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Hrishabh Trivedi
Welcome to Ajoobanagar (Part 2) डिस्क्लेमर:- कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक हैं, इन्हें अपने ऊपर ना लें, और प्लीज़ मुझे भी इनसे ना जोड़े...... धन्यवाद 😊 Part 1👉 #hr
Hrishabh Trivedi
The Non-Family Man (भाग-1) (अनुशीर्षक में पढ़े) डिस्क्लेमर:- कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक हैं, इन्हें अपने ऊपर ना लें, और प्लीज़ मुझे भी इनसे ना जोड़े, जैसा कि आप लोग हर कहानी के
Pankaj Singh Chawla
पर्किंग वाला प्यार भाग - 13 (Read in Caption) पर्किंग वाला प्यार 13 सुनो...! ठीक 5 बजकर 15 मिंट पर उसकी कॉल आ गई, 'परम' जी मैं निकल रहीं हूँ सेक्टर-31 के बाहर वाले हाईवे पर मिलूंगी... ओ
Jyotshna Rani Sahoo
वो कौन था ( A suspense story in caption) सुहानी हमेशा से ही ट्रेन पर सफ़र करती है। वैसे तो मजबूरी है।उसे करना पड़ता है,क्यूं की दफ़्तर से घर काफी दूर है।लगभग एक दिन का आधा वक्त सफ
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'अपना सा' अजनबी ".. ना कभी फिल्मों जैसे हमारी नज़रें टकराई, ना कभी मौका मिला हमारी मुस्कानों को एक दूजे से बतियाने का। ना कभी बस के इमरजेंसी ब्रेक पर हमारा छूना मुमकिन हुआ और ना कभी 'हमारी' कोई कहानी बनी.." (कहानी अनुशीर्षक में पढ़ें) 'अपना सा' अजनबी कॉलेज के वो तीन साल, पलक झपकते ही गुज़र गए थे। ये दास्ताँ, कॉलेज से घर तक के सफ़र, बस नंबर ,८१ से जुड़ी है। आम तौर पर तो
Priya Kumari Niharika
ईमान ध्यान और जान लगा, मैं काज करूं दिन रात अगर फिर भी वेतन के बदले ग़र, मिलता जाए आघात अगर तो बेजुबान बनकर कब तक, आखिर इसको बर्दाश्त करू या रोजगार ठुकराकर मैं, दाने का भी मोहताज बनू अब तो अकादमिक शिक्षा का, कोई भी मूल्य न होता है डिग्रियों का भार भी रद्दी सा, कौशल के तुल्य न होता है परिणाम भले उत्कृष्ट रहे, फिर भी बहुमूल्य न होता है कौशल विकास से ज्यादा अब, डिग्री अतुल्य न होता है आधी जीवन शिक्षा लेकर, बिल्कुल आराम न मिलता है डिग्री पाकर खुश मत होना, उसका भी दाम न मिलता है प्रतिभा का सम्मान यहां, शिक्षित को काम न मिलता है और सरकारी नियुक्ति न हो, तो समाज में नाम न मिलता है डिग्रीधारी नारी अक्सर, बन जाती है निर्भर,निर्बल निर्णय की शक्ति छीन जाती, कर पाती न कष्टों का हल कौशल की ओर बढ़ो अब तुम, यह देगा तुम्हें आत्मबल तो पराधीन परजीवी नहीं, स्वच्छंद उड़ोगी तुम भी कल इस प्रतिस्पर्धा के युग में, डिग्रियां जलाई जाती है कौशल की बुनियाद पे ही, रोजगार दिलाई जाती है या रिश्वतखोरो को अक्सर, रेबड़ीया खिलाई जाती है तब जाकर फॉर्मल सूट पैंट,और टाई सिलाई जाती है ©Priya Kumari Niharika ईमान ध्यान और जान लगा, मैं काज करूं दिन रात अगर फिर भी वेतन के बदले ग़र, मिलता जाए आघात अगर तो बेजुबान बनकर कब तक, आखिर इसको बर्दाश्त करू
OMG INDIA WORLD
Story Contd............ ©OMG INDIA WORLD #OMGINDIAWORLD रात_के_8_बजे_का_समय_रहा_होगा। एक लड़का एक जूतों की दुकान में आता है, गांव का रहने वाला था, पर तेज़ था। उसका बोलने का लहज़ा गां
oyeguptaji
read in discription अक्सर पहली नौकरी लोग सिर्फ नौकरी करने के लिये नहीं करते... पहली नौकरी अहसास दिलाती है कि पैसा पेड़ पे नही उगता.. पहली नौकरी बताती है कि पिता
Arsh
इस रचना को आप कैप्शन में पढ़ सकते हैं। 111R डैडी क्यों मेरी लाड़ो, पापा से छादी क्यों नहीं कलनी? मुदे नई पता, आप बहोत दंदे हो पापा, पिथली बाल तहा था तौफी लेने दा लहा हूँ, इत्ते दि
#maxicandragon
जो कहलाते है शांतीदूत बोलो इनकी .... Rhyme बंद करो ये सब करतूत बोलो इनकी.... Rhyme सेवईय्या बनी है डालो दूध बोलो इनकी.... Rhyme सब के सब है ये दाऊद बोलो इनकी.... Rhyme पप्पू बोला "जी" अजहर मसूद बोलो इनकी.... Rhyme पहने जो विलायती महंगे शूज बोलो इनकी.... Rhyme जिसको चाहिए पाया सूप बोलो इनकी.... Rhyme काटा भारत हिंसा फिर लूट बोलो इनकी.... Rhyme गजब ए हिंद बनाने पडे है टूट बोलो इनकी.... Rhyme बचाने हिंद हो जाओ एक जूट (Sad) वरना तुम्हारी भी.... Rhyme #Sadharanmanushya #Unite #LastTime जो कहलाते है शांतीदूत बोलो इनकी .... Rhyme बंद करो ये सब करतूत बोलो इनकी.... Rhyme सेवईय्या बनी है डालो दूध बोलो इनकी.... Rhyme सब के सब है