, करते हैं अभिमान।। मोह छूटता है नहीं, अद्भुत ये संसार। अटल सत्य ये जान कर, भरते भी भण्डार।। अनदेखा इसको करें, पछताते फिर बाद। अटल सत्य को भूल कर, दिखलाते आबाद।। ईश्वर की ही देन है, ये जो माया जाल। अटल सत्य है जान लो, मौत यही विकराल।। घबराते इससे बहुत, आज सभी इंसान। अटल सत्य है क्या कहें, कहते सभी सुजान।। ............................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #अटल_सत्य #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry अटल सत्य (दोहे) अटल सत्य है मौत ही, सबको ये संज्ञान। फिर भी क्यों समझे नहीं, करते हैं अभि
Devesh Dixit
शब्द (दोहे) शब्द मिलें जब भी मुझे, करता यही विचार। क्या बखान अब मैं करूँ, पूरे हों उद्गार।। जोड़-जोड़ कर शब्द को, देता मैं आयाम। राज हृदय में वह करे, हो मेरा भी नाम।। जन जन तक पहुँचे कभी, ये मेरे अरमान। पुस्तक का मैं रूप दूँ, शब्दों में उत्थान।। शब्दों की माया बड़ी, ये सबको अनुमान। कुछ इससे हैं सीखते, पाते भी सम्मान।। गलत तरीके से करें, शब्दों का उपयोग। होता भी नुकसान है, कब समझेंगे लोग।। झगड़ों का कारण यही, अब समझो नादान। शब्दों का यह जाल है, कहते सभी सुजान।। शब्दों से जो खेलते, उनको ही है बोध। उचित चयन उसका करें, करते देखो शोध।। ....................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #शब्द #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi शब्द (दोहे) शब्द मिलें जब भी मुझे, करता यही विचार। क्या बखान अब मैं करूँ, पूरे हों उद्गार।।
Shaarang Deepak
Devesh Dixit
महँगाई की मार (दोहे) महँगाई की मार से, हाल हुआ बेहाल। खर्चों के लाले पड़े, बिगड़ गये सुर ताल।। बीच वर्ग के हैं पिसे, देख हुए नाकाम। अब सोचें वह क्या करें, बढ़ा सकें कुछ काम।। फिर भी हैं कुछ घुट रहे, मिला न जिनको काम। महँगाई के दर्द में, जीना हुआ हराम।। चिंतित सब परिवार हैं, दें किसको अब दोष। महँगाई ऐसी बढ़ी, थमें नहीं अब रोष।। विद्यालय व्यवसाय हैं, दिखते हैं सब ओर। शुल्क मांँगते हैं बहुत, पाप करें ये घोर।। मुश्किल से शिक्षा मिले, कहते सभी सुजान। महँगाई की मार है, यही बड़ा व्यवधान।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #महँगाई_की_मार #दोहे #nojotohindipoetry #nojotohindi महँगाई की मार (दोहे) महँगाई की मार से, हाल हुआ बेहाल। खर्चों के लाले पड़े, बिगड़ गये
Devesh Dixit
वाहन चालक (दोहे) वाहन चालक हो युवा, खतरे में है जान। खुद भी संकट में पड़ें, समझें अपनी शान।। नया नया यह खून है, रहता हर दम जोश। तेज रहे रफ़्तार है, उड़ जाते फिर होश।। वाहन चालक की उमर, रखी अठारह साल। नियम रहे तब राह में, सभी रहें खुशहाल।। बच्चों को वाहन दिला, दिखलाते हैं शान। पर होता कुछ और भी, कहते सभी सुजान। लहराकर जब वे चलें, दिखे अचानक जान। वाहन मुश्किल से थमे, या दुर्घटना मान।। नियम बहुत हैं तोड़ते, देते भी आघात। मौके से फिर भागते, पड़े न जूते लात।। उन्हें दिलानी है नहीं, वाहन की सौगात। जब तक वह समझे नहीं, यही अनोखी बात।। वाहन चालक हो वही, जिसे नियम का ज्ञान। धीमी ही रफ़्तार हो, बची रहे तब जान।। ............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #वाहन_चालक #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry वाहन चालक (दोहे) वाहन चालक हो युवा, खतरे में है जान। खुद भी संकट में पड़ें, समझें अपनी शा
Ashutosh Mishra
---किताबें-- छुपे बहुत से रहस्य है, इन ग्रंथों के अंदर। कहीं ज्ञान गीता का, कहीं रसखान के दोहे। किसी में राम चरित्र का अमृत, किसी में कृष्ण राधा की लीला। जिसने जोड़ा नाता इनसे, जग में ना जीता कोई उनसे। अच्छी किताबें हैं जीवन आधार, बिना ज्ञान जीवन निराधार। नहीं कभी भी वो अकेला होता, जो रहता किताबों में खोया। किताबें सही मार्गदर्शन देती है, सुख-दुख की है सच्ची साथी। जब से मैंने हैं किताबों से नाता जोड़ा, फिर कभी ना किताबों ने मेरा साथ छोडा। अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra #किताबें छिपा बहुत सा रहस्य है,इन ग्रंथों के अंदर। कहीं ज्ञान गीता का, कहीं रसखान के दोहे। #Trading #poatry #thought #Hindi #Niaz DHARM
Devesh Dixit
अनंत (दोहे) लीला अनंत आपकी, ओ गिरिधर गोपाल। जकड़े जिसमें हैं सभी, वो है माया जाल।। जिसे रचा है आपने, माया वही अनंत। कैसे अब दीदार हों, ओ मेरे भगवंत।। महिमा अनंत आपकी, कहते सभी सुजान। एक न पत्ता हिल सके, जाने सकल जहान।। भजे आपको जो कभी, उसका बेडा पार। सुख साधन से हो धनी, ऐ मेरे भरतार।। सत्य बचाने के लिए, रूप किया विस्तार। चलता अनंत काल से, जीवन का ये सार।। कलियुग ने घेरा अभी, है उसका ही जोर। हुए अनंत प्रहार हैं, दर्द सहें अब घोर।। ........................................................ देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #अनंत #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry अनंत (दोहे) लीला अनंत आपकी, ओ गिरिधर गोपाल। जकड़े जिसमें हैं सभी, वो है माया जाल।। जिसे रचा ह
Devesh Dixit
अटल सत्य (दोहे) अटल सत्य है मौत ही, सबको ये संज्ञान। फिर भी क्यों समझे नहीं, करते हैं अभिमान।। मोह छूटता है नहीं, अद्भुत ये संसार। अटल सत्य ये जान कर, भरते भी भण्डार।। अनदेखा इसको करें, पछताते फिर बाद। अटल सत्य को भूल कर, दिखलाते आबाद।। ईश्वर की ही देन है, ये जो माया जाल। अटल सत्य है जान लो, मौत यही विकराल।। घबराते इससे बहुत, आज सभी इंसान। अटल सत्य है क्या कहें, कहते सभी सुजान।। ............................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #अटल_सत्य #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry अटल सत्य (दोहे) अटल सत्य है मौत ही, सबको ये संज्ञान। फिर भी क्यों समझे नहीं, करते हैं अभि
Devesh Dixit
नारायण (दोहे) हे नारायण आपको, नमन् करूँ हर बार। कृपा करो अब आप ही, कर दो बेड़ा पार।। भक्त जनों की भीड़ है, लगा हुआ दरबार। मुझको भी आशीष दो, आऊंँ तेरे द्वार।। सभी मांँगते आपसे, मिले सुखी संसार। मैं भी हूँ अब राह में, ओ मेरे भरतार।। नाम जपूँ मैं आपका, नारायण भगवान। ऐसी श्रृद्धा दो मुझे, हो मुख पर मुस्कान।। हुआ नहीं विश्वास है, कैसे करूँ बखान। माया में ऐसा फंँसा, घेरे है व्यवधान।। अद्भुत लीला आपकी, कहते सभी सुजान। मैं भी उसको देख लूँ, ऐसा हो भगवान।। जागे फिर विश्वास है, श्रृद्धा का भी भाव। अंतर्मन में तुम बसो, फिर मेरा हो चाव।। ....................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #नारायण #दोहे नारायण (दोहे) हे नारायण आपको, नमन् करूँ हर बार। कृपा करो अब आप ही, कर दो बेड़ा पार।। भक्त जनों की भीड़ है, लगा हुआ दरबार।
Devesh Dixit
कर्तव्य (दोहे) निभा सके कर्तव्य को, होता उसका नाम। मंजिल भी मिलती उसे, जो करता है काम।। दर-दर वो भटका फिरे, जो रहता निष्काम। बोध नहीं कर्तव्य का, होता भी हैरान।। बोध हुआ कर्तव्य का, ईश्वर भी हैं साथ। कहते सभी सुजान हैं, रखते सिर पर हाथ।। भूले जो कर्तव्य हैं, बैठे सीना तान। कुर्सी को थामे रहें, नेता यही महान।। चोरी ये कर्तव्य की, करते हैं जीतोड़। हासिल कुर्सी जब करें, फिर लें मुख को मोड़।। चूके जो कर्तव्य से, रहे नहीं सम्मान। बोझिल ये जीवन हुआ, कब समझे इंसान।। ............................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कर्तव्य #दोहे #nojotohindipoetry कर्तव्य (दोहे) निभा सके कर्तव्य को, होता उसका नाम। मंजिल भी मिलती उसे, जो करता है काम।। दर-दर वो भटका