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Best रस Shayari, Status, Quotes, Stories

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Ghumnam Gautam

White ठीक सोलहवें साल आया है
तुमपे यौवन कमाल आया है

उफ़! ये रस से भरे कुँआरे होठ
रंग जिनपर कि लाल आया है

©Ghumnam Gautam #यौवन 
#सोलह 
#रस
#रंग 
#ghumnamgautam

Ghumnam Gautam

White हमें लगता था यारो आज तो उम्दा परोसेंगे
ख़बर कब थी सयाने लोग भी चरबा परोसेंगे
परोसीं हैं लबों से आपने तो रस भरी बातें
बता दीजे सजल नैनों से अपने क्या परोसेंगे?

©Ghumnam Gautam #sad_quotes #नयन 
#चरबा
#बातें 
#रस 
#ghumnamgautam

Penman

#रस

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Anuj Ray

#रस से भरी मस्त जवानी

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Uttam Dixit

क्या बतायें आपको,कुछ न पूछो बस, 
जुबाँ उगलती है मिर्ची,कान को चहिए रस!!  #मिर्ची #रस #udquotes

Rabindra Kumar Ram

" जो मिलते तुम कहीं कुछ जिरह कर लेता मैं , तेरे फासलों का सफर तेरी नज़र लेता मैं , रास आये कुछ कि कुछ रस में कैसे रहा जाये , तामाम उम्र कहीं कसमें-कस में ना गुजर जाये‌ . " --- रबिन्द्र राम #जिरह

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" जो मिलते तुम कहीं कुछ जिरह कर लेता मैं ,
तेरे फासलों का सफर तेरी नज़र लेता मैं ,
रास आये कुछ कि कुछ रस में कैसे रहा जाये ,
तामाम उम्र कहीं कसमें-कस में ना गुजर जाये‌ . " 

                                --- रबिन्द्र राम

                              " जो मिलते तुम कहीं कुछ जिरह कर लेता मैं ,
तेरे फासलों का सफर तेरी नज़र लेता मैं ,
रास आये कुछ कि कुछ रस में कैसे रहा जाये ,
तामाम उम्र कहीं कसमें-कस में ना गुजर जाये‌ . " 

                                --- रबिन्द्र राम

 #जिरह

Author Munesh sharma 'Nirjhara'

वैराग्य विहग सम कोमल मन
सुमन उपवन लख चिंतित मन
किंचित विचलित नहीं प्रियतम
सुनहु सखि व्यर्थ अब सावन घन!
🌹 #mनिर्झरा 
Copyright protected ©️®️
01/10/2020
#वियोग_शृंगार_रस 
#yqdidi 
#yqhindi 
#yqquotes 
#रस

Author Munesh sharma 'Nirjhara'

मैं कहाँ कह पाई
तुमसे वह सब
जो कहना था कभी...

मैं कहाँ बटोर पाई
उस बिखरे मन को
जो बिखरा था पीछे कभी...

मैं कहाँ बढ़ा पाई
रुके क़दमों को
जो थमे थे अतीत में कहीं...

मैं कहाँ सुना पाई
मन की बात तुम्हें
श्रवण पट किये तुमने कभी..

मैं कहाँ बना पाई
तुमको अपना कभी
दूर हुए तुम जब वहाँ कभी...
🌹
 #mनिर्झरा 
#yqhindi 
#yqdidi 
#bestyqhindiquotes 
#वियोग 
#रस 
#yqtales 
#तुम्हारे_ख़्याल_और_मैं

DR. SANJU TRIPATHI

२)हास्य रस - हास्य /हास दूसरों की चेष्टा करने से हास उत्पन्न होता है ।वाणी, रूप, अंतर्गत वेशभूषा आदि विकारों का समावेश होता है । ✔️समय - 28 1 मार्च रात 12 बजे तक ✔️यह सब्सक्राइबर्स के लिए विशेष प्रतियोगिता है । अधिक जानकारी के लिए पिन paid story पढ़े। ✔️रचना लिखने के बाद पिन paid पोस्ट पर 'हास्य रस' ऐसा कमेन्ट करे । याद रहे इस पोस्ट का कमेंट ऑप्शन बंद है । आपको पिन पोस्ट पर कमेंट करना है ।

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चढ़ा बुखार इश्क़ का तो मन खुशी से झूमने नाचने लगा,
मन खुद को लैला और मजनू से भी बढ़कर समझने लगा।

खोया रहने लगा बस उसी के ख्वाबों खयालों में रात- दिन,
राते गुजरने लगी सूने आसमान को देखकर तारे गिन गिन।

एक झलक देखकर ही प्यार के सपने सजाने लगा था दिल,
उसके घर का पता ढूंढ़ ढा़ढ़ के चल दिया उससे मिलने दिल।

राह काटना मुश्किल था दिल नए नए सपने बुनने में था गुम,
टकराए अजनबी से गिरे मुंह के बल हुई दिमाग की बत्ती गुल।

दिल खुशी से झूम उठा जब आंखें खोली तो उसे सामने पाया,
यकीन हो गया खुदा पर खुदा ने था फिर से उससे मिलवाया।

थोड़ी देर में एक अजनबी हाल चाल पूछने उस कमरे में आया,
मेरे महबूब के कांधे पर हाथ रखकर उसे अपनी बेगम बताया।

जितनी तेजी से चढ़ा था बुखार इश्क़ का उतनी तेजी से उतर गया,
बनना चाहता था उसके बच्चों का अब्बा देखो मामू जान बन गया।
-"Ek Soch"



 २)हास्य रस - हास्य /हास
      दूसरों की चेष्टा करने से हास उत्पन्न होता है ।वाणी, रूप, अंतर्गत वेशभूषा आदि विकारों का समावेश होता है ।
✔️समय - 28 1 मार्च रात 12 बजे तक

✔️यह सब्सक्राइबर्स के लिए विशेष प्रतियोगिता है । अधिक जानकारी के लिए पिन paid story पढ़े।

✔️रचना लिखने के बाद पिन paid पोस्ट पर 'हास्य रस' ऐसा कमेन्ट करे । याद रहे इस पोस्ट का कमेंट ऑप्शन बंद है । आपको पिन पोस्ट पर कमेंट करना है ।

DR. SANJU TRIPATHI

१) श्रृंगार रस - रती / प्रेम प्रेम संबंधी वर्णन या सौंदर्य के प्रति वर्णन को श्रृंगार रस कहते हैं । श्रृंगार रस को रसों का प्रमुख यानी रसराज/रसपती भी कहा जाता है । ✔️समय - 28 फरवरी रात 12 बजे तक ✔️यह सब्सक्राइबर्स के लिए विशेष प्रतियोगिता है । अधिक जानकारी के लिए पिन paid story पढ़े। ✔️रचना लिखने के बाद पिन paid पोस्ट पर 'श्रृंगार रस' ऐसा कमेन्ट करे । याद रहे इस पोस्ट का कमेंट ऑप्शन बंद है । आपको पिन पोस्ट पर कमेंट करना है ।

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तेरे ही प्यार के रंगों की ओढ़ के चुनरिया पिया मैं तो तेरे ही रंगों में रंग गई,
कल तक थी तुझसे बिल्कुल अनजान, प्यार का बंधन करके तेरी हो गई।

तेरे नाम की लगाई है माथे पर बिंदिया तेरे ही नाम की हाथों में मेहंदी रचाई है,
लाल जोड़ा पहन के सजी हूं आज मैं झिलमिल सितारों वाली चुनरी मंगाई है

तेरी दुल्हन बनी हूं मांग में भरकर तेरे नाम का सिंदूर सोलह श्रृंगार पूरे किये हैं
बड़ी मन्नतों व दुआओं के बाद जिंदगी में यह वस्ल की चाहत की रात आई है।

तेरा साथ पाकर तो जिंदगी का हर मुश्किल सफर भी हंसते हंसते कट जाएगा,
तेरे प्यार की खुशियों की छांव तले जिंदगी के सारे गम धीरे धीरे खिसक जाएंगे।
 १) श्रृंगार रस - रती / प्रेम
     प्रेम संबंधी वर्णन या सौंदर्य के प्रति वर्णन को श्रृंगार रस कहते हैं । श्रृंगार रस को रसों का प्रमुख यानी रसराज/रसपती भी कहा जाता है । 
✔️समय - 28 फरवरी रात 12 बजे तक

✔️यह सब्सक्राइबर्स के लिए विशेष प्रतियोगिता है । अधिक जानकारी के लिए पिन paid story पढ़े।

✔️रचना लिखने के बाद पिन paid पोस्ट पर 'श्रृंगार रस' ऐसा कमेन्ट करे । याद रहे इस पोस्ट का कमेंट ऑप्शन बंद है । आपको पिन पोस्ट पर कमेंट करना है ।
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